जो जींद की धरती राजनेताओं को देती है सत्ता वही विकास की मोहताज, देखिए पूरी खबर
Haryana Assembly Election 2024
हर राजनीतिक व्यक्ति ने जींद से ली सत्ता लेकिन फायदा मिला दूसरे इलाकों को
हरियाणा के पहले सात जिलों में शामिल जींद की स्थिति किसी बड़े गांव से अच्छी नहीं
शहर में मूलभूत सुविधाओं की भी अच्छी खासी कमी
जिले के विकास की योजनाएं बनती रही कुछ तबदील हो गई और कुछ फाइलों में दफन
अर्थ प्रकाश/नीरज सिंगला
जींद। Haryana Assembly Election 2024: महाभारत कालीन और महाभारत की 48 कोस की परिधि के अंतिम छोर पर बसी जींद नगरी का अपना राजनीतिक इतिहास है। अगर बात करें आजादी से पहले की तो यह रियासत होती थी। जहां राजा राज करता था। पैप्सु और संयुक्त पंजाब में यह संगरूर जिले का हिस्सा था। एक नवंबर 1966 को हरियाणा बनने के साथ जींद जिले के रूप में अस्तित्व में आया। हरियाणा में 7 जिले बने, उनमें जींद भी एक जिला था।
जींद को जिला का दर्जा मिले 58 साल हो गए हैं, लेकिन यहां समस्याओं की भरमार है। हरियाणा के हर राजनीतिक व्यक्ति ने सत्ता जींद की धरती से ली। चौधरी देवीलाल ने 1985 में जींद में समस्त हरियाणा सम्मेलन किया। सत्ता मिली, लेकिन जींद को मंत्री तो मिले, लेकिन का मंत्र नहीं मिला। 1991 के चुनाव के ठीक पहले भजनलाल ने जींद से चुनाव का आगाज किया। यह वह समय था जब भजनलाल की कुर्सी खतरे में थी। दिल्ली दरबार में बीरेंद्र सिंह की तूती बोलती थी। दिल्ली से चंडीगढ़ की 200 किलोमीटर की दूरी में भजनलाल को सीएम बनाने की पटकथा लिखी गई। चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक में जींद जिले के एक विधायक ने भजनलाल का नाम रखा और जिले के ही दूसरे विधायक ने समर्थन किया और भजनलाल सीएम बन गए। 1996 के चुनाव से पहले बंसीलाल ने जींद में प्रदेशस्तरीय रैली की और सत्ता ली। सत्ता का असली मजा भिवानी ने लूटा। 2000 के चुनाव से पहले ओमप्रकाश चौटाला ने जींद से न केवल शंखनाद किया, बल्कि जींद जिले की नरवाना सीट से विधायक भी बने, नरवाना में कुछ काम हुआ, लेकिन ऐसा कोई काम नहीं हुआ, जिसे दशकों तक याद किया जाए। फिर आए भूपेंद्र सिंह हुड्डा। जींद से दिल्ली की क्रांति पदयात्रा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश स्तरीय नेता बना दिया और भजनलाल के समर्थकों के बीच वह सीएम बन गए। भाजपा के सत्ता में आने की नींव भी जींद ने रखी थी।
सच तो यह है कि जींद को जिले के रूप में अस्तित्व में आए 58 साल भले ही हो गए हों, लेकिन आज भी यह है एक बड़े गांव से ज्यादा कुछ नहीं है। यहां के लिए योजनाएं तो बनती रही लेकिन वह फाइलों में दफन होती रही। शहर में न तो पीने का पानी है और ना ही सीवर की व्यवस्था ठीक है। सीवर जाम रहते हैं और पीने के पानी में सीवर का पानी मिक्स होकर आने की समस्या आम बात है। बारिश के दिनों में बरसाती पानी की निकासी न होने के कारण जल भराव की समस्या नई नहीं है। शहर में ऑटो मार्केट बनाने और शहर से डेरियों को बाहर निकालकर एक जगह करने की योजना कई बार बनी और हर बार उसे टाल दिया गया।
हर पार्टी ने की अनदेखी
