There should be a logical debate on live-in relationships.
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Editorial: प्रेम विवाह, लिव इन रिलेशनशिप पर देश में हो तार्किक बहस

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There should be a logical debate on live-in relationships.

भिवानी-महेंद्रगढ़ से भाजपा सांसद धर्मबीर ने प्रेम विवाह और लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ आवाज उठाकर देश में नई बहस को आगे बढ़ा दिया है। यह मामला पहले ही देश में चर्चा का विषय है, लेकिन अब हरियाणा जैसे प्रदेश से इसकी आवाज अगर और बुलंद हो रही है तो यह समझने वाली बात है। सांसद धर्मबीर ने इसे एक खतरनाक बीमारी बताया है। उनका यह कहना काफी हद तक सार्थक भी है, क्योंकि बगैर शादी के एक स्त्री और पुरुष का साथ रहना अनैतिक एवं समाज विरोधी नजर आता है।

भारत में इस प्रकार की प्रथा हमेशा से नहीं रही है, यह पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव है, जोकि अब भारतीय समाज और संस्कृति को भी प्रभावित कर रहा है। देश में अब तमाम ऐसे उदाहरण हैं, जहां पर स्त्री-पुरुष बगैर किसी वैवाहिक रिश्ते के साथ-साथ रह रहे हैं और दाम्पत्य जीवन का निर्वाह कर रहे हैं। हालांकि चिंता की बात यह है कि ऐसे जोड़े अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाते, यानी उनकी संतान जन्म नहीं लेती। ऐसे जोड़े स्वछंद रह कर अपनी नौकरी या कारोबार से जुड़े रहते हैं, ऐसे में यह विचार का विषय है कि क्या इस प्रकार के जोड़ों से समाज का कोई स्वरूप कभी बन पाएगा। हरियाणा में स्त्री समाज को इतनी आजादी हासिल नहीं रही है, इसकी आलोचना भी होती रही है, लेकिन अब हरियाणा में भी प्रेम विवाह और लिव इन रिलेशनशिप के मामले सामने आ रहे हैं।

गौरतलब है कि बीते दिनों हरियाणा में उस समय विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी, जब सरकार में एक मंत्री ने विवादित बयान देते हुए प्रेम विवाह और अपनी मर्जी से किसी युवा के साथ लडक़ी के चले जाने को लेकर तंज कसा था। इस मामले पर अभी तक सिर्फ विरोध ही होता आया है और मंत्री को बर्खास्त करने एवं उनके सामाजिक बहिष्कार आदि की मांग की गई है। बेशक, जिस प्रकार के बोल संबंधित मंत्री के थे, वे उचित नहीं कहे जाएंगे लेकिन उनके बयानों की गंभीरता को समझा जाना चाहिए।

व्यक्तिगत आजादी के संदर्भ में किसी को भी इसकी अनुमति आखिर कैसे मिल सकती है कि वह सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाते हुए ऐसा व्यवहार पेश करे जिससे दूसरों को भी नुकसान पहुंचता हो। अब सांसद धर्मबीर सिंह ने जिस प्रकार इस मुद्दे को देश की संसद में रखा है, उससे उन सभी विचारों को समर्थन हासिल हुआ है, जोकि प्रेम विवाह व लिव इन रिलेशनशिप  के खिलाफ हैं। बेशक प्रेम विवाह ऐसा व्यवहार हो सकता है, जिसमें दो बालिग व्यक्ति अपनी मर्जी से एक साथ चलना पसंद करते हैं, इसे सरकार एवं न्यायपालिका भी मान्यता देती है। इसी लिए राज्य में सेफ हाउस स्थापित किए जाते हैं। हालांकि लिव इन रिलेशनशिप को लेकर बहस यहीं खत्म नहीं हो जाती कि यह एक गलत कार्य है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि शादीशुदा होने के बावजूद लिव इन रिलेशनशिप में रहना कोई गुनाह नहीं है और इससे भी फर्क नहीं पड़ता कि शादीशुदा व्यक्ति ने तलाक की कार्रवाई शुरू की है या नहीं।

अब सांसद धर्मबीर सिंह का संसद में दिया गया बयान राजनीतिक एवं सामाजिक आधार पर एक पक्ष रख रहा है, लेकिन सवाल यही है कि क्या सरकार इसके खिलाफ कानून बना सकती है, क्योंकि जब सुप्रीम कोर्ट से इसकी मांग की गई थी तो माननीय अदालत ने इसके लिए याचिकाकर्ताओं को संसद से आग्रह करने की नसीहत दी थी। बेशक भाजपा धार्मिक और सामाजिक विचारों को लेकर चलने वाली पार्टी है और वह सामाजिक एवं सांस्कृतिक शुचिता की बात करती है, तब लगता है उसके लिए यह मुश्किल नहीं है कि वह ऐसे किसी कानून को लेकर आए। हालांकि आज का समाज पूरी तरह से बदल चुका है, अब देश में युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा है और यही लोग मतदाता भी हैं। अगर ऐसा कानून आता है तो उसका विरोध संभावित है। हरियाणा में प्रेम विवाह और लिव इन रिलेशनशिप हमेशा से अपराध समझा जाता है, यहां पर कितने ही ऑनर किलिंग के मामले सामने आते हैं।

बालिग युवती अगर किसी दूसरी जाति के व्यक्ति से प्रेम विवाह कर ले तो उसकी जान संकट में आ जाती है। बहुत बार तो ऐसे मामलों का खुलासा तक नहीं हो पाता। सांसद धर्मबीर सिंह हरियाणा के जिस भिवानी-महेंद्रगढ़ इलाके का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं, वह विशुद्ध जाट-अहीरवाल बेल्ट है। न केवल यहां बल्कि पूरे प्रदेश में पगड़ी की शान के लिए हत्याएं आम बात हैं। प्रेम विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों को कोई बार समाज के विरोधी फैसलों का सामना मौत के रूप में करना पड़ा है। वास्तव में प्रेम विवाह और लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ कानून बनना चाहिए या नहीं इस पर तार्किक बहस जरूरी है। 

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