1 इंच की भी नहीं होती है ये मछली, मगर इसके पास होती हैं 20 से ज्यादा आंखें! जानिए क्यों है खास?
Fish With 24 Eyes
नई दिल्ली। Fish With 24 Eyes: हांगकांग बैप्टिस्ट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने जेलीफिश प्रजाति की एक ऐसी मछली की खोज की है, जो न सिर्फ देखने में अनोखी बल्कि बेहद खतरनाक भी है। इस मछली ने वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मछली एक बेहद जहरीले जेलीफिश की नई प्रजाति का सदस्य है।
एक इंच से भी कम लंबी, 24 आंखों वाली मछली (Less than an inch long, 24-eyed fish)
जेलीफिश की यह प्रजाति हांगकांग के माई पो रिजर्व के एक छोटे से तालाब में मिली है। इसका आकार बेहद अनोखा है। मछली का शरीर एक इंच से भी कम लंबा और पारदर्शी है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसकी तीन टांग हैं, जो फैलाने पर 10 सेमी तक बढ़ सकती हैं। सबसे खास और अहम बात ये है कि इसकी 24 आंख हैं, जो चार-चार के छह ग्रुप में बंटी हैं।
पैरों में होता है जहर, मिनटों में ले सकती है जान (There is poison in the feet, it can take life in minutes)
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसके लंबे और पतले पैरों में जहर होता है। ये जहर इतना खतरनाक होता है कि कुछ ही मिनटों में इंसान को कार्डियक अरेस्ट या लकवा पड़ सकता है। यहां तक की मौत का कारण भी बन सकता है। इस जेलीफिश की करीबी प्रजाति ऑस्ट्रेलियाई बॉक्स जेलीफिश है, जो दुनिया के सबसे विषैले समुद्री जानवरों में से एक हैं। इसकी आंखें संवेदी अंग में छिपी होती है, जिन्हें रोपालियम कहा जाता है।
'गीई वाई' कहते थे स्थानीय लोग (Local people used to say 'Gee Wai')
जेलिफ़िश का पता लगाने के लिए हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अकादमिक जर्नल जूलॉजिकल स्टडीज में नई प्रजातियों का वर्णन करने वाले एक पेपर में प्रकाशित किया गया था। शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने जेलीफ़िश के सैंपल जमा किए, जिसमें 2020 से 2022 के गर्मियों के दौरान 'माई पो' नेचर रिजर्व में एक खारे झींगा तालाब से नई प्रजाति शामिल थी, जिसे स्थानीय रूप से "गीई वाई" कहा जाता है।
मछली का नाम 'ट्रिपेडालिया माईपोएंसिस' रखा गया (The fish has been named 'Tripedalia Maipoensis')
हांगकांग बैप्टिस्ट यूनिवर्सिटी (एचकेबीयू) में जीव विज्ञान विभाग के एक प्रोफेसर किउ जियानवेन ने कहा, "हमने नई प्रजाति का नाम ट्रिपेडालिया माईपोएंसिस रखा है, ताकि इसके प्रकार के इलाके को प्रतिबिंबित किया जा सके, जहां नई प्रजाति पहली बार पाई गई थी।" शोधकर्ताओं की टीम ने यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर, ओशियन पार्क हांगकांग और डब्लूडब्लूएफ-हांगकांग के साथ मिलकर इसपर और शोध करना शुरू कर दिया है।
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