कांग्रेस बीजेपी पर और भाजपा कांग्रेस पर भले ही आरोप लगाएं लेकिन हकीकत यह है कि हर पार्टी ने जींद की अनदेखी करने का काम किया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राज में मुख्य सड़कों का हाल यह है था कि जींद जिला कहां से शुरू होता है इसका पता गाड़ी में बैठे व्यक्ति को गड्ढों से लग जाता था। 1996 में बंसी लाल के समय में बृजमोहन सिंगला ने जींद के बाईपास की फाइल तैयार करवाई थी तब कहा गया था कि यह बाईपास बनने से जींद को 20 साल जाम की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। इसे सरकारी काम का ढर्रा कहा जाए या कुछ और यह बाईपास 20 साल बाद ही बना।
मेडिकल कॉलेज
भाजपा ने जींद को मेडिकल कॉलेज की सौगात दी, लेकिन यह पिछले 10 सालों से बन ही रहा है। अभी तक इसका 80% काम हुआ है। 3 सालों से यहां पर ओपीडी शुरू होने की बात कही जा रही है, लेकिन जिस रफ्तार से काम हो रहा है, लगता नहीं है कि यह आने वाले 2 साल में भी पूरा हो पाएगा। मेडिकल कॉलेज के अभाव में जींद का नागरिक अस्पताल रेफरल एजेंसी बना हुआ है। हर रोज यहां से बड़ी संख्या में मरीजों को रोहतक पीजीआई रेफर किया जा रहा है। जींद के लोग रोहतक धक्के खाने पर मजबूर हैं।
पीने का पानी
आज से लगभग आधी सदी पहले जींद का पीने का पानी काफी साफ सुथरा और मीठा होता था लेकिन भूमिगत जल का इस कदर दोहन हुआ कि अब यह पानी जहर हो गया है। पिछले 5 सालों से जींद में भाखड़ा का पानी लाने की बात कही जा रही है लेकिन यह योजना कब तक सिरे चढ़ेगी यह कहना मुश्किल है।
रोजगार
जींद जिला रोजगार की दृष्टि से हरियाणा के अति पिछड़े जिलों में शामिल है। यहां पर जो पहले उद्योग थे वह भी बंद हो चुके हैं और किसी नए उद्योग की आधारशिला नहीं रखी गई है। सरकारी नौकरियों में भी जींद जिले के साथ भेदभाव होता रहा है। रोजगार के अभाव में जींद का युवा अपने रास्ते से भटक रहा है और वह नशे की दलदल में धंसता जा रहा है। जिले में नशे का कारोबार पिछले 20 सालों में 20 गुना से ज्यादा बढ़ गया है। शहर की स्लम कॉलोनियों में सरेआम नशा बिकता है। भिवानी रोड की एक कॉलोनी में तो नशा बिकने को लेकर पिछले दिनों काफी बवाल भी हुआ था। इसके अलावा जींद के पटियाला चौक की कॉलोनियों के साथ-साथ और अन्य कॉलोनियों में भी सरेआम नशा बिक रहा है।
सीवर व्यवस्था
शहर में सीवर व्यवस्था का जनाजा निकला हुआ है। सीवर जाम रहते हैं। शहर में 6 महीने से ज्यादा समय पहले सीवर का कुछ काम शुरू हुआ था लेकिन यह काम अभी तक चल ही रहा है। 6 साल पहले वैद्य हुई कॉलोनियों में भी अभी तक सीवर व्यवस्था चालू नहीं हुई है।
सबसे बड़ी और सबसे छोटी जीत
जींद विधानसभा सीट पर सबसे बड़ी और सबसे छोटी जीत का रिकॉर्ड बृजमोहन सिंगला के नाम है। 1982 के चुनाव में बृजमोहन सिंह लाल लोक दल की टिकट पर मांगेराम गुप्ता के मुकाबले मात्र 146 वोटों से चुनाव जीते थे। जींद विधानसभा पर यह सबसे कम अंतर से जीत का रिकॉर्ड है। 1996 में बृजमोहन सिंगला ने हरियाणा विकास पार्टी की टिकट पर मांगेराम गुप्ता को 18558 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। यह जींद विधानसभा सीट पर अब तक का सबसे ज्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड है।
एक राजनीतिक इतिहास यह भी
