मुख्यमंत्री ने किसानों से किया जल - संरक्षण का आह्वान

मुख्यमंत्री ने किसानों से किया जल - संरक्षण का आह्वान

Haryana Water Resources Authority

Haryana Water Resources Authority

- " मेरा पानी-मेरी विरासत योजना" के लाभार्थियों से किया संवाद  
- जल बचाने वालों को दी "अमृत क्रांतिकारी मित्र" की “उपाधि”

चंडीगढ़ , 1 अप्रैल - Haryana Water Resources Authority: हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास(government House) से ऑडियो कांफ्रेंस के माध्यम से " मेरा पानी-मेरी विरासत योजना" के लाभार्थियों से संवाद करते हुए प्रदेश के लोगों से जल -संरक्षण(water conservation) करने का आह्वान किया। उन्होंने जल संरक्षण में योगदान देने वाले किसानों को  "अमृत क्रांतिकारी मित्र" की “उपाधि”  देते हुए कहा कि धरती को जलसंकट से बचाने की दिशा में सरकार अनेक कदम उठा रही है, सभी लोगों को भी इसमें साथ देना चाहिए। उन्होंने भूमिगत जल की मानव शरीर में ख़ून से तुलना करते हुए कहा कि धरती पर जीव और प्रकृति के बना रहने के लिए जल अति आवश्यक है।  उन्होंने जागरूक किसानों द्वारा इस योजना को अपनाकर लाखों गैलन पानी की बचत करने की सराहना करते हुए कहा कि वर्तमान समय में नदियां सूख रही हैं और भूमिगत जल भी समाप्ति की ओर है। हरियाणा में भी भूजल स्तर लगातार गिरने से 36 ब्लॉक डार्क जोन में आ गये हैं।
 उन्होंने बताया कि हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने भूजल उपलब्धता की ग्रामवार रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि प्रदेश के कुल 7,287 गांवों में से 3,041 गांव पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। इनमें से 1,948 गांवों में भूजल गंभीर स्तर तक नीचे चला गया है। जल की कमी इसी तरह बढ़ती रही तो अन्न उपजाना तो दूर,पीने के लिए पानी भी नहीं बचेगा और आने वाली पीढ़ियों को भयंकर सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
 
‘‘मेरा पानी मेरी विरासत” का शुभारंभ 6 मई, 2020 को हुआ था (“Mera Pani Meri Virasat” was launched on 6th May, 2020)
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संकट से बचने और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी पानी छोड़कर जाने के उद्देश्य से  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी आह्वान किया था कि जल संरक्षण के लिए एक जन-आंदोलन की शुरुआत करें। उन्होंने कहा कि इसी आह्वान से प्रेरणा लेते हुए हमने हरियाणा में एक अनूठी योजना ‘‘मेरा पानी मेरी विरासत” का शुभारंभ 6 मई, 2020 को किया था। इस योजना में अधिक पानी से उगने वाली धान की फसल के स्थान पर खरीफ सीजन-2020 में कम पानी से उगने वाली फसलें जैसे कि मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां व फल लगाने पर बल दिया गया है। इसी प्रकार, खरीफ सीजन-2021 में हमने मक्का, कपास, तिलहन, दलहन, प्याज, चारे के साथ-साथ खाली रखी गई कृषि भूमि को भी शामिल किया। खरीफ सीजन-2022 में इनके साथ पॉपलर व सफेदा को शामिल किया गया।
   ​मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने बताया कि फसल विविधिकरण करने वाले किसानों को इस योजना के तहत 7,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।  किसानों को यह प्रोत्साहन राशि दो किस्तों में सीधे बैंक खातों में दी गई है। पहली किस्त मेरा पानी-मेरी विरासत पोर्टल पर पंजीकरण के समय 2,000 रुपये और दूसरी किस्त फसल पकने पर 5,000 रुपये दी जाती है। उन्होंने बताया कि हमारा लक्ष्य हर वर्ष धान के रकबे में से 2 लाख 50 हजार हैक्टेयर भूमि पर वैकल्पिक फसलों की बुआई करवाने का है।
 
खरीफ-2022 में, 72,000 एकड़ क्षेत्र में की धान की सीधी बुवाई (In Kharif-2022, direct sowing of paddy in 72,000 acres of area)
 
मुख्यमंत्री ने आगे जानकारी दी कि धान की खेती के लिए सीधे बिजाई करने से भी पानी की 20 से 25 प्रतिशत तक बचत होती है। इसलिए सरकार ने धान की सीधी बिजाई हेतु 4,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता देने का प्रावधान किया है। उन्होंने उन किसानों का धन्यवाद किया जिन्होंने  खरीफ-2022 में, 72,000 एकड़ क्षेत्र में धान की सीधी बुवाई करके 31,500 करोड़ लीटर पानी की बचत की। उन किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से 29करोड़ 16 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन खण्डों में भूजल स्तर नीचे चला गया है और वहां धान की जगह अन्य फसल उगाने वाले किसान यदि ‘‘बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली’’ को अपनाते हैं तो उन्हें सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों की स्थापना के लिए 85 प्रतिषत सबसिडी दी जाती है।
उन्होंने कहा कि  किसान इस प्रणाली को अपनाकर अपने ब्लॉक को डार्क जोन से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं क्योंकि सबसे अधिक पानी की खपत धान की खेती में ही होती है।
 
कृषि क्षेत्र में जल संरक्षण (water conservation in agriculture)
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के हवा में वाष्पीकरण और भूमि में रिसाव को रोकने के लिए ‘भूमिगत पाइपलाइन स्कीम‘ के तहत नालों के स्थान पर पाइप लाइनें बिछाई जाती हैं। इस योजना में किसानों को 10,000 रुपये प्रति एकड़, अधिकतम 60,000 रुपये प्रति किसान अनुदान राशि दी जा रही है। इस योजना के तहत अब तक 1957 किसानों को 8 करोड़ 34 लाख रुपये की राशि अनुदान के रूप में दी गई है। सरकार ने अगले 3 वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से गन्ने की खेती के तहत 2 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य भी रखा है।
उन्होंने आगे बताया कि ‘सूक्ष्म सिंचाई से हर खेत में पानी‘ योजना के तहत 600 करोड़ रुपये की लागत से महेंद्रगढ़, चरखी-दादरी, भिवानी और फतेहाबाद जिलों के 9 एस.टी.पी. से उपचारित जल का सिंचाई के लिए उपयोग किया जा रहा है। सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये लागत की 22 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जो जून 2024 तक पूरी कर ली जाएंगी।
 
भूमिगत जल रिचार्ज (ground water recharge)

मुख्यमंत्री ने किसानों को जानकारी दी कि प्रदेश के 14 जिलों के 36 चिह्नित खण्डों में पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भूजल सुधार के लिए ‘अटल भूजल योजना’ शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि "मेरा पानी-मेरी विरासत योजना" के तहत भी भूमिगत जल स्तर को ऊंचा उठाने पर भी काम चल रहा है। इसके लिए प्रदेश के 8 डार्कजोन घोषित खंडों में 1,000 रिचार्ज कुओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
इसी प्रकार ,प्रदेश में 86 रेन वाटर हारवेस्टिंग ढांचे बनाये गये हैं। कृष्णावती नदी और मसानी बैराज में रिचार्जिंग के लिए पानी छोड़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने किसानों को अधिक से अधिक जल बचाने का आह्वान करते हुए कहा कि  जल ही जीवन है। यह बचेगा तो ही धरती पर जीवन बचेगा। भूमिगत जल को भी बचाएं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी.एस ढेसी, प्रधान सचिव श्री
वी. उमाशंकर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती सुमिता मिश्रा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव एवं सूचना, लोकसंपर्क ,भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल, उपप्रधान सचिव श्री के. एम पाण्डुरंग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक श्री नरहरि सिंह बांगड़, मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार श्री भारत भूषण भारती, सूचना, लोकसंपर्क ,भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक श्री गौरव गुप्ता भी उपस्थित थे।

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