भारतीय विद्यार्थियों का हाल बुरा- नहीं हो रही कोई सुनवाई
भारतीय विद्यार्थियों का हाल बुरा- नहीं हो रही कोई सुनवाई
यूक्रेन बॉडर से अन्य देश के बॉडर से पहुंचना जीवन से युद्व करने के समान
यूक्रेन से भारत पहुंचे मोहाली निवासी विद्यार्थी हरमिन्दर सिंह के परिवार ने भगवान का किया शुक्रिया
मोहाली, 5 मार्च (सागर)। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे भयानक युद्व में एक ओर जहां दोनों देशों का भारी नुकसान हो रहा है। वहीं युक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थियों का जीवन पर भी दिन रात मौत का साया मंडरा रहा है और आए दिन सोशल मीडिया पर भी तरह -तरह की वीडिय़ों वायरल हो रही हैं और भारत सरकार और यूक्रेन मे शिक्षा लेने गए विद्यार्थियों की यही चाहत है कि वह किसी तरह अब अब वतन वापस आ जाए।
बता दें कि कई विद्यार्थी वापस भी आ रहे हैं और अभी भी कई विद्यार्थियों के यूक्रेन में फंसे होने की बात की जा रही है। यह सब कुछ कोई दूसरा नहीं बल्कि यूक्रेन से अपने वतन वापस आने वाले विद्यार्थी ही बता रहे हैं, जो डाक्टर आदि बनने का सपना ले कर यूक्रेन शिक्षा के लिए गए हुए थे और अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़ कर वापस आ चुके हैं। भारत वापस आने वाली अधिकांश विद्यार्थियों का कहना है कि यूक्रेन में विद्यार्थी दिन रात मौत के साये में जी रहे हैं और उन की सार लेने वाला कोई नहीं है। भारत की ओर से रूस का समर्थन किये जाने कारण युक्रेन की जनता और वहाँ से फौज भी भारतीय विद्यार्थियों के साथ भेदभाव करती है और उन को बार्डर पार करने दौरान भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उपरोक्त जानकारी युक्रेन के यूजरोडस नेशनल यूनिवर्सिटी में डाक्टरी की पढ़ाई करने वाले अन्तिम साल के विद्यार्थी हरमिन्दर सिंह का है जो शनिवार को फेस-11 मोहाली स्थित अपने घर पर पहुंचने के बाद बातचीत में दी।
पत्रकारों के साथ बात करते हरमिन्दर सिंह ने बताया कि उन का शहर पोलैंड बार्डर से 200 किलोमीटर दूर है और वहाँ अभी भी 100 के करीब भारतीय विद्यार्थी फंसे हुए हैं। उसने कहा कि विद्यार्थियों के पास खाने पीने का सामान भी खत्म हो चुका है और पीने वाले पानी के लिए भी विद्यार्थियों को बर्फ पिघला कर पीनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की तरफ से युक्रेन में फंसे विद्यार्थियों की बात सुनना तो दूर उनके फोन तक नहीं सुने जा रहे और यदि कोई फोन सुनता भी है तो यही कहा जाता है कि वह किसी तरीके से बॉर्डर पार कर के पड़ोसी देश पहुँच जाएं, जहाँ से उन को भारत पहुँचाने का प्रबंध कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि बार्डर पर युक्रेन के फौजी भारतीय विद्यार्थियों के साथ मारपीट करते हैं और भारतीय छात्राओं के साथ बदसलूकी की जा रही है। बार्डर पर लाईनों में लगे भारतीयों को घंटों एक तरह से बंधक बना कर खड़ा किया जाता है और पहले युक्रेन के नागरिकों को बार्डर पार करवाया जाता है, बाद में भारतीय नागरिक (जो ज़्यादातर विद्यार्थी हैं) को बार्डर पार करने का मौका मिलता है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने किसी तरीके से पैसों का प्रबंध करके अपने कुछ दोस्तों के साथ यूजरोडस से एक वाहन का प्रबंध करके बार्डर की ओर रवानगी की थी। रास्ता का मंजर बताते हरमिन्दर सिंह ने कहा कि रास्ते में कई जगह पर बमों के कारण हुई तबाही का मंजर दिखाई पड़ता था। जिसे देख कर रूह कांप जाती थी। लेकिन मन में था कि किसी तरह से यहां से बच कर भारत पहुंचना है।
उन्होंने बताया कि पोलैंड बार्डर पार करने के बाद भारतीय दूतावास के अधिकारियों की तरफ से उन को संभाल लिया गया और फिर उन को भारत लाया गया है। उन्होंने कहा कि वह सही सलामत घर पहुचने पर स्वंय को हलका महसूस कर रहे हैं, परंतु उन को पीछे रह गए अपने साथियों का दु:ख भी सता रहा है। इसके साथ ही इस बात की भी चिंता है कि अब उन की पढ़ाई का क्या बनेगा। हरमिन्दर सिंह की माता मीना रानी ने इस मौके कहा कि वाहिगुरू का शुक्र है कि उन का बच्चा सही सलामत घर आ गया है।उन्होंने बताया कि जब से यूक्रेन और रूस का युद्व शुरू हुआ और उनका बेटा उनके पास नहीं आया था उनकी दिन रात की नींच उड़ गई थी और वह बहुत परेशान थीं। लेकिन परमात्मा ने उनकी सुन ली कि उनका बेटा सही सलातम अपने वतन भारत आ चुका है।