मवेशियों को दफनाने की जगह पड़ गई थी कम, अब उत्तराखंड से आ रहे हैं डराने वाले आंकड़े
Lumpy Virus in Uttarakhand
देहरादून: Lumpy Virus in Uttarakhand: उत्तराखंड में पशुओं (गो व महिषवंशीय) में लंपी त्वचा रोग के बढ़ते मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी (Raised the concern of the government) है। पिछले चार दिनों में प्रदेश में लंपी रोग के 3131 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 32 पशुओं की मृत्यु हुई है। कुमाऊं क्षेत्र में इसका ज्यादा प्रकोप है। इसे देखते हुए सरकार अब नियंत्रण के प्रयासों में जुट गई है। राज्य में गो व महिषवंशीय (Go and Mahishvanshiya) पशुओं के परिवहन, प्रदर्शनी पर एक माह के लिए रोक लगा दी गई है।
पशुओं के टीकाकरण और स्थिति पर नजर रखने को जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है। पशुपालन विभाग के कार्मिकों की छुट्टियां रद करने के साथ ही पशु चिकित्सकों की नई प्रतिनियुक्ति पर भी रोक लगाई गई है। पशु टीकाकरण पूर्ण करने को 15 दिन की अवधि तय की गई है। साथ ही सभी जिलों के लिए मानक प्रचालन कार्यविधि (एसओपी) जारी की गई है।
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बुधवार को विधानसभा भवन स्थित सभागार में पत्रकारों से बातचीत में उक्त जानकारियां साझा कीं। उन्होंने कहा कि राज्य में पशुओं में लंपी त्वचा रोग के बढ़ते मामलों को सरकार ने गंभीरता से लिया है। पशुओं का टीकाकरण तेजी से चल रहा है। पशुपालकों की सुविधा को टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं। गोवंशीय पशुओं में मुख्य रूप से फैलने वाले इस रोग के प्रसार में मक्खी, मच्छर संवाहक बनते हैं। ऐसे में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, नैनीताल, रुद्रप्रयाग व टिहरी जिलों में लंपी रोग से पीडि़त 1669 पशु ठीक हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि सभी जिलों को मांग के अनुसार वैक्सीन की 2.38 लाख डोज मुहैया कराई गई हैं, जबकि आकस्मिकता के दृष्टिगत 80 हजार डोज सुरक्षित रखी गई हैं। टीकाकरण अभियान के लिए टीमें गठित की गई हैं। राज्य में गो व महिषवंशीय पशुओं के जनपदीय, अंतरजनपदीय, अंतरराज्यीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर परिवहन पर माहभर के लिए रोक लगाई गई है।
दुग्ध फेडरेशन से मांगी रिपोर्ट (Report sought from Milk Federation)
पशुपालन मंत्री ने कहा कि लंपी रोग के फैलाव से दुग्ध उत्पादन पर असर पडऩा स्वाभाविक है। इसे देखते हुए दुग्ध फेडरेशन से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई है।
बीमा के लिए भी कर रहे प्रेरित (Motivating for insurance too)
बहुगुणा ने बताया कि पशु टीकाकरण में जुटी टीमें पशुपालकों को पशुओं का बीमा कराने को भी प्रेरित कर रही हैं। पशु बीमा के प्रीमियम में पर्वतीय क्षेत्र में 75 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्र में 60 प्रतिशत राशि सरकार वहन करती है।
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