व्यापारियों की एकजुटता ने दिखाया असर, प्रशासन दिखा नतमस्तक
The solidarity of the traders showed its effect, the administration showed its bow
20 से ज्यादा एसोसिएशनों के नुमाइंदों से बोला प्रशासन, 2 लाख या रोजाना 8 हजार की पैनेल्टी तो अधिकतम कैपिंग
अर्थ प्रकाश/साजन शर्मा
चंडीगढ़। बिल्डिंग वायलेशन व मिसयूज के मसले पर बुधवार को यूटी गेस्ट हाऊस में हुई मीटिंग में पब्लिक के विरोध का जबरदस्त असर दिखाई दिया। मामले में प्रशासन न केवल बैकफुट पर दिखाई दिया बल्कि अधिकारियों के तेवर भी गायब दिखे। यही नहीं बल्कि वर्ष 2007 से बिल्डिंग वायलेशन व पैनेल्टी के जो नोटिस भेजे गए हैं, उसमें भी प्रशासन सरेंडर करता दिखाई दिया। प्रशासन की ओर से मौजूद डीसी विनय प्रताप सिंह की ओर से विभिन्न एसोसिएशनों के नुमाइंदों को कहा गया कि 2 लाख की पैनेल्टी तो अधिकतम है। आपके समझने में दिक्कत हुई है। यह एक रुपये से लेकर 2 लाख रुपये हो सकती है। जिसकी जितनी बड़ी वॉयलेशन होगी, उस पर उस हिसाब से जुर्माना लगेगा। छोटे क्षेत्रफल वाले बिल्डिंग वायलेशन व मिसयूज मामले पर इतनी बड़ी पैनेल्टी नहीं लगेगी। प्रशासन अब कह रहा है कि अभी तक तो यह प्रपोजल ही थे, इसीलिए लोगों की राय मांगी गई है। इस राय को आगे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। कैबिनेट कमेटी इस पर पहले लोगों की राय के अनुरूप विचार विमर्श करेगी और फिर संसद में इसे पास किया जाएगा,तब कहीं जाकर यह बिल की शक्ल लेगा।
22 से ज्यादा एसोसिएशनों के नुमाइंदों ने नीड बेस्ड चेंज का मसला भी मीटिंग में उठाया। इस पर कहा गया कि यह तो स्थानीय स्तर का ही मसला है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई जो कमेटी इस मामले में बनाई गई है, उसमें अपनी मांग के अनुरूप सुझाव भेजो, फैसला वहीं से होगा। एसोसिएशन के सदस्यों की ओर से कहा गया कि अब लोगों की जरूरतें ज्यादा हो गई हैं लिहाजा उसी हिसाब से प्रशासन को भी सोचना होगा। डीसी से मीटिंग करने वाले सदस्यों ने दावा किया कि प्रशासन के अधिकाीर अधिकतर मामलों में उनकी राय से इत्तेफाक रखते दिखे। 2007 के नोटिस वापिस लेने की बात पर भी वो रजामंद दिखे क्योंकि इससे संबंधित मामले अभी कोर्टों में पड़े हैं।
अफसर बोले, 2 लाख की पैनेल्टी की सबसे हाई कैपिंग
बैठक में डीसी सहित अन्य अफसरों ने दलील दी कि बिल्डिंग वायलेशन व मिसयूज के मसले पर 2 लाख की पैनेल्टी सबसे हाई (ऊंची) कैपिंग है। यानि जिस हिसाब से वायलेशन या मिसयूज, उसी हिसाब से जुर्माना। जितने बड़े एरिया की बिल्डिंग, उसी के हिसाब से जुर्माना लगेगा। सभी बिल्डिंग वायलेशन व मिसयूज में यह एक सा नहीं होगा। इसे समझने में कहीं न कहीं चूक हुई है। इस पर चंडीगढ़ ट्रेडर्स एसोसिएशन, सेक्टर 17 के प्रधान कमलजीत सिंह पंछी व चंडीगढ़ बिजनेस कौंसिल के चंद्र वर्मा सहित अन्य कई सदस्यों ने दलील दी कि अगर ऐसा है तो इससे तो भ्रष्टाचार बढ़ेगा। अधिकारी मनमुताबिक जुर्माना लगायेंगे क्योंकि 2 लाख की तो अधिकतम कैपिंग है। इसमें बारगेनिंग की गुंजाइश ज्यादा रहेगी। अफसरों ने इस पर दलील दी कि फिलहाल इस मसले पर लोगों की राय व ऑब्जेक्शंस ले रहे हैं। अभी यह फाइनल मसौदा नहीं है। केंद्रीय कैबिनेट कमेटी व उसके बाद संसद जो फैसला लेगी, वही कानून बनेगा। प्रशासनिक अफसरों ने कहा कि 1952 में बने एक्ट में केवल 500 रुपये की पैनेल्टी का प्रावधान था। इसे 2 लाख तक व 8 हजार व 20 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किया गया है। व्यापारियों व एसोसिएशन ने 5 प्रतिशत वार्षिक बढ़ोतरी पैनेल्टी बढ़ाये जाने पर भी ऐतराज जताया। साथ ही प्रापर्टी की कलेक्टर वैल्यू के हिसाब से 20 प्रतिशत किये जाने का भी विरोध किया। सदस्यों की ओर से कहा गया कि अलग अलग सेक्टरों में कलेक्टर रेट भी अलग अलग है। जब रेट अलग अलग हैं तो वायलेशन या मिसयूज पैनेल्टी एक जैसी कैसे। सदस्यों ने कहा कि कुछ सेक्टरों में तो कलेक्टर रेट के हिसाब से प्रापर्टी की मार्केट वैल्यू ओरिजनल से काफी ज्यादा है। 2007 से प्रशासन ने जो पैनेल्टी प्रापर्टी पर लगाई है, उसमें शोरूम की कीमत से ज्यादा पैनेल्टी बन गई है लिहाजा यह पैनेल्टी के नोटिस विदड्रा किये जाने चाहिएं ताकि व्यापारियों को राहत मिले। व्यापारी संगठनों की ओर से कहा गया कि व्यापारी ग्राउंड फ्लोर को छोड़ अगर पहले फ्लोर पर काम करवाता है तो प्रशासन कनवर्जन चार्जिस मांगता है। आप इसे वायलेशन मानते हो। यहां बता दें कि सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के प्रधान आरके गर्ग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास मसले की शिकायत की थी जिसके बाद पीएम कार्यालय से डीसी को मामला सुलझाने का आदेश दिया गया था। बुधवार को शहर की सांसद किरण खेर ने भी इस मसले पर तल्ख तेवर दिखाए।
कैलाश जैन के पत्र का सांसद ने लिया संज्ञान
चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा बिल्डिंग वॉयलेशन व मिसयूज को लेकर की जारी की गई अधिसूचना को लेकर जहां चंडीगढ़ के व्यापारी एक जुट होकर इसका डटकर विरोध कर रहे हैं, वहीं पर चंडीगढ़ सांसद किरण खेर ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधीश को तुरंत इसके वापिस करने के आदेश दिए हैं। किरण खेर ने उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ के अध्यक्ष कैलाश जैन द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए सांसद किरण खेर ने जिलाधीश को कहा है कि इस कैपिटल ऑफ पंजाब (विकास और विनियमन ) अधिनियम 1952 में संसोधन करने का अधिकार पार्लियामेंट को है, इस मामले पर चंडीगढ़ प्रशासन को खुद इस तरह का आदेश जारी करने का औचित्य नहीं बनता। उन्होंने उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ के अध्यक्ष कैलाश जैन के पत्र का हवाला देते हुए इसे तुरंत वापस लेने के लिए कहा है। मीटिंग में 20 से ज्यादा ट्रेडर्स, इंडस्ट्रियलिस्ट, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के नुमाइंदे मौजूद रहे। यह अमेंडमेंट ऑफ कैपिटल आफ पंजाब (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन), एक्ट 1952 के संदर्भ में बुलाई गई थी। चंडीगढ़ कोर्डीनेशन कमेटी के नुमाइंदों ने कहा कि वायलेशन को नीड बेस्ड चेंज के हिसाब से लेना चाहिए। 2007 से बिल्डिंग मालिकों के ऊपर जो पैनेल्टी व केस हैं उन्हें वापिस लिया जाना चाहिए। बिल्डिंग के अंदर जो चेंज हो उसे नीड बेस्ड चेंज माना जाना चाहिए। पैनेल्टी की अपर कैपिंग होनी चाहिए। रोजाना का फाइनल कम किया जाना चाहिए। यह प्रापर्टी के साइज या वायलेशन के मुताबिक होना चाहिए। डीसी विनय प्रताप सिंह ने कहा कि 2 लाख की पैनेल्टी सभी वायलेशन के लिए नहीं है। जो वायलेशन गंभीर किस्म की होगी, वहीं केवल यह पैनेल्टी लगाई जाएगी। यूटी प्रशासन ऐसे नियम बनायेगा वायलेशन के समानुपात के हिसाब से चार्ज वसूला जाएगा। यह एरिया व वायलेशन के हिसाब से होगी।
मीटिंग में नुमाइंदे बुलाये जाने को लेकर भी विरोध
प्रशासन ने इस मसले पर 6 मई तक लोगों से सुझाव मांग रखे हैं। बड़ी तादाद में लोग इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं अब सामान्य नागरिक व अन्य कई एसोसिएशन के लोग यह बात भी उठाने लगे हैं कि प्रशासन केवल उन्हीं एसोसिएशनों को बातचीत के लिए बुला रहा है जिनसे उनका रोज का राफ्ता रहता है। एस्टेट ऑफिस से इन्हें रोजाना काम पड़ते रहते हैं लिहाजा ये डीसी की बात को टाल नहीं सकते या उनके सामने कड़े शब्दों में विरोध दर्ज नहीं कर सकते। सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के प्रधान आरके गर्ग जिन्होंने यह मसला प्रधानमंत्री के स्तर पर उठाया और वहां से डीसी को इस मसले को सुलझाने के निर्देश मिले, उन्हें मीटिंग में नहीं बुलाया गया। उन्होंने मांग की कि इस मसले को भो ट्रिब्यून फलाईओवर या अन्य मसलों की तरह ओपन फोरम में प्रशासन को सुनना चाहिए ताकि पता लग सके कि कितना जबरदस्त विरोध हो रहा है। प्रशासन की ओर से बुलाई गई मीटिंग में डीसी के अलावा असिस्टेंट एस्टेट अफसर हरजीत संधू व ज्वाइंट सेक्रेटरी एस्टेट सौरभ अरोड़ा मौजूद रहे।
ये रखी कमेटी ने मांगें
वायलेशन को नीड बेस्ड चेंज माना जाना चाहिए, 2007 से आज तक के बिल्डिंग वायलेशन व मिसयूज के केस वापिस होने चाहिए।
बिल्डिंग के अंदर होने वाले बदलाव को नीड बेस्ड चेंज माना जाना चाहिए।
पैनेल्टी की अपर कैपिंग फिक्स की जानी चाहिए। रोजाना का फाइन घटाया जाना चाहिए। यह प्रापर्टी के साइज व वायलेशन के हिसाब से होना चाहिए।
बिल्डिंग मिसयूज की 400 गुणा पैनेल्टी बढ़ाने का था प्रस्ताव
बिल्डिंग मिसयूज की 400 गुणा पैनेल्टी बढ़ाने का प्रस्ताव प्रशासन की ओर से लाया गया। पब्लिक नोटिस के जरिये शहर के लोगों से आपत्तियां मांगी गई। एस्टेट ऑफिस ने 8 अप्रैल को नोटिस की कापी निकाली जिसमें पैनेल्टी 500 रुपये से 2 लाख व प्रतिदिन पैनेल्टी 20 रुपये से बढ़ाकर 8 हजार रुपये करने व इसमें भी सालाना 5 प्रतिशत की बढ़त किये जाने का प्रावधान किया गया है। प्रशासन ने अधिकतम पैनेल्टी लगाये जाने की दर प्रापर्टी का 20 प्रतिशत किये जाने की भी बात कही है। प्रापर्टी की वैल्यू न्यायिक निर्णय के बाद कलेक्टर रेट के हिसाब से तय होगी।