Editorial: खालिस्तान का सपना नहीं होगा पूरा, पंजाब की सुरक्षा सर्वोपरि
- By Habib --
- Tuesday, 21 Mar, 2023
The dream of Khalistan will not be fulfilled
The dream of Khalistan will not be fulfilled पंजाब की सीमाएं सील हैं, और आसपास के राज्यों में भी सुरक्षा चाकचौबंध है, लेकिन खालिस्तान का समर्थक अमृतपाल सुरक्षा एजेंसियों को धता बताते हुए न जाने कहां गायब हो गया। दरअसल, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की यह टिप्पणी गौरतलब है कि आखिर राज्य में अशांति फैलाने का आरोपी अमृतपाल अभी कहां है।
हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस पर भी टिप्पणी की है, कि 80 हजार पुलिस कर्मियों की फोर्स एक आरोपी को नहीं पकड़ पा रही। क्या इस आरोप को सच माना जाए कि राज्य में खालिस्तान समर्थक आरोपी को बचाया जा रहा है। दरअसल, इस तरह के आरोप तब तक हवा में रहेंगे जब तक आरोपी अमृतपाल गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता है।
पंजाब में शांति व्यवस्था के लिए खतरा बने खालिस्तान समर्थक एवं अलगाववादी अमृतपाल सिंह और उसके साथियों पर पुलिस की कार्रवाई सही और उपयुक्त है। चमकौर साहिब के अजनाला थाने में बंद अपने साथियों को धर्म की आड़ में छुड़वाने समेत दूसरे आरोपों में वांछित इस शख्स पर पुलिस कार्रवाई कर पाने में सफल हो रही है तो यह पंजाब की मान सरकार के संकल्प और जनता के प्रति उसकी जिम्मेदारी को रेखांकित करता है। बेशक, पुलिस की कार्रवाई के दौरान आरोपी फरार होने में कामयाब हो गया, लेकिन यह तय है कि उसकी गिरफ्तारी होगी ही, अब उसके दिन-रात जेल की दीवारों के पीछे ही बीतेंगे। पंजाब में बीते कुछ समय से ऐसे तत्वों को खूब हवा मिल रही है जोकि अलगाववाद और खालिस्तान की बात कर रहे हैं। राज्य आतंकवाद का भीषण दौर देख चुका है, लेकिन अब फिर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी पंजाब में उसी दौर को फिर लौटाने की चेष्टा कर रही है और अमृतपाल जैसे शख्स धर्म को आगे करके इसकी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।
पंजाब में कोहराम मचाने वाले खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह ही खुद की छवि गढऩे की कोशिश करने वाले अमृतपाल सिंह का मकसद पंजाब में हालात बेकाबू करना है। अगर ऐसा होता तो उसे न पंजाब के नेताओं के संबंध में बोलने की जरूरत है और न ही प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय गृहमंत्री को धमकी देने की। दस सालों तक पंजाब का यह खालिस्तानी नेता यूएई में रहा तो इसके तार आईएसआई से जुडऩे लगे। माना जा रहा है कि किसान आंदोलन के दौरान जानबूझकर वह वापस भारत आया।
सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से सामने आ रहा है कि आईएसआई पंजाब में धर्म के नाम पर नफरत का माहौल पैदा करना चाहती है और इस काम में उसका मोहरा बना है अमृतपाल सिंह। भिंडरावाले की छवि इसलिए तैयार की गई है कि ज्यादा से ज्यादा भोले-भाले लोगों को इस जाल में फंसाया जा सके। ऐसा माना जा रहा है कि अमृतपाल सिंह के संगठन को भी आईएसआई फंडिंग कर रही है। इतना ही नहीं पंजाब के इस संगठन का प्लान सिर्फ राज्य तक ही सीमित नहीं है। जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है अमृतपाल सिंह और उसके साथियों की मदद से आईएसआई दिल्ली में हमले की योजना भी बना रही थी।
इस काम के लिए लगातार इस संगठन को भारी फंडिंग हो रही थी। संगठन के खातों की जांच की जा रही है, ये पता लगाया जा रहा है कि विदेशों में इसमें कितना पैसा आया है।
पंजाब पुलिस को जब खुफिया एजेंसी से यह जानकारी हाथ लगी तो अमृतपाल सिंह और वारिस पंजाब दे संगठन के दूसरे लोगों को गिरफ्तार करने का फैसला लिया गया पुलिस ने अब तक इस संगठन के 78 लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन अमृतपाल सिंह फिलहाल भागने में कामयाब हो गया है। अमृतपाल के मामले में विदेशों से जैसी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, वे चिंताजनक हैं। भारत में आतंकवाद लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन विदेश की धरती पर बैठे लोग न केवल आईएसआई के मोहरे बने हुए हैं, अपितु उसकी जुबान भी बोल रहे हैं। ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग से कुछ लोगों ने तिरंगा उतारने की कोशिश की। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए जिनमें भीड़ के हाथों में खालिस्तान के झंडे दिख रहे हैं। इसी वीडियो में एक शख़्स भारतीय उच्चायोग पर लगे तिरंगे को उतारता दिख रहा है। इस मामले के सामने आने के बाद भारत ने ब्रिटेन के सामने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। मामले में एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया है।
आखिर उन लोगों से यह पूछा जाना चाहिए कि वे तिरंगे का सम्मान नहीं करेंगे तो फिर किस झंडे का सम्मान करेंगे। लाल किले पर भी किसी ने 26 जनवरी के दिन एक झंडा लगाया था, आखिर पंजाब में कुछ लोगों की मानसिकता भारतीय संघ के साथ न जाकर अपनी अलग दुनिया बसाने की क्यों है। क्या उन शहीदों ने यही चाहा था, जोकि पंजाब की आजादी के लिए नहीं अपितु भारत की आजादी के लिए लड़े थे। वास्तव में खालिस्तान एक बुरा सपना है और इसे देखने वालों पर कार्रवाई जरूरी है।
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