Decisions of the people of Jammu and Kashmir

Editorial:जम्मू-कश्मीर की जनता के निर्णय पर रहेगी पूरे देश की नजरें

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Decisions of the people of Jammu and Kashmir

The whole country will keep an eye on the decision of the people of Jammu and Kashmir : जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का होना लोकतंत्र को जीवित रखने की कवायद का वह हिस्सा है, जिसका इंतजार लंबे समय से था। इस मामले पर राज्य एवं देश की राजनीति के अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी विचार हो चुका है कि आखिर राज्य में आम चुनाव कब कराए जाएंगे। केंद्र सरकार पर इसका दबाव बनाया जाता रहा है कि यहां चुनाव कराए जाएं। हालांकि मोदी सरकार का कहना रहा है कि राज्य में चुनाव के हालात बनते ही यहां चुनाव कराया जाएगा। निश्चित रूप से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद राज्य के हालात में आमूल-चूल परिवर्तन आया है। सही अर्थों में अब जम्मू-कश्मीर एक राज्य लग रहा है।

हालांकि इसके राज्य के दर्जे को लेकर अब सियासत हो रही है और विपक्ष विशेषकर कांग्रेस का कहना है कि इसे दिल्ली से शासित नहीं किया जा सकता। बात बहुत सही है, क्योंकि एक राज्य की जनता अगर अपने प्रतिनिधियों का चयन कर रही है, तो उन्हें ही राज्य की बागडोर संभालने की इजाजत मिलनी चाहिए। लेकिन कश्मीर की परिस्थितियां अलग हैं, ऐसा तब है, जब विपक्ष के नेताओं के स्वर ही ऐसे निकलने लगते हैं कि उनके अपने या पराए होने का अहसास खत्म हो जाता है। घाटी में एक-दो ऐसे दल हैं, जिनके नेता अपने राज्य, अपने देश के संबंध में प्रशंसा करने के बजाय पाकिस्तान  का राग अलापते हैं, यह नेता उसी देश से सुरक्षा भी पाते हैं, जिसके संबंध में अनावश्यक टिप्पणी करते हैं। हालांकि बरसों से उनकी राजनीति का यही तरीका रहा है, उनके लिए घाटी में आतंकवाद रहने और फिर उसके खात्मे से वास्ता नहीं है, अपितु वे बस अपनी पाक परस्त राजनीति को आगे बढ़ाते रहना चाहते हैं।

दरअसल, चर्चा इसकी भी हो रही है कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी की है। इसके बाद कहा जा रहा है कि उनकी गठबंधन सरकार आई तो अनुच्छेद 370 को खत्म कराया जाएगा। हालांकि यह उनके दायरे में नहीं आता। यह अनुच्छेद देश की संसद ने बहुमत से खत्म किया है, ऐसे में इसको हटाए जाने के बारे में जनता को सिर्फ गुमराह किया जा सकता है, लेकिन इसे वापस नहीं लाया जा सकता। वैसे फिर यह सवाल अहम हो जाता है कि आखिर घाटी के दल यह क्यों कहते हैं कि अनुच्छेद 370 को वापस लाएंगे। फिर कांग्रेस चुपचाप उनके स्वर में अपना स्वर मिलाती क्यों नजर आती है। इस अनुच्छेद को हटाए जाने के समय संसद में बहस के दौरान कांग्रेस सांसदों के स्वर अलग थे। क्या हम नहीं चाहते कि कश्मीर देश की मुख्यधारा में लौट आए। आज जब यहां के हालात इस प्रकार के बन रहे हैं तो अपने स्वार्थ के लिए राजनीतिक दल ऐसे अनुच्छेद की बात कर रहे हैं जिसने कुछ लोगों के सत्ता सुख के लिए लाखों लोगों की जिंदगियां बर्बाद करवा दी। क्या कश्मीर के लोगों का सच में इस अनुच्छेद से कुछ हित था, अगर नहीं तो फिर इसकी क्या जरूरत है।

अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के दौरान बहस के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया था कि यह सब घाटी के हालात बदल देगा। अब घाटी के संबंध में उनका दावा सच साबित हो रहा है, जम्मू-कश्मीर में अब विकास की लहर दौड़ रही है। जिस इलाके को एक समय आतंकवाद ग्रस्त समझा जाता था, आज वह सैलानियों को फिर से भाने लगी है। जिस डल झील के किनारे से गुजरते हुए भी कभी रूह कांपती थी, आज उसी डल झील में शिकारों में लोग मौसम का आनंद लेते हैं। अब अमरनाथ यात्रा बगैर विघ्न के संपन्न हो रही हैं और पूरे देश के लोग बगैर किसी रूकावट के घाटी के कोने-कोने की यात्रा पर आ रहे हैं। अब जी-20 के देशों के प्रतिनिधियों की बैठक घाटी में आयोजित की जाती है और पूरी दुनिया को यह देखने को मिलता है कि जन्नत जिसे कहा जाता है, वह सच में यही हैं। घाटी में रोजगार, कारोबार के हालात बेहतर हुए हैं। यह सब अनुच्छेद 370 के समापन की वजह से हुआ है और इसके लिए मोदी सरकार ने जो साहस दिखाया, उसकी प्रशंसा होनी चाहिए।

निश्चित रूप से कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, यह देश का शीश है। इसे भारत से अलग करके सोचना अपने आप में अपराध है। अब भाजपा सरकार के मंत्रियों की ओर से अगर गुलाम कश्मीर को भी भारत में मिलाने की बातें होती हैं, तो यह जरूरी है कि ऐसा साहस दिखाया जाए। वास्तव में भारत विकास पथ पर अग्रसर है। दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन ने भी भारत की बढ़त को स्वीकार कर लिया है। इस समय जरूरत कश्मीर को विकास की बुलंदियों पर पहुंचाने की है। यह कार्य बेहद संजीदगी से होना चाहिए। विधानसभा के आम चुनाव में प्रदेश की जनता को वह निर्णय लेना होगा, जोकि घाटी के ठोस विकास की नींव को बुलंद करे। कश्मीर का मुद्दा यहां के निवासियों तक सीमित नहीं है अपितु यह पूरे देश का मामला है। निश्चित रूप से प्रदेश की जनता सही निर्णय लेगी।

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