देवभूमि में फूलों से सजी हर घर की दहलीज, बच्चों के साथ मंत्रियों ने भी मनाया उत्सव
Uttarakhand PhoolDei 2023
देहरादून : Uttarakhand PhoolDei 2023: उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा से जुड़ा पर्व फूलदेई आज से मनाया जा रहा है। गढ़वाल व कुमाऊं में विशेष रूप से मनाया जाने वाले इस पर्व पर सुबह फुलारी यानी छोटे बच्चों ने देहरी पूजन कर फूलों से सजाया। अष्टमी के दिन इन फुलारी को लोग मिष्ठान भेंट करेंगे।
पर्वतीय अंचलों में ऋतुओं के अनुसार पर्व मनाए जाते हैं। यह पर्व जहां हमारी संस्कृति को उजागर करते हैं, वहीं पहाड़ की परंपराओं को भी कायम रखे हुए हैं। इन्हीं में शामिल फूलदेई पर्व। वसंत ऋतु के आगमन की खुशी में चैत्र मास की संक्रांति पर आज उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
देहरादून में भी विभिन्न कालोनियों में बच्चों ने देहरी पूजा की। कई सामाजिक संगठन चित्रकला, नृत्य, गीत आदि प्र्रतियोगिता शुरू करेंगे।
कूर्मांचल सांस्कृतिक एवं कल्याण परिषद के अध्यक्ष कमल रजवार ने बताया कि सुबह गढ़ी कैंट क्षेत्र में बच्चों द्वारा आसपास घरों के देहरी पर फूल, चावल से सजाया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री आवास में भी फूलदेई पर कार्यक्रम होगा।
फूलदेई पर भराड़ीसैंण स्थित विस भवन में जीवंत हुई लोक संस्कृति (Folk culture came alive in Vis Bhavan located at Bharadisain on Fuldei)
उत्तराखण्ड के लोक पर्व फूलदेई के अवसर पर भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में बड़ी संख्या में क्षेत्र के बच्चों ने पारम्परिक मांगल गीतों के साथ रंग-बिरंगे प्राकृतिक पुष्पों की वर्षा की। बच्चों के साथ विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डाॅ. धनसिंह रावत, सौरभ बहुगुणा, डाॅ. प्रेम चन्द अग्रवाल, विधायक अनिल नौटियाल आदि ने बच्चों से भेंट कर अपनी लोक संस्कृति एवं लोक परम्पराओं से जुड़ने के लिए उनका उत्साह वर्धन किया।
विधान सभा अध्यक्ष के साथ सभी ने इस पावन पर्व की बधाई देते हुए कहा कि हमारे पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने तथा उसके संरक्षण का संदेश देते हैं। अपनी लोक परम्पराओं एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोये रखने की भी जरूरत बतायी।
राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने दी फूलदेई पर्व की शुभकामनाएं (The Governor and the Chief Minister gave best wishes for the festival of Flowers)
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्त प्रदेशवासियों को फूलदेई पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल ने कहा कि प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक यह लोकपर्व समस्त प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली लेकर आए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सांस्कृतिक दृष्टि से एक अत्यंत समृद्ध प्रदेश है। राज्य की अनूठी परंपराएं जीवंत संस्कृति तथा सुंदर लोकपर्व अपनी अलग पहचान रखते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संदेश में कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में मनाया जाने वाला लोकपर्व फूलदेई हमारी संस्कृति और पहाड़ की परंपराओं को प्रदर्शित करता है। मुख्यमंत्री ने ईश्वर से कामना की है कि यह पर्व सबके जीवन में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली लाए।
यह है धार्मिक महत्ता (it has religious significance)
उत्तराखंड विद्वत सभा के प्रवक्ता आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं के अनुसार, इस बारे में कथानुसार एक बार भगवान शंकर तपस्या में लीन हो गए। कई ऋतु चली गई। ऐसे में देवताओं और गणों की रक्षा के लिए मां पार्वती ने चैत्र मास की संक्रांति के दिन कैलाश पर घोघिया माता को पुष्प अर्पित किए। इसके बाद से ही चैत्र संक्रांति पर फूलदेई का पर्व मनाया जाने लगा।
धाद ने शुरू किया फूलदेई अभियान (Dhad started flower campaign)
पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करने वाली धाद संस्था की ओर से फूलदेई अभियान शुरू हो गया। धाद के सचिव तन्मय ममगाईं ने बताया कि एक महीने तक चलने वाले इस अभियान के तहत राज्य के विभिन्न स्कूलों में बच्चों द्वारा चित्रकला, कविता, कहानी प्रतियोगिता होंगी। इसके अलावा संस्था के सदस्य बाल कवि सम्मेलन, बाल साहित्य पर चर्चा, मातृभाषा में बाल साहित्य पर आनलाइन विमर्श करेंगे।
इस तरह मनाते हैं फूलदेई (This is how flowers are celebrated)
अखिल गढ़वाल सभा के महासचिव गजेंद्र भंडारी बताते हैं कि फूलदेई के दिन छोटे-छोटे बच्चे सुबह ही उठकर फ्योंली, बुरांस, बसिंग आदि जंगली फूलों के अलावा आड़ू, खुमानी, पुलम, सरसों के फूलों को चुनकर लाते हैं।
थाली अथवा रिंगाल से बनी टोकरी में चावल व इन फूलों को सजाकर बच्चों की टोली घर-घर तक पहुंचती है। पर्व के मौके पर बच्चे लोकगीत गाकर सुख-शांति की कामना करते हैं। इसके बदले में परिवार के सदस्यों द्वारा उन्हें चावल, गुड़ व पैसे दिए जाते हैं। इस पर्व का बच्चों को बेसब्री से इंतजार रहता है।
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