The sword hangs on the tickets of senior leaders!

वरिष्ठ नेताओं के टिकट पर लटकी तलवार! भाजपा में मौजूदा विधायकों के लिए आसान नहीं टिकट पाने को राह

The sword hangs on the tickets of senior leaders!

The sword hangs on the tickets of senior leaders!

The sword hangs on the tickets of senior leaders!- चंडीगढ़ (आदित्य शर्मा)। विधानसभा चुनाव में इस बार गठबंधन पार्टियों की एंट्री ने जहां सत्तारूढ समेत अन्य दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है तो दूसरी तरफ टिकट पर तलवार की चिंता सीनियर लीडरों को अंदर ही अंदर खाए जा रही है। बीजेपी में टिकट के दावेदारों को इस बार टिकट की राह कठिन लग रही है। भाजपा की तरफ से सभी 90 विधान सभा हलकों में प्रत्याशियों को लेकर सर्वे करवाया गया। पिछले चुनावों में भी भाजपा ने एक दर्जन से अधिक विधायकों के टिकट काट दिए थे। इनमें मंत्री भी शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा 41 विधायकों में से डेढ़ दर्जन से अधिक विधायकों के लिए टिकट पाना आसान नहीं होगा। अब तक भाजपा द्वारा जुटाए गए फीडबैक  में यह बात सामने आई कि राज्य में पार्टी के प्रति कम बल्कि व्यक्तिगत नाराजगी अधिक है। शायद यही कारण है इस बार पहले से अधिक नेताओं के टिकट कट सकते हैं। हालांकि नेताओं को इस बात की भनक भी लग गई है। सबसे ज्यादा टेंशन मौजूदा विधायक नजर आ रहे हैं।

इन विधायकों के कटे थे टिकट

मनोहर पार्ट-1  में  राज्य मंत्री रहे विक्रम ठेकेदार का टिकट काटा गया था। पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे राव नरबीर सिंह का बादशाहपुर, डिप्टी स्पीकर रहीं संतोष यादव का भी टिकट काटा गया था। साल 2014 में मुलाना विधायक रही संतोष सारवान, रेवाड़ी विधायक रणधीर कापड़ीवास, गुरूग्राम विधायक उमेश अग्रवाल तथा पटौदी विधायक विमला चौधरी का भी टिकट कटा था।

पार्टी सभी सीटों के संभावित प्रत्याशियों के पैनल बनाने में जुटी 

पार्टी के मौजूदा के अलावा 2019 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके नेताओं में से कइयों टिकट पर इस बार तलवार लटकी है। भाजपा का कहना है कि पार्टी सभी सीटों के संभावित प्रत्याशियों के पैनल बनाने में जुटी है। हालांकि, नीतिगत तौर पर पार्टी ये फैसला पहले ही  है कि इस बार चुनावों में पुराने की बजाय नए चेहरों को मौका मिलेगा। भाजपा द्वारा करवाए जा रहे सर्वे के में उन नेताओं के नाम पर ही विचार किया जा रहा है जो टिकट के प्रबल दावेदार हैं। भाजपा दूसरे दलों से आने वाले संभावित नेताओं के नामों पर भी गंभीरता से मंथन कर रही है।

2019 की गलती नहीं दोहराएगी पार्टी

पार्टी नेताओं की माने तो 2019 के विधानसभा चुनाव में कई हलकों में टिकट भी गलत दिए गए थे। इस बार भाजपा यह गलती नहीं दोहराएगी। इतना ही नहीं राजनीतिक पदों पर कार्यरत लोगों को भी फील्ड में भेजा जा रहा है। वे पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करके संभावित प्रत्याशियों के बारे में फीडबैक जुटा रहे हैं। बता दें कि 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा केवल चार ही सीटों पर चुनाव जीती थी। अंबाला कैंट से अनिल विज, तिगांव से कृष्णपाल गुर्जर, सोनीपत से कविता जैन और भिवानी से घनश्याम दास सर्राफ विधायक बने थे। 2014 के लोकसभा चुनावों में राज्य की 10 में से 7 सीटों पर जीत हासिल करने की। जिसके बाद भाजपा ने विधानसभा चुनाव अपने बूते पर लड़े थे।