सारदा पीठम का इतिहास ख़त्म कर रहा है टीडीपी सरकार द्वारा : हिंदू समाज के श्रद्धालु

सारदा पीठम का इतिहास ख़त्म कर रहा है टीडीपी सरकार द्वारा : हिंदू समाज के श्रद्धालु

History of Sarada Peetham

History of Sarada Peetham

तेलुगु देशम गठबंधन सरकार ने सरकारी जमीन बता कर एक सप्ताह के अंदर शारदा पीठ को खाली करने का नोटिस दिया

(बोम्मा रेड ड्डी )

विशाखापत्तनम : History of Sarada Peetham: (आंध्र प्रदेश) शारदा शक्ती पीठम की कई दशक पहले वर्षों में स्थापित हुआ उसे समय से आज तक नित्य हवन पूजन लाखों श्रद्धालु की प्रतिष्ठित स्वरूपानंद स्वामी की पूजा अर्चना व्यर्थ गई एक सरकारी नोटिस से सरकार का गंदा नियत और अधिकारियों के माध्यम से घिनौना हरकत सामने आ रही है कुछ दिन पहले कडपा जिले के काशी नैना आस्था के आश्रम मंदिरों को तोड़ा गया अब शक्तिपीठों को तोड़ने का कार्यक्रम चालू हो गया यही सरकार विगत 5 साल पहले कृष्णा नदी के पुण्य नदी के तट पर 56 मंदिरों को जो सैकड़ो वर्ष थे उनको भी तोड़ा गया इसके विरोध में देश के सारे वेद पंडित आकर शंखानंद करके इस दुर्भावना के प्रशासन को उनके इस हरकत का बड़ी निंदा किया था आम आंध्र के तेलुगु देशम सरकार के ऊपर जनता में उनके प्रति श्रद्धा तो खत्म हो चुकी थी लेकिन यही तेलुगू देशम पार्टी राजनीतिक स्वार्थ प्राप्त करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के चंद नेताओं को अपने झोली में डालकर गठबंधन बनाए और वही पुरानी आलाप को पुनः स्थापित करते हुए मंदिरों को आश्रमों को तोड़ने का काम चालू कर दिया अब एक नया रूप विशाखापट्टनम में शारदा पीठ को तोड़ने का आदेश अधिकारियों को बलपूर्वक प्रयास के पूरी संभावनाएं लिखित में दिख रही है भले भारतीय जनता पार्टी हिंदू धर्म या हिंदू तोता का आस्था के अपने झोली में डालना चाहता है लेकिन आंध्र प्रदेश में इसके विपरीत है उनके विरोध में आग बबूला की स्थिति पैदा हो गई है गुडबाजी बनाना लोगों को स्वार्थ के लिए उपयोग करना उसके बाद अलग कर देना यह उनकी नीति बन चुकी है और यही नीति को तेलुगू देशम अमल करना चाहता है कि भारतीय जनता पार्टी को दो खेलों में कैसे बनता जाए सही बात यही है अनेक मंदिरों को तोड़ने के पीछे एक बहुत बड़ा मुद्दा है और वह मुद्दा दो नहीं तीन नहीं कर के मुंह में बांट देगा भ्रष्टाचार स्कैन सीबीआई जैसे मार्बल से लिफ्ट लोगों को भारतीय जनता पार्टी समर्थन देकर जीतने के बाद दैविक आराधना करने वाले शक्तिपीठ और आश्रमों को तोड़ने का काम कर रहा है यह बहुत बड़ा गंभीर विचार है कहा शक्तिपीठ के आस्था से जुड़े कई श्रद्धा लोगों ने इसकी भारी निंदा की है । समाचार पत्र को शक्तिपीठ को दी गई नोटिस की प्रति को लेकर पेंडुरथी तहसीलदार ने सरकारी जमीन पर स्थित शारदा पीठ को हटाने का नोटिस जारी किया है इसके बारे में जब उनसे चर्चा किया तो वह बताएं की मात्रा 22 डिसमिल जमीन सरकारी होने का हमारे निरीक्षण से पाया गया है जब यह पूछा गया कि इतने वर्षों से 20 साल से ज्यादा हो गया तब इस प्रश्न को क्यों नहीं किया गया आज इस बात को क्यों पूछा जा रहा है तो इसका जवाब उनके पास नहीं था स्पष्ट हो गया कि सरकार इसके पहले भी शारदा पीठ के विरोध में काम किया और अभी भी कर रहा है और आगे भी करेगा यह कुछ अधिकारियों ने अपना नाम बताने से कतराते हुए कहा राजनीतिक दबाव के वजह से हम मजबूर हैं कहा 

       . सारदा पीठ के खिलाफ आरोप यह है कि शहर के चोर चिन्नामुशिदिवाड़ा, सर्वे नंबर 90 में, सरकार की 22 सेंट जमीन पर (पोरम्बोकु) लावारिस जानवरों के चारागाह के रूप में जो जमीन था के पर अतिक्रमण किया गया जो लगभग तीन दशक से पीठ के अधीन में ही है जबकि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है और कई बार है सनी भी हुई की 12 वर्ष से अधिक किसी जमीन पर किसी व्यक्ति का अतिक्रमण है इसका स्वामित्व रहा है वह भूमि हस्तांतरण उसके नाम से किया जा सकता है सवाल यहां आस्था का है उसके बावजूद भी उसको हटाने के पीछे पहले से बहुत प्रयास चला रहा अब वह जो है यह सरकार आने के बाद उसे सफल कर शक्तिपीठ को हटाना चाहती है अगर इस आस्था के शक्तिपीठ पर गलत निर्णय लिया गया तो बहुत बड़ी भयानक स्थिति की संभावनाएं आंदोलन आगजनी धरने बाजी भी होने की संभावना है कहा। स्थिति को देखते हुए समय से पहले ही रविवार को तहसीलदार ने सात दिन के अंदर निर्माण हटाने, खाली करने और यहां से शक्तिपीठ को हटाकर खाली कर चले जाने का नोटिस जारी किया है ।

इसके पहले भी कई अधिकारियों को विपक्ष में रहते हुए भी तेलुगू देशम पार्टी के नेताओं पर दबाव बनाया गया था इस खाली करने के लिए लेकिन आध्यात्मिक भावनाओं को मध्य नजर रखते हुए एक शक्तिपीठ को स्थापना करने में बहुत से समय और यंत्रों की स्थापना होती है जिसे हटाना संभव नहीं है कहकर वाईएसआर पार्टी ने उसे समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में उसे निरस्त करते हुए शक्तिपीठ को बनाए रखने की हिदायत दी गई थी आप उसे खाली करवाने के पीछे कुछ सामाजिक तत्व लोग होने का समझ में आ रहा है जिस जमीन से वह अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं यह एक बहुत लंबी विषय है लेकिन शक्तिपीठ को हटाया गया तो बहुत बड़ी विपत्ति भी संभावना दिख रही है।