हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात कांस्टेबल के पदोन्नति करने से संबंधित रियायती आदेश को अवैध ठहराया, समानता के अधिकार का उल्लंघन
- By Arun --
- Thursday, 20 Jul, 2023
The High Court invalidated the concessional order related to the promotion of the constable posted i
शिमला:हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात कांस्टेबल के पदोन्नति करने से संबंधित रियायती आदेश को अवैध ठहराया है। आठ दिसंबर 2020 को सरकार ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात पीएसओ को हेड कांस्टेबल बनाने के लिए स्थायी आदेश जारी किए थे।
इसके अनुसार मुख्यमंत्री के पीएसओ को पदोन्नत करने का प्रविधान करते हुए शर्त रखी थी कि जिस कांस्टेबल ने तीन साल से अधिक का समय मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगाया हो उसे विशेष रियायत के 10 प्रतिशत कोटे के तहत हेड कांस्टेबल बनाया जाएगा।
एक साल में केवल एक कांस्टेबल को पदोन्नत किया जाएगा
एक शर्त यह भी थी कि एक साल में केवल एक कांस्टेबल को पदोन्नत किया जाएगा। यह रियायत मुख्यमंत्री के पीएसओ तक सीमित की गई थी। उक्त आदेश को जारी करने का कारण बताते हुए सरकार का कहना था कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात कांस्टेबलों की जिम्मेदारी अधिक होती है। उन्हें 24 घंटे तैनात रहना पड़ता है। उन्हें मुख्यमंत्री के प्रदेश और देश दौरे के दौरान साथ रहना पड़ता है।
मुख्यमंत्री को ज्यादा खतरे का भय रहता है
अन्य गण्यमान्यों की तुलना में मुख्यमंत्री को ज्यादा खतरे का भय रहता है, जिससे निपटने के लिए मुख्यमंत्री के पीएसओ को अतिरिक्त श्रम करना पड़ता है। हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की सुरक्षा में तैनात पीएसओ ने उक्त आदेश का लाभ केवल मुख्यमंत्री के पीएसओ तक सीमित करने को गैरकानूनी ठहराते हुए उन्हें भी विशेष रियायत में शामिल करते हुए पदोन्नति का लाभ देने के लिए याचिका दायर की थी।
सरकार के स्थायी आदेश को अवैध ठहराते हुए इसे रद कर दिया
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने याचिका को रद करने के साथ सरकार के स्थायी आदेश को अवैध ठहराते हुए इसे रद कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री के पीएसओ व अन्य गण्यमान्यों की सुरक्षा में तैनात पीएसओ की सेवाओं में कोई अंतर नहीं है।
जैसे मुख्यमंत्री संवैधानिक पद पर आसीन हैं वैसे राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष, हाई कोर्ट के न्यायाधीश व मंत्री भी आसीन हैं। सरकार का निर्णय समानता के अधिकार का उल्लंघन है।