The Chandigarh Administrator faces the challenge of city development

Editorial: चंडीगढ़ प्रशासक के समक्ष है, शहर के विकास की चुनौती

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The Chandigarh Administrator faces the challenge of city development

The Chandigarh Administrator faces the challenge of city development: चंडीगढ़ शहर की जरूरतों को समझना ऐसी विशेषज्ञता है, जोकि धीरे-धीरे अब बीते समय की बात होती जा रही है। एक समय कहा जाता था कि शहर में प्रशासन के ऐसे अधिकारी होते थे, जो कि अपने घर से ज्यादा इस शहर की परवाह करते थे। उन्हें यहां का हेरिटेज इतना मूल्यवान लगता था कि चंडीगढ़ को सिटी ब्यूटीफुल बनाए रखने के लिए वे जी जान लगा देते थे। हालांकि फिर समय बीता और कहा जाने लगा कि दिल्ली से ऐसे अफसर यहां आते हैं, जिन्हें इस शहर की समझ ही नहीं है। बेशक, यह सब आरोप भी हो सकते हैं, क्योंकि हर अधिकारी के पास अपना विजन होता है और वे उसी के मुताबिक काम करते हैं।

हालांकि चंडीगढ़ में इससे भी ज्यादा जरूरी यहां नियुक्त किए जाने वाले प्रशासक का दृष्टिकोण होता था। चंडीगढ़ ने तमाम ऐसे प्रशासक देखे हैं, जिन्होंने इस शहर की दिलोजान से परवाह की, लेकिन फिर परिस्थितियां कुछ ऐसी भी बनी कