The president of Chandigarh Wine Contract Association and other liquor traders alleged

चंडीगढ़ वाइन कांट्रेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष समेत अन्य शराब व्यापारियों का आरोप, मध्यप्रदेश की एक ही कंपनी को दे दिये कई सारे ठेके!

The president of Chandigarh Wine Contract Association and other liquor traders alleged

The president of Chandigarh Wine Contract Association and other liquor traders alleged

The president of Chandigarh Wine Contract Association and other liquor traders alleged- चंडीगढ़। आबकारी विभाग ने इस बार अपनी ही पॉलिसी के विपरीत एक व्यक्ति, कंपनी व फर्म को अधिकतम दस लाइसेंस इकाइयों के नियम को तोड़ दिया। एक ही फर्म को कई सारे ठेके अलॉट कर दिये गये। चंडीगढ़ आबकारी नीति को लेकर शराब की दुकानों के ठेकेदार शुक्रवार को हुई बोली पर कई सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि अधिकांश दुकानें मध्य प्रदेश की एक फर्म को दी गई हैं। चंडीगढ़ वाइन  कॉन्ट्रेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष दर्शन सिंह क्लेर ने आरोप लगाया कि शुक्रवार को हुई नीलामी में टेंडर प्रक्रिया का ठीक से पालन नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि आबकारी नीति के अनुसार, एक कंपनी को नीलामी में 10 ठेके लेने का प्रावधान है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। नीलामी में अलग-अलग ठेकेदारों को ठेके देने के बजाय, उन्हें मध्य प्रदेश की एक ही कंपनी को दे दिया गया। उन्होंने आबकारी विभाग के अधिकारियों को भी इस बाबत शिकायत दी है। उन्होंने कहा कि एक ही फर्म को ठेका देने से न केवल एकाधिकार बढ़ेगा, बल्कि शराब भी महंगी हो जाएगी। उन्होंने मांग की कि नीलामी को रद्द कर नए सिरे से नीलामी प्रक्रिया की जाए अन्यथा वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होंगे। उन्होंने मांग की कि इस नीलामी प्रक्रिया की विजिलेंस, सीबीआई और ईडी से जांच कराई जाए। 

पंजाब की पालिसी को किया फेल 

उधर कई हितधारक यह भी कह रहे हैं कि चंडीगढ़ आबकारी विभाग ने इस बार सभी दुकानों की सुचारु नीलामी कर पंजाब की पालिसी को फेल कर दिया है। इस बार की आबकारी नीति काफी सफल साबित हुई है। आबकारी एवं कराधान अधिवक्ता तथा प्रशासक की सलाहकार परिषद के सदस्य अजय जग्गा ने कहा कि प्रशासन की आबकारी नीति के सफल होने के कई कारण रहे। उन्होंने कहा, यह न केवल नीति की पारदर्शिता और दक्षता को दर्शाता है, बल्कि हितधारकों का सिस्टम में विश्वास भी दर्शाता है। नीलामी को मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया इस बात का स्पष्ट संकेत है कि नीति ने एक निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी माहौल बनाया है, जिससे सख्त नियामक नियंत्रण बनाए रखते हुए सरकार के लिए अधिकतम राजस्व सुनिश्चित हुआ है। उधर विभाग के अधिकारियों के अनुसार आबकारी नीति ने आबकारी नीति के प्रावधानों के अनुसार केवल एक व्यक्ति/संस्था/कंपनी/फर्म को अधिकतम 10 लाइसेंसिंग इकाइयों तक आवंटन को प्रतिबंधित करके कार्टेलाइज़ेशन और एकाधिकार को रोकने का भी प्रयास किया।