पंजाब के हजारो हजारों लोग जायेगें बीकानेर
पंजाब के हजारो हजारों लोग जायेगें बीकानेर
12 जून को आचार्यश्री के दर्शन के लिए संघ जायेगा बीकानेर
चंडीगढ, 22 मई: जैन धर्म में श्रावक शब्द का प्रयोग गृहस्थ के लिए किया गया हैं। श्रावक अहिंसा आदि व्रतों को संपूर्ण रूप से स्वीकार करने में असमर्थ होता हैं किंतु त्यागवृत्तियुक्त, गृहस्थ मर्यादा में ही रहकर अपनी त्यागवृत्ति के अनुसार इन व्रतों को अल्पांश में स्वीकार करता है। विवेकवान विरक्तचित्त अणुव्रती गृहस्थ को श्रावक कहते हैं। ये तीन प्रकार के हैं - पाक्षिक, नैष्ठिक व साधक। निज धर्म का पक्ष मात्र करने वाला पाक्षिक है और व्रतधारी नैष्ठिक। आचार्य भिक्षु एक व्यवस्थित अच्छी तरह से स्थापित और व्यवस्थित धार्मिक संप्रदाय ए तेरापंथ के माध्यम से आकार ले रहा देखा। तेरापंथ पंथ के माध्यम से आकार ले रहा है देश मे चरित्रवान लोगो की फौज तैयार कर रहा है।
आत्म शिष्यत्व की अवधारणा को व्यवस्थित करने के लिए और इस धार्मिक क्रम में वह गुरु की विचारधारा को व्यवस्थित करने के लिए और इस धार्मिक क्रम मे समाप्त करने के लिए लाया। इस रास्ते में एक आचार्य, एक सिद्धांत है, एक विचार है और इसी तरह सोच के बारे में उनकी विचारधारा के लिए आदर्श बन गया अन्य धार्मिक संप्रदायों के लिए। आचार्य भिक्षु ने कहा आम आदमी को समझते हैं और सच्चा धर्म है जो उसे मोक्ष के रास्ते पर ले जाएगा अभ्यास करना चाहिए। तेरापंथ धर्म संघ की विशेषता एक आचार्य परंपरा। जयाआचार्य एक शताब्दी के बाद तपन दिवस, एक शताब्दी के बाद नई क्रांति की। ये शब्द आचार्य तुलसी ने और आचार्यश्री महाप्रज्ञ का उल्लेख करते हुए मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक ने आज अणुव्रत भवन सैक्टर 24सी तुलसीसभागार मे ट्राईसिटी श्रावक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहे।
मनीषीसंत ने आगे कहा श्रावक कौन है और संघ क्या है , संघ उसका नाम हेै जहां एकता, संगठन है। जहां अनेकता है असंगठन है वहां संघ नही होता। तेरापंथ मे आचार्यश्री ने एकता का सिद्धांत दिया। पंजाब के लोग बडी उत्सुकता से आचार्यश्रीमहाश्रमण जी के आगमन का इंतजार कर रहे हैं इसी उददेश्य को लेकर मनीषीसंत पिछले 5 वर्षो से इस कार्यक्रम को सफल करने मे लगे हुए थे। इसके लिए पंजाब के पूर्व राज्यपाल व चंडीगढ प्रशासक वी.पी सिंह बदनौर दो बार बिलवाडा और चेन्नई निवेदन करने के लिए आचार्यश्री के चरणो मे गये।
पंजाब पधारो इस उददेश्य को लेकर 11 जून को संघ बीकानेर जाकर आचार्य जी के दर्शन के लिए जायेगा और 12 जून को आचार्यवर को चतुमार्स के लिए निवेदन करेगाज्ञ।
वही आज अणुव्रत भवन तुलसीसभागार मे तेरापंथ श्री वेद प्रकाश जैन को पुन: तेरापंथ सभा का अध्यक्ष मनोनीत किया गया।
मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया आचार्य महाप्रज्ञ हमेशा ध्यान, व्याख्यान के माध्यम से मानवता की एक नई दृष्टि, अहिंसा यात्रा देने के लिए आचार्य भिक्षु और आचार्य तुलसी के कदम का पालन किया। वह एक प्रसिद्ध विद्वान, दार्शनिक, लेखक, अपने युग के विचारक था। पंजाब से हजारो हजारों लोग आचार्यश्रीमहाश्रमण जी को पंजाब चुर्तमास के लिए निवेदन करेगें और उसके साथ वे आग्रह करेगें कि हमे चुर्तमास मिले।
इस कार्यक्रम मे मुनिअभयकुमारजी, श्री वेद प्रकाश जैन, श्री मनोज जैन, श्री सलील बंसल, श्री विजय शर्मा, सुधीर जैन, श्री विजय गोयल , श्रीमती शांता चोपडा, श्री मंजु जैन, श्रीमती प्रेम भाई, डा. गीता राय, सुप्रसिद्ध उद्योगपति अमन कंसल आदि ने अपने विचारो की अभिव्यक्ति ने एक स्वर मे कहा कि मनीषीसंत की मेहनत फल लायेगी और आचार्यश्री शीघ्र ही पंजाब पधारेगें।