Discussion should be held on the statement of 'democracy is in danger'

Editorial: 'लोकतंत्र खतरे में है' के बयान पर संसद में हो चर्चा

Edit1

Discussion should be held on the statement of 'democracy is in danger'

There should be a discussion in the Parliament on the statement of 'democracy is in danger' यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है कि क्या भारत में लोकतंत्र खतरे में है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विदेश की धरती पर यह बयान दिया था। इसके बाद भारत में इसको लेकर जबरदस्त प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

हालांकि अब जब संसद का बजट सत्र विराम के बाद जब फिर शुरू हो गया है तो राहुल गांधी के इस बयान को लेकर दोनों सदनों में हंगामा हो रहा है। सरकार ने इसके लिए राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि जब सदन के बाहर यह मामला घटा है तो सरकार इसे क्यों तूल दे रही है।

हालांकि यह बहस का विषय है, कि राहुल गांधी ने आखिर किस विचार से यह आरोप लगाया है। उन्हें और कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर देश में लोकतंत्र खतरे में कैसे है। अगर इसी समय यह खतरे में है तो फिर उस समय के बारे में क्या कहेंगे, जब देश में आपातकाल लागू कर दिया गया था और देश एक परिवार के इशारे पर बेडिय़ों में जकड़ा हुआ था।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे मुद्दा बनाकर पेश कर दिया है। उनका कहना है कि भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठाना जनता का अपमान हैै। निश्चित रूप से यह सब राजनीतिक बयानबाजी है, क्योंकि लोकतंत्र को खतरे में बताकर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। लेकिन वे यह बात देश के अंदर भी कह सकते थे, या वे यहां भी यह दोहराते रहते हैं। लेकिन आखिर इसे साबित कैसे किया जाएगा।

आजकल विपक्ष के नेताओं के यहां ईडी और सीबीआई के छापे पड़ रहे हैं। इस दौरान काफी कोताही सामने आ रही हैं। ऐसे में इन छापों को क्या लोकतंत्र पर हमला माना जाए। क्या विपक्ष को घोटाले करने का अधिकार है, अगर वह ऐसा करे तो फिर जांच भी न हो। बेशक, सत्ता पक्ष में भी अनेक मामले ऐसे हो सकते हैं, जहां जांच की जरूरत है लेकिन तमाम वजहों से ऐसा नहीं होता। लेकिन यह कहना अनुचित है कि अपराधी कभी पकड़े ही नहीं जाएंगे। अपराध कहीं भी हो, वह सामने आना चाहिए।

अब संसद सत्र के पहले दिन राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने 16 दलों के नेताओं के साथ बैठक की है। इस बैठक में फैसला हुआ कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई की कार्रवाई के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरा जाएगा। जाहिर है, विपक्ष की यह एकजुटता इस समय अपने आप में अचंभित करती है। हालांकि इसके बावजूद अनेक विपक्षी दल इसमें अभी शामिल नहीं हैं। लेकिन पूछा जा रहा है कि क्या विपक्ष सच में एकजुट हो गया है। विपक्ष को इस समय सबसे बड़ी जरूरत एकजुट होने की है, लेकिन वह इसमें विफल ही नजर आ रहा है। लेकिन ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के खिलाफ अगर उसने एकजुटता प्रदर्शित की है तो यह भविष्य के लिए कोई संकेत हो सकते हैं।

हालांकि ऐसी बैठक पहले भी होती रही हैं। सबसे बढक़र यह है कि राहुल गांधी लोकतंत्र के खतरे में होने की जो बात कह रहे हैं, वैसा ही स्वर विपक्ष के नेताओं का भी है। सभी इस समय खुद को पीडि़त और प्रताडि़त पेश कर रहे हैं। भारत में गांधी परिवार बार-बार यही दोहराता रहता है कि कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली गई, इसलिए देश बर्बाद हो गया है। क्या कांग्रेस यह बताएगी कि क्या देश पर उसी का एकाधिकार है, कि राज करेगी तो सिर्फ वही करेगी। वास्तव में इन सभी बातों और विषयों पर बहस होनी चाहिए। लेकिन इस तरह के आरोप पूरी तरह से सही नहीं है कि भारत में लोकतंत्र पर हमला हो रहा है। देश में मीडिया और न्यायपालिका पर नियंत्रण किया जा रहा है, सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है या फिर अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और अजा समाज के लोगों का दमन हो रहा है। सोच-विचार कोई भौतिक वस्तु नहीं है, वह आत्मिक प्रेरणाएं हैं, अगर कोई बात हमें अपने मुताबिक होती नजर नहीं आती है तो वह हमें अनुचित लगने लगती है। फिर उसके संदर्भ में हम नकारात्मक रूख अपना लेते हैं।

राहुल गांधी जिस भारत भूमि से जाकर ब्रिटेन की धरती पर यह बात कह रहे हैं, वह भी भारतीय लोकतंत्र की आजादी की वजह से है। अगर किसी व्यक्ति को अपमानित किया जाता है तो उसके पास कानून का सहारा लेने की आजादी है। फिर एक प्रधानमंत्री पर अगर आक्षेप लगते हैं तो क्या उन्हें इसका हक नहीं है कि वे कानून का सहारा लें। लेकिन इसे अभिव्यक्ति की आजादी का दमन बताया जाता है। जिन्हें बदलाव की चाहत नहीं है, वे विरोध के स्वर अलाप रहे हैं। यह कहना उचित नहीं है कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। अगर ऐसा हुआ भी तो ब्रिटेन इसमें हमारी कोई मदद नहीं कर सकता। अब राहुल गांधी को लोकतंत्र के संबंध में अपने बयान को संसद में भी दोहराना चाहिए। वहीं कांग्रेस को इस पर बहस से पीछे नहीं हटना चाहिए। 

ये भी पढ़ें ...

Editorial : भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रभावी जांच जरूरी, फैसले भी जल्द हों

ये भी पढ़ें ...

Editorial: मान सरकार का बजट करेगा आम आदमी की तरक्की