जींद विधानसभा सीट से कोई भी प्रत्याशी या कोई भी पार्टी आज तक हैट्रिक नहीं लगा पाई है। लगातार दो बार विधायक बनने का रिकॉर्ड पहले बाबू दया कृष्ण ने बनाया। वह 1967 और 1968 में विधायक बने। हैट्रिक मौके पर वह दलसिंह से चुनाव हार गए। इसके बाद लगातार दो बार विधायक मांगेराम गुप्ता बने। मांगेराम गुप्ता 2000 और 2005 में विधायक चुने गए। 2009 के विधानसभा चुनाव में हैट्रिक मौके पर वह डॉक्टर हरी चंद मिढ़ा से चुनाव हारे। 2009 और 2014 में डॉक्टर हरी चंद मिढ़ा चुनाव जीते लेकिन 2018 में उनका निधन हो गया। 2019 के विधानसभा उपचुनाव में डॉक्टर हरी चंद मिढ़ा के बेटे डॉक्टर कृष्ण मिढ़ा ने जीत दर्ज की। 2019 में ही डॉक्टर कृष्ण मिढ़ा दूसरी बार लगातार विधायक बने। अगर इस बार वह विधायक बनते हैं तो यह उनकी हैट्रिक होगी जो इस क्षेत्र में पहली होगी। साथ ही भाजपा भी यहां हैट्रिक लगाने वाली पहली पार्टी बन जाएगी।
कांग्रेस के मुंह से विकास शब्द शोभा नहीं देता : कृष्ण मिढ़ा
भाजपा विधायक डॉ कृष्ण मिढ़ा ने कहा कि कांग्रेस के मुंह से विकास शब्द अच्छा नहीं लगता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राज में जींद का बाईपास फाइलों से बाहर नहीं निकल पाया। भाजपा के राज्य में ही उसे बनाया गया। जींद के सभी राजमार्ग बनकर तैयार हो गए हैं। शहर की सड़क ठीक करवाई गई है। सीवर व्यवस्था और अमृत योजना को सुचारू रूप से चलाया गया है। पहले बरसात के सीजन में पानी की निकासी न होने पर लोग परेशान होते थे, लेकिन अब एक से डेढ़ घंटे में पानी की निकासी हो जाती है। मेडिकल कॉलेज बनाकर लगभग तैयार हो गया है। भाखड़ा का पानी जींद में लाने का काम शुरू हो गया है। अगले एक से डेढ़ साल में जींद को भाखड़ा का पानी पीने के लिए मिलने लगेगा। साथ ही अब जींद में बड़े उद्योगों की स्थापना के लिए प्रयास किया जा रहे हैं और जल्दी ही इन्हें सिरे चढ़ाया जाएगा। कांग्रेस के राज में जींद में जो भी बड़ा उद्योग आया उसे कांग्रेस दूसरे इलाकों में ले गई। एक उद्योग जींद से बदलकर कालका ले जाया गया ताकि चंद्र मोहन के इलाके में बेरोजगारी दूर हो सके। जींद के विकास पर कितना पैसा पिछले 5 साल में लगा है उतना पैसा हरियाणा बनने के बाद 53 सालों में भी नहीं लगा था।
डॉ कृष्ण मिढ़ा, विधायक जींद
कोई योजना नहीं उतरी धरातल पर : महावीर गुप्ता
सरकार समान विकास का दावा तो करती है लेकिन वह एक ऐसी योजना बताए जो उसने बनाई हो और धरातल पर उतर गई हो। मेडिकल कॉलेज 10 साल से बन ही रहा है। पीने का पानी 5 साल से कागजों में आ ही रहा है। अगर हमारी सरकार बनी तो पीने का पानी प्राथमिकता के आधार पर देने का काम करेंगे और युवाओं को रोजगार का साधन मुहैया करवाएंगे। व्यापारियों को सुरक्षा देना और कानून व्यवस्था की स्थिति को सुदृढ़ करना उनकी प्राथमिकता होगी।
महावीर गुप्ता, 2019 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी एवं वर्तमान में कांग्रेस टिकट के दावेदार।
10 साल में नहीं हुआ कोई विकास का काम : विजेंद्र रेढू
10 साल में भाजपा की सरकार ने जींद के विकास की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। थोड़ा बहुत जो विकास हुआ है वह कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गया है। अस्पताल में डॉक्टर नहीं है, स्कूलों में मास्टर नहीं है और शहर की गलियां और सड़कें ब्लाकों की बनाकर शहर को गांव से भी बदतर बना दिया है। हमारी सरकार बनी तो ब्लाकों की सड़क को तारकोल और बजरी की बनाया जाएगा। शिक्षा और चिकित्सा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा तथा युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जाएगा।
विजेंद्र रेढू, प्रदेश प्रवक्ता इनेलो
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