The Chief Minister inaugurated the Regional Conference of North Zone-II organized on Contemporary Judicial Development and Strengthening

मुख्यमंत्री ने समकालीन न्यायिक विकास एवं सुदृढ़ीकरण पर आयोजित उत्तर क्षेत्र-दो के क्षेत्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया

The Chief Minister inaugurated the Regional Conference of North Zone-II organized on Contemporary Judicial Development and Strengthening

The Chief Minister inaugurated the Regional Conference of North Zone-II organized on Contemporary Ju

न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी का उपयोग पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करेगा: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां ‘न्याय एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से समकालीन न्यायिक विकास एवं सुदृढ़ीकरण’ (कंटेम्परेरी ज्यूडिशियल डिवलेपमेंट एंड स्ट्रेंथनिंग जस्टिस थ्रू लॉ एंड टैक्नोलॉजी) विषय पर आयोजित उत्तर क्षेत्र-दो के क्षेत्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कहा कि न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी का उपयोग पारदर्शिता, उत्पादिता और दक्षता सुनिश्चित कर सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग से न्यायपालिका सहित आज हर क्षेत्र में आम लोगों के जीवन को सरल बनाने में मदद मिली है।

उन्होंने न्यायिक प्रणाली में परिवर्तन एवं सुदृढ़ीकरण के लिए प्रौद्योगिकी को एक सहायक के रूप में रेखांकित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आधुनिक तकनीक के उपयोग से न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में गति आई है। कोविड-19 महामारी के दौरान वर्चुअल सुनवाई सभी के लिए वरदान साबित हुई है, जिससे लोगों के धन और समय दोनों की बचत हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सजग और आत्मविश्वासी समाज के साथ-साथ देश के विकास के लिए एक विश्वसनीय और त्वरित न्यायिक प्रणाली आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब न्याय मिलता नज़र आता है, तो संवैधानिक संस्थाओं में आम आदमी का विश्वास और भी बढ़ जाता है तथा कानून-व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण और इसमें निरंतर सुधार भी संभव हो पाता है।

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि न्याय में देरी देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और न्यायपालिका इसके समाधान के लिए गंभीरता से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक विवाद निवारण विभिन्न विवादों को सुलझाने का एक साधन है और इस व्यवसाय से जुड़े सभी लोगों के लिए तकनीक के अनुरूप कानूनी शिक्षा तैयार करना एक महत्वपूर्ण लक्ष्य होना चाहिए।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन नए विचारों की व्युत्पत्ति और देश में कानूनी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में दूरगामी सिद्ध होगा जिससे देश के लोगों को शीघ्र न्याय सुनिश्चित हो सकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संविधान ‘हम, भारत के लोग’ के रूप में सभी को एकता के सूत्र में पिरोता है। इसका लक्ष्य और उद्देश्य हमारे लोकतंत्र की मूलभूत विशेषता है। संविधान हमारे लोकतंत्र का आधार है, और यह तीन स्तंभों पर टिका हुआ है। उन्होंने कहा कि इन स्तंभों को अपने-अपने कार्य-क्षेत्र में काम करना चाहिए जिससे कि पारदर्शिता, सामाजिक समृद्धि तथा आपसी सामंजस्य और प्रगाढ़ हो सकेगा।

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वह स्वयं विधि विषय के विद्यार्थी रहे हैं और इसमें उनकी गहरी रुचि है। उन्होंने कहा कि हिमाचल ने देश के सर्वोच्च न्यायालय को चार न्यायाधीश दिए हैं जो प्रदेशवासियों के लिए गौरव का विषय है।

इससे पहले, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि न्यायपालिका राज्य का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होने के नाते संविधान को आकार देने और इसकी व्याख्या करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन न्यायालयों में कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस), क्रिप्टो-मुद्रा, सूचना और संचार सहित अन्य प्रौद्योगिकी के विकास पर केंद्रित है।

राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल के निदेशक न्यायमूर्ति एपी साही, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना भी उपस्थित थे।

राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल तथा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और दिल्ली, पंजाब और हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के न्यायिक अधिकारी भाग ले रहे हैं।