The final strike on terrorism in the valley is now necessary

घाटी में आतंकवाद पर अब अंतिम प्रहार जरूरी

The final strike on terrorism in the valley is now necessary

The final strike on terrorism in the valley is now necessary

The final strike on terrorism in the valley is now necessary- जम्मू-कश्मीर में (Terrorism) आतंकवाद के खिलाफ जहां (Bhartiya Suraksha Bal) भारतीय सुरक्षा बल और (Agency) एजेंसियां जंग लड़ रही हैं, वहीं (Kashmiri Hindu) कश्मीरी हिंदुओं का संघर्ष भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। (Terrorist) आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट की ओर से 56 हिंदू (Government Employee) सरकारी कर्मचारियों की सूची जारी कर हमले की धमकी देना अपने आप में बेहद चिंतित और डराने वाली बात है। आतंकियों की धमकी और बीते कुछ समय के दौरान उनकी ओर से कश्मीरी हिंदुओं पर लगातार हमले यह बताते हैं कि आतंकी और (pakistan) पाकिस्तान में बैठे उनके आका बौखला गए हैं।

घाटी में अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद पाक की वैश्विक मंचों पर खीझ जहां लगातार सामने आ रही है, वहीं घाटी में उसके आतंकी हिंदुओं की टारगेट कीलिंग कर रहे हैं। आखिर ऐसा कैसे संभव हो रहा है कि (Government) सरकार में बैठे हिंदू कर्मचारियों की जानकारी आतंकी संगठनों तक पहुंच रही है। क्या यह माना जाए कि (Government) सरकारी तंत्र में आतंकी समर्थक घात लगाए बैठे हैं और वही इसकी जानकारी आतंकियों को मुहैया करवा रहे हैं। घाटी में आतंक के अभी तक जारी रहने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि घाटी का एक वर्ग (Pakistan) पाकिस्तान और उसके भेजे आतंकियों के प्रति मोह रखता है। वह वर्ग जहां पत्थरबाजी में आगे रहता है वहीं (Political) राजनीतिक मंचों पर (Pakistan) पाकिस्तान के प्रति अनुराग दिखाता है। वही वर्ग आतंकियों को छिपने की जगह मुहैया कराता है और अब वही संभवत: कश्मीरी हिंदुओं की जानकारी आतंकियों को दे रहा है।

गौरतलब है कि कर्मचारियों की जिस सूची का जिक्र हो रहा है, उसमें कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों के नाम और उनके पुराने एवं नए ड्यूटी स्थल का भी पूरा ब्योरा है। इनमें अधिकांश अध्यापक वर्ग से हैं और उनकी तैनाती श्रीनगर में ही है। इसके बाद (Kashmiri Hindu) कश्मीरी हिंदुओं की यह मांग कि उन्हें कश्मीर से बाहर नियुक्त किया जाए, सही लगती है। केंद्र सरकार की ओर से घाटी में आतंकवाद को खत्म करने के प्रयास लगातार जारी हैं, लगभग रोजाना कहीं न कहीं आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है।

बावजूद इसके (Kashmiri Hindu) कश्मीरी हिंदुओं पर संकट टलता नजर नहीं आता। उनकी (Target Killing) टारगेट कीलिंग कश्मीरी (Hindu) हिंदू समाज को उद्वेलित करती है, आखिर बरसों से घाटी से पलायन करने, अपने परिजनों की लाशों को देखने के अलावा कश्मीरी हिंदुओं को और क्या हासिल हुआ है। यह भी कैसी तौहीन है कि उनके संघर्ष पर जब एक फिल्म बनती है तो उसका भी मजाक बना दिया जाता है और एक राजनीतिक दल को स्पांसर बताते हुए विधानसभाओं में खड़े होकर (CM) मुख्यमंत्री एवं उनके चहेते मखौल बनाते हैं। कश्मीरी के उन सभी लोगों जोकि भारत के संविधान में आस्था रखते हैं और इस स्वर्ग से सुंदर इस (State) राज्य की खुशहाली चाहते हैं के लिए आतंकवाद भयानक दौर है, जिसका खात्मा होना जरूरी है लेकिन उन लोगों का क्या, जोकि इसी धरती के मूल वासी हैं और जिनकी पहचान हिंदू होना है, उनसे उनका जीवन छीना जा रहा है।

दरअसल, इन आरोपों पर सरकार को संजीदा होना चाहिए कि कश्मीर के हालात छिपाए जा रहे हैं। कश्मीरी हिंदुओं के संगठन पनुन कश्मीर के नेता ऐसे आरोप लगा रहे हैं। उनके इन आरोपों में सच्चाई हो सकती है लेकिन यह भी सच है कि केंद्र एवं उनकी सुरक्षा एजेंसियों की ओर से कोई ढील नहीं बरती जा रही। अगर ऐसा न होता तो घाटी में हालात बद से बदतर हो चुके होते। हालांकि पनून कश्मीर के इस बयान को समझा जाना चाहिए कि राज्य में आतंकी संगठन ने जो हिटलिस्ट जारी की है, वह बताती है कि आतंकियों का नेटवर्क काफी मजबूत है।

ऐसे में (Government) सरकार को उन लोगों की जान की हिफाजत के लिए हर वह कदम उठाना चाहिए जोकि वह उठा सकती है। (Kashmiri Government) कश्मीरी सरकारी हिंदू कर्मचारी अगर इसकी मांग कर रहे हैं कि उन्हें कश्मीर में नियुक्त नहीं किया जाए तो यह स्वीकार किया जाना चाहिए। सरकार का कार्य उन कर्मचारियों से केवल ड्यूटी लेने का नहीं है, अपितु उनकी जान और माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उसकी है।

घाटी में इस वर्ष मई से टारगेट कीलिंग की वारदातों में इजाफा देखने को मिला है। जब भी किसी कश्मीरी हिंदू को निशाने पर लिया जाता है तो (Administration) शासन-प्रशासन की ओर से इसकी निंदा की जाती है, हालांकि अब वह समय बीत जाना चाहिए। (Central Government) केंद्र सरकार की ओर से गुलाम कश्मीर को वापस लिए जाने की बात कही जा रही है, वहीं सेना भी इसके लिए किए जाने वाले ऑपरेशन को तैयार दिखती है। हालांकि गुलाम कश्मीर को हासिल करने से पहले हमें घाटी में आतंकवाद का समूल नाश करना होगा।

यह कार्रवाई अकेले केंद्र एवं उसकी (Surksha agency) सुरक्षा एजेंसियों के बूते संभव नहीं है। (Kashmiri) कश्मीरी हिंदुओं की हत्याओं के लिए राजनीतिकों के वे बयान भी जिम्मेदार हैं, जोकि अब भी पाकिस्तान से बातचीत के हिमायती हैं। वे राजनीतिक भारत की सुरक्षा पर पल रहे हैं लेकिन उनकी मूल भावना पाकिस्तान की तरफ झुकी हुई है। अगर घाटी में इस तरह की आवाजें आनी बंद हो जाएं जिनमें (Pakistan) पाकिस्तान का राग अलापा जाता है तो यकीनन (Target Killing) टारगेट कीलिंग भी बंद हो जाएंगी और आतंकियों के साथ उन्हें शह देने वालों की भी पहचान सबके सामने आ जाएगी। कश्मीर का मामला अब किसी भी तरह दोपक्षीय नहीं रहा है, यह भी सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है। पाक की ओर से वैश्विक मंच पर इसका दुष्प्रचार किया जा रहा है, जोकि अनुचित है। कश्मीर भारत भूमि का अभिन्न अंग था और रहेगा। आतंकवाद पर अब अंतिम प्रहार का समय आ गया है। 

 

यह भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें: