कॉर्पोरेट कल्चर पर काम करता था चोरों का यह गैंग, सैलरी देकर हायर किए थे मेंबर्स

कॉर्पोरेट कल्चर पर काम करता था चोरों का यह गैंग, सैलरी देकर हायर किए थे मेंबर्स

The Thieves were Kept on Salary

The Thieves were Kept on Salary

गोरखपुर। The Thieves were Kept on Salary: झारखंड में बैठा सरगना मनोज मंडल 15000 रुपये प्रतिमा के वेतन पर चोरों की भर्ती करता है। इनमें से अधिकांश नाबालिग होते हैं। ये ट्रेनों सहित स्टेशन और विभिन्न बाजारों से मोबाइल फोन पार करते हैं। इसके लिए उन्हें यात्रा भत्ता सहित भोजन का खर्च भी गिरोह की ओर से मिलता है। चोरी में सफलता के आधार पर वेतन और भत्ते में बढ़ोतरी भी की जाती है।

ये जानकारी गोरखपुर राजकीय रेलवे पुलिस को तब मिली, जब स्टेशन परिसर की जांच के दौरान तीन संदिग्ध उसके हत्थे चढ़े। इनसे पुलिस ने 10 लाख रुपये की कीमत के 44 मोबाइल फोन, एक तमंचा, कारतूस और चाकू बरामद किया।

एसपी रेलवे संदीप कुमार मीना ने बताया कि ट्रेन और प्लेटफार्म पर मोबाइल चोरी करने वाले गिरोह के गोरखपुर में होने की सूचना मिली थी। इसके बाद जीआरपी थाना गोरखपुर के प्रभारी विजय कुमार सिंह रेलवे स्टेशन परिसर में चेकिंग कर रहे थे।

तीन संग्दिध घूमते दिखाई दिए...

इस दौरान घड़ी वाले गेट के पास तीन संग्दिध घूमते दिखाई दिए। शक होने पर जीआर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। आरोपितों की पहचान झारखंड के साहबगंज जिले में स्थित तलझाड़ी के महरापुर के रहने वाले मनोज मंडल, तीन पहाड़ गांव के करन कुमार नोनिया के रूप में हुई। इनका एक साथी नाबालिग है।

तीनों को शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया गया। वहां से मनोज मंडल, करन कुमार को जेल और नाबालिग को बाल सुधार गृह भेज दिया गया। पूछताछ व जांच में पता चला कि गिरोह का सरगना मनोज मंडल गैंग के सदस्यों को प्रतिमाह 15,000 रुपये वेतन देकर चोरी करवाता है। ये गैंग ट्रेनों व बाजार में काफी सक्रिय है।

ये गिरोह विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर लोगों की जेब और बैग से मोबाइल फोन चुराता है। फिर उन्हें नेपाल और बांग्लादेश में बेच देता है। मनोज के खिलाफ गोरखपुर और आजमगढ़ जिलों में चोरी के आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। आरोपित करन कुमार को दो बार कैंट थाना पुलिस जेल भेज चुकी है।