अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव धार्मिक या राष्ट्रीय मुद्दों पर
US Presidential Election 2024
US Presidential Election 2024: इस समय अंतरराष्ट्रीय राजनीति एक ऐसे मुहाने पर है जो विश्व में धर्म और राजनीति के गठजोड़ को दृढ़ता से मान्यता देती हुई दिखाई दे रही है। वैसे दुनिया के अधिकतर देशों में राजनीति में धर्म का प्रभाव रहा है। अमेरिका, इंग्लैंड ,फ्रांस आदि देशों में कैथोलिक ईसाई धर्म का सत्ता की राजनीति में जमकर प्रयोग हुआ है । अमेरिका में 2009 में बराक ओबामा जो प्रोटेस्टेंट इसाई थे और अश्वेत भी थे, उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव जीता और धर्म आधारित पारंपरिक राजनीति को एक नया मोड़ दिया। अब फिर अमेरिका में राष्ट्रीयता को आगे रखकर सत्ता प्राप्ति के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने धर्म का राजनीति में सहारा लेने के लिए सारी हदें पार कर दी। चुनाव में अमेरिका के ईसाइयों व श्वेत मतदाताओं को उनके पक्ष में लामबंद करने के लिए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रंप ने तो यहां तक का डाला कि "मुझे इस बार वोट दो फिर आपको वोट देने की जरूरत नहीं पड़ेगी, मैं सब फिक्स कर दूंगा।" ट्रंप यही नहीं रुके और यह भी कहा कि देश को बचाने के लिए वोट दें। मैं भी इसाई हूं। उनके इस वक्तव्य से स्पष्ट झलकता है कि उन्होंने चुनाव के शुरुआती दौर में ही अपना धार्मिकता का ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया है अब उनके पास धार्मिक समर्थन लेने के लिए कुछ बचा नहीं है। अमेरिका में उनके इस वक्तव्य की जमकर प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं और विभिन्न संस्थाएं जमकर हमला बोल रही हैं। ट्रंप के इस कट्टरपंथी रवैये के बीच उनकी प्रतिद्वंद्वी और अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की लोकप्रियता का ग्राफ निरंतर बढ़ रहा है, बल्कि मिनीसोटा जैसे राज्य में तो 6% तक आगे निकल चुकी हैं । विस्कानसिन, मिनीसोटा और पेंसिलवानिया जैसे राज्यों में वे बराबर की टक्कर दे रही हैं। कमला हैरिस अपनी पार्टी के बड़े नेताओं का लगातार समर्थन प्राप्त कर रही है पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा -मिशेल ओबामा(दंपति),पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी व पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी कमला हैरिस के प्रति समर्थन जताया है। बराक ओबामा का समर्थन प्राप्त होने से कमला हैरिस के राह की आखिरी अड़चन भी समाप्त हो गई है। अब यह तय हो गया है कि वे आगामी 8 अगस्त को डेमोक्रेट रूल्स कमेटी की तय शर्तों के आधार पर पार्टी की अधिकृत उम्मीदवार घोषित की जाएंगी।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वयं अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल ‘एक्स’ पर कमला हैरिस के नाम पर सहमति जताने का संदेश भी लिखा है। बराक ओबामा ने लिखा, ‘‘ इस सप्ताह मिशेल और मैंने अपनी मित्र @कमला हैरिस से बात की। हम समझते हैं कि वह अमेरिका की शानदार राष्ट्रपति सिद्ध होंगी, इसलिए अपने देश के सामने खड़ी कठिन चुनौती के बीच हम उनका पूर्ण समर्थन करते हैं। हम उनके लिए हर वो काम करेंगे, जिससे वे नवंबर में होने वाले चुनाव में जीत सकें।
कमला हैरिस न केवल पार्टी की ओर से एकमात्र और सशक्त उम्मीदवार हैं बल्कि अपनी पार्टी में जबरदस्त समर्थन प्राप्त कर रही हैं।
दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप ने औपचारिक रूप से अपनी पार्टी के नामांकन को स्वीकार कर लिया है और पार्टी ने भी उन्हें मान्यता दे दी है ।उन्होंने अपने साथी के रूप में ओहयो के जूनियर सीनेटर जे डी वैंस को साथ ले लिया है जो श्वेत श्रमिकों के समर्थक माने जाते हैं और उनकी समस्याओं को निरंतर उजागर करते रहे हैं। निक्की हेली जो ट्रंप की प्रतिस्पर्धी रही हैं,उन्होंने भी ट्रंप को समर्थन दिया है डोनाल्ड ट्रंप अपने ऊपर हुए हमले की सहानुभूति प्राप्त करते हुए लगातार श्वेतों के बीच जा जाकर समर्थन मांग रहे हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में दो दशक पूर्व तक श्वेत और अश्वेत का मुद्दा छाया रहा है। लेकिन 2009 के चुनाव में अमेरिकियों ने बराक ओबामा को जिताकर इस मुद्दे को धराशाई किया था । अब अब फिर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति के चुनाव में श्वेत- अश्वेत और इसाई व गैर इसाईं का मुद्दा भुनाने की फिराक में है,लेकिन 2020 के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप श्वेत वोटों में से 40% वोट ही प्राप्त कर पाए थे। गौरतलब है कि अमेरिका में 67% श्वेत, 13% हिस्पैनिक ,13% अश्वेत, 4% एशियाई और तीन प्रतिशत अन्य वोटर हैं। इस प्रकार से अमेरिका में भारतीय मूल के 20 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटर हैं। अधिकतर भारतीयों ने कमला हैरिस को अपना समर्थन देने का मन बनाया है ।यहां तक की भारतीय मूल के वोटरों में कमला हैरिस ट्रंप से 16% तक आगे निकल चुकी है। इन परिस्थितियों के बीच अब देखना यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव इस बार इसाई और नस्लीय मुद्दे पर लड़ा जाता है या राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जाता है। अमेरिका में धर्म और नस्ल का मुद्दा चल गया तो रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को लाभ होगा और अगर यह दोनों मुद्दे नहीं चल तो कमला हैरिस अमेरिका की प्रथम महिला राष्ट्रपति बन सकती है।
सतीश मेहरा (लेखक राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर हैं)
पूर्व उपनिदेशक
हरियाणा राज भवन