एमरजैन्सी-काल भारतीय लोकतन्त्र का काला अध्याय था. --डा. वेद प्रताप वैदिक ।

एमरजैन्सी-काल भारतीय लोकतन्त्र का काला अध्याय था. --डा. वेद प्रताप वैदिक ।

एमरजैन्सी-काल भारतीय लोकतन्त्र का काला अध्याय था. --डा. वेद प्रताप वैदिक ।

एमरजैन्सी-काल भारतीय लोकतन्त्र का काला अध्याय था. --डा. वेद प्रताप वैदिक ।

चन्डीगढ, 25 जून -- एमरजैन्सी की 47वी बरसी पर आज चन्डीगढ मे एक  "वैबिनार" का आयोजन किया गया ।  जिसमे मुख्य वक्ता के तौर पर  डा. वेद प्रताप वैदिक, अन्तरराष्ट्रीय ख्याति-प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार, नई दिल्ली ने "एमरजैन्सी की 47वी बरसी" विषय पर अपने  विस्तृत विचार रखे और आपातकाल को भारतीय लोकतन्त्र का एक काला अध्याय बताते हुए कहा कि उस समय प्रैस  पर सेन्सरशिप लगा कर, नागरिक अधिकारों का गला घौन्ट दिया गया था । श्री अजय बिश्नोई, पूर्व कैबिनेट मन्त्री, मध्य प्रदेश सरकार.. एवं.. वर्तमान भाजपा विधायक, जबलपुर ने विशिष्ट वक्ता के तौर पर, आपातकाल की अपनी 19 महीने 2 दिन की जेल-यात्रा के अनुभव श्रोताओ से साझा किए।  इनके अतिरिक्त पवन कुमार बंसल, जनसत्ता-फेम, वरिष्ठ पत्रकार,  गुरुग्राम ने बताया कि एमरजैन्सी लगने के दिन वह नरवाना मे कालेज मे पढता था । उन दिनो यह नारा सब की जुबान पर था - "एमरजैन्सी के तीन दलाल--इन्दिरा, सन्जय, बन्दी लाल ।  रिवाडी के सोशल -एक्टिसिट एवम  एडवोकेट श्री नरेश चौहान "राष्ट्रपूत"ने कहा कि "बरसी" दिवंगत आत्मा की शांति के लिए मनाई जाती है । मृतक के अच्छे बुरे कामों को बरसी पर याद किया जाता है । आज आपातकाल की घोषणा की 47वीं बरसी पर हम उसी भाव से आपातकाल के दौर की अच्छाई व  बुराई का अपना अनुभव सांझा कर रहे हैं । भाई अरुण जोहर साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने इस मीटिंग में ऑनलाइन जुड़ने का हम सबको अवसर प्रदान किया । 25 जून 1975 को मेरा बी.ए फाइनल का रिजल्ट आया था । वैश्य कॉलेज भिवानी से मैंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी । आपातकाल लगने से पहले तानाशाही व मुख्यमंत्री के छोटे पुत्र सुरेंद्र सिंह की शासन प्रशासन में बेलगाम दखलअंदाजी को बहुत नजदीक से देखने और भुगतने का अवसर प्राप्त हुआ । 1974 का रिवासा कांड जिसने बंसीलाल की सरकार को हिला दिया था । पूरे देश का विपक्ष भिवानी में डेरा जमाए हुए था । उस दौर को भुलाया नहीं जा सकता । रिवासा कांड का पीड़ित भंवर सिंह कॉलेज में हमारा सहपाठी था । कर्नल वीरेंद्र सिंह परमार, ठाकुर बीर सिंह एडवोकेट किस प्रकार उस तानाशाही दौर में शासन से लड़ने में एक सफल नेतृत्व दे पाए, भले ही आपातकाल में ठाकुर बीर सिंह के परिवार के चार-चार मैैम्बर 19 महीने जेल की यातनाऐं भुगत कर आए । आपातकाल के बाद ठाकुर बीर सिंह भिवानी से विधायक बने और हरियाणा सरकार में एक प्रभावशाली मंत्री भी बने । 
 राजनीतिक नंबर बनाने के चक्कर में पुलिसिया दमनकारी चक्कर चला कर नसबंदी के आंकड़े जुटाना जहां सरकार को बहुत महंगा पड़ा वहीं आपातकाल में रेलों का आवागमन, सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी अधिकारियों की समय पर हाजिरी, बाजार में दुकानों पर रेट लिस्ट लगाना, भ्रष्टाचार व जमाखोरी पर अंकुश आदि कुछ अच्छे काम भी देखने को मिले । परिवार नियोजन और नसबंदी आज लोग स्वेच्छा से पालना कर रहे हैं । 
एक बार पुनः आपातकाल की दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भगवान से प्रार्थना है कि देश में फिर किसी हुक्मरान की ऐसी तानाशाही व आपातकाल लगाने की हिम्मत ना हो  । 
 
  वैबिनार के सन्योजक अरुण जौहर बिश्नोई,  एडवोकेट, पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट, चन्डीगढ (हिसार वाले)  तथा चन्डीगढ की प्रोफेसर डा. मोनिका  अग्रवाल ने भी एमरजैन्सी-काल के काले  दिनो को याद किया  ।