कर्नाटक सरकार के शक्ति स्कीम पर मचा बवाल

कर्नाटक सरकार के शक्ति स्कीम पर मचा बवाल, डिप्टी सीएम ने कहा कि इस स्कीम पर दुबारा सोचने की है जरूरत

शक्ति स्कीम का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक तौर पर मजबूती देना है।

Karnataka Shakti Scheme: चुनाव के दौर में अक्सर बड़े-बड़े पॉलीटिकल पार्टी कुछ ऐसी बातों को पूरा करने की कसम खा लेते हैं जिसका परिणाम उनके भी कल्पना से परे होता है। कर्नाटक चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने 5 गारंटीयों की कसम खाई थी, उन्हीं में से एक है शक्ति स्कीम, अब उनके गले का फंदा बना चुकी है। तो चलिए पूरे विस्तार से हम आपको स्कीम के बारे में बताते हैं और जानते हैं कि आखिर क्यों अपने ही द्वारा चलाए गए स्कीम से आज कर्नाटक सरकार परेशान हो गई है।

कर्नाटक सरकार की शक्ति स्कीम

कर्नाटक चुनाव के दौरान कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले पांच बड़े-बड़े वादे किए थे। जिसे सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने अपने वादों के तहत पूरा भी किया। शक्ति स्कीम कर्नाटक सरकार की उन्हीं पांच वादों में से एक है जिसे 11 जून 2023 को लांच किया गया। इस स्कीम के तहत महिलाओं को राज्य सरकार की सरकारी बसों में फ्री यात्रा की सुविधा दी गई और कांग्रेस ने वादा किया था, की शक्ति स्कीम का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक तौर पर मजबूती देना है।

शक्ति स्कीम बन चुका है गले का फंदा

18 अक्टूबर 2024 तक राज्य सरकार ने इस योजना में तकरीबन 7507.35 करोड रुपए खर्च कर दिए। इस योजना के तहत 311.07 करोड़ महिलाओं ने मुफ्त में यात्राएं की है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद अब कांग्रेस सरकार को इस बात का एहसास हो रहा है कि इस स्कीम में इतने पैसे खर्च करने के कारण उनके बजट पर बहुत भारी असर पड़ा है। और इस स्कीम को लेकर दोबारा विचार विमर्श करने की योजना बनाई जा रही है।

बीजेपी को मिला कांग्रेस की खिंचाई का मौका

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने सरकारी बजट पर इस स्कीम का बुरा असर पढ़ने के कारण दोबारा से इसकी जांच करने को कहा था इसी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को उनके बयान को लेकर खिंचाई कर दी। इतना ही नहीं खरगे का स्क्रीम को लेकर दिए गए बयान से बीजेपी को भी कांग्रेस पर सवाल खड़े करने का मौका मिल गया है।