चंद्रबाबू के खिलाफ मामलों को कमजोर कर गवाह मिटाने की कोशिश में है

चंद्रबाबू के खिलाफ मामलों को कमजोर कर गवाह मिटाने की कोशिश में है

Attempt to Eliminate Witnesses by Weakening the Cases

Attempt to Eliminate Witnesses by Weakening the Cases

राज्य सरकार करोड़ों रुपए केस्किल फ्रॉड भूमि घोटालाके कागजातों से छेड़छाड़की संभावना बताईपूर्व मंत्री गोवर्धन रेड्डी ने ..*

( अर्थ प्रकाश/ बोम्मा रेडड्डी )

  ताडेपल्ली : Attempt to Eliminate Witnesses by Weakening the Cases: (आंध्रा प्रदेश) वाईएसआरसीपी ने मांग की है कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ मामलों को कमजोर करने के लिए गठबंधन सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले की सुनवाई राज्य के बाहर होनी चाहिए, क्योंकि इस घोटाले में जनता का पैसा लगा है। मंगलवार को यहां मीडिया से बात करते हुए पूर्व मंत्री काकानी गोवर्धन रेड्डी ने कहा कि चाहे कौशल विकास, फाइबरनेट, इनर रिंग रोड अलाइनमेंट, राजधानी क्षेत्र में आवंटित जमीन या मार्गदर्शन जैसे करोड़ों के घोटाले हों, गठबंधन सरकार सबूतों से छेड़छाड़ करने और मामलों को कमजोर करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है।

चंद्रबाबू एक तरफ गवाहों को प्रभावित करके और अपने वफादार लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर रखकर रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करके जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं, ताकि मामलों को कमजोर किया जा सके और उन लोगों को परेशान किया जा सके, जिन्होंने उनके द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को दिखाने वाले उचित गवाह, दस्तावेज और जानकारी जुटाने के बाद मामले दर्ज किए थे। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में न्याय तभी हो सकता है, जब मुकदमा राज्य के बाहर हो।  उन्होंने कहा कि सरकार चंद्रबाबू नायडू को विभिन्न मामलों से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और उन लोगों के प्रति प्रतिशोधात्मक रवैया अपना रही है जिन्होंने इन मामलों की जांच की थी, जैसे डीजीपी पीएसआर अंजनेयुलु, सीआईडी ​​प्रमुख सुनील कुमार जिन्हें निलंबित कर दिया गया और रामकृष्ण जिन्होंने मार्गदर्शी मामले की जांच की थी। कौशल विकास, फाइबरनेट, सीआरडीए और अन्य जैसे मामलों से जुड़े सभी विभागों में चंद्रबाबू ने अपने लोगों को तैनात कर रखा है जो सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं। मामले को कमजोर करने के लिए विशेषज्ञ सलाह देने के लिए दिल्ली से एक वकील भी बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि अदालत ने मामलों में सहायक दस्तावेज मांगे हैं, जिसमें जानबूझकर देरी की जा रही है और चंद्रबाबू की जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर मामले को एक या दूसरे बहाने से लंबा खींचा जा रहा है क्योंकि राज्य सहयोग नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि कौशल घोटाले में नाम आने वाले चंद्रबाबू के निजी सहायक अमेरिका चले गए थे और उन्हें निलंबित कर दिया गया था, जो अब वापस आ गए हैं और उन्हें बहाल कर दिया गया है, जो दर्शाता है कि जमानत की शर्तों का किस तरह उल्लंघन किया गया है।  उन्होंने मामले में सबूतों की क्लिपिंग दिखाई है, जिसमें कौशल विकास घोटाले से लेकर फर्जी कंपनियों के माध्यम से जनता का पैसा अपने लोगों तक पहुंचाने, फाइबरनेट मामले में टेंडर का आवंटन, अपने लोगों के पक्ष में इनर रिंग रोड अलाइनमेंट का ब्यौरा, आवंटित भूमि घोटाला और मार्गदर्शी मामले में अनियमितताएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सभी मामलों में सबूत मौजूद हैं, जहां घोर भ्रष्टाचार और अनियमितताएं हुई हैं और रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने मांग की कि न्याय तभी होगा, जब मामले की सुनवाई राज्य के बाहर होगी।