The scorching heat is giving indication of the coming times

Editorial: प्रचंड गर्मी आगामी समय का दे रही संकेत, प्रकृति को बचाओ

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The scorching heat is giving indication of the coming times

The scorching heat is a sign of the future, save nature दिल्ली और उत्तर पश्चिम भारत के पांच राज्यों को कम से कम अगले कुछ दिनों तक गर्मी से राहत नहीं मिलने वाली। गर्मी के तेवर अपने प्रचंड स्वरूप में हैं और पंजाब में मौसम विभाग ने 28 मई तक बेहद तेज लू चलने की आशंका जताई है। निश्चित रूप से यही स्थिति अन्य राज्यों की भी रहने वाली है। हालांकि बंगाल की खाड़ी में बन रहा चक्रवात रेमल गर्मी को कम करने के लिए राहत के झोंके ला सकता है।

वैसे, गर्मियों के मौसम में गर्मी नहीं होगी तो क्या ठंड होगी, ऐसा कहा जा सकता है लेकिन चिंता की बात यह है कि आजकल गर्मियां पहले के वर्षों की तुलना में कहीं अधिक घातक और बे टाइम हो गई लगती हैं। मौसम विभाग रोजाना नई भविष्यवाणी दे रहा है, लेकिन महज कुछ डिग्री तापमान कम होने की खबर किसे खुशी दे सकती है। अगले कुछ हफ्तों तक भी मौसम विभाग ऐसे ही तापमान के बने रहने की संभावना जाहिर कर रहा है। इतनी गर्मी की वजह क्या है?

माना जा रहा है कि राजस्थान की ओर से दक्षिण पश्चिमी हवाएं अपने साथ गर्म हवाएं लेकर आ रही हैं। वहीं कोई निम्न दाब क्षेत्र भी निर्मित नहीं हो रहा। हालांकि इस गर्मी की वजह अब बेहद साफ दिखाई देने लगी है, देश में वन क्षेत्र लगातार कम होता जा रहा है और पर्यावरण को हानि का परिणाम सामने दिख रहा है। देश की राजधानी नई दिल्ली हो या फिर चंडीगढ़, हर जगह आग के गोले बरस रहे हैं। अर्बन जंगल के बीच फंसी जिंदगी इतनी रुआंसी हो चुकी है कि बच्चों को राहत नहीं है, बड़े-बुजुर्ग बेहद परेशान हैं और कामकाजी एवं युवाओं का भी पसीना रुकने का नाम नहीं ले रहा। दिल्ली में तो ऊंची इमारतों के बीच जिंदगी कुछ और ही हो गई है। एसी से निकलने वाली हीट दीवारों के बीच फंस कर जीवन और जोखिमपूर्ण बना रही है।

चंडीगढ़, मोहाली, जीरकपुर, पंचकूला के इलाकों में भी ऐसी ही स्थिति है। अर्बन हीट आइलैंड (कंक्रीट की इमारतों के बीच फंसी गर्मी वाले इलाके) अब चर्चित हो गए हैं। मौसम विभाग के अनुसार यह अर्बन हीट आइलैंड का असर है। जिसकी वजह शहरीकरण और ग्रीन एरिया कम हो गया है। चिकित्सकों की राय है कि इतने अधिक तापमान के अंतर के बीच लोग सुबह और शाम के समय रोज सफर कर रहे हैं, तो उनका बीमार होना तय है। तापमान में अंतर होने पर बॉडी के लिए इसे सहन करना मुश्किल होता है। दरअसल तापमान में अंतर जितना अधिक होगा, उतना ही यह बॉडी के लिए असहज होगा।  

मौसम विभाग के अनुसार अर्बन एरिया में आसपास के एरिया की तुलना में तापमान कुछ अधिक दर्ज होता है। खासतौर पर यह अंतर रात और सुबह-शाम अधिक रहता है। इसे अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट कहते हैं। इसकी कुछ खास वजह हैं। जिनमें शहरी आबादी में वेंटिलेशन कम होने लगता है, ऊंची बिल्डिंगों की वजह से गर्मी ट्रैप हो जाती है, इंसानी गतिविधियों से भी गर्मी बढ़ती है। वहीं, कंक्रीट खुद गर्मी बढ़ाने की वजह है। अब अगर चंडीगढ़ के संबंध में विचार करें तो विशेषज्ञों के अनुसार शहर और इसके आसपास के इलाकों में ऐसा ट्रेंड कायम रहा है कि अगर तापमान 42 से 43 डिग्री हो जाता है तो लोकल क्लाउड फार्मेशन की वजह से बरसात हो जाती है, लेकिन इस बार मई में ही तापमान 44 डिग्री से ऊपर पहुंच चुका है।  

वैसे, इसकी संभावना जाहिर की जा रही है कि अगले दिनों में गर्म हवाएं और तेज हो सकती हैं। चंडीगढ़ समेत दूसरे राज्यों में बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां समय से पहले ही कर दी गई, जोकि उचित ही है। तपती दोपहर में स्कूलों से घरों की तरफ लौटना बच्चों की जान के लिए जोखिम था। निश्चित रूप से यह भविष्य का संकेत भी है, क्योंकि गर्मियां अब ऐसे ही रहने वाली हैं।

वास्तव में आज पूरी तरह से जलवायु परिवर्तन हो चुका है और इसका खामियाजा इंसान को भुगतना पड़ रहा है। बीते दिनों दुबई में बाढ़ आ गई थी। इसी प्रकार उन ठंडे प्रदेशों में अब गर्मी से जिंदगी बेहाल हो रही है, जोकि सैर सपाटे के लिए सबकी पसंदीदा मंजिल होते थे। उत्तराखंड के जंगल जल रहे हैं। भारत एवं विश्व में जिस प्रकार से प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण होता जा रहा है, वह मौसम चक्र को खराब कर रहा है। क्या यह समय प्रकृति की ओर लौटने का नहीं है। भारत में अब ज्यादातर लोग मौसम के बदले स्वरूप से चिंतित हैं, लेकिन जरूरत इसकी है कि हालात को और बिगड़ने से रोकने के लिए सभी मिलकर कदम उठाएं। मौसम चक्र को सही करने की दिशा में कदम उठाने होंगे, पर्यावरण और प्राकृतिक स्रोतों को बचाने के लिए सभी को साथ आना होगा। 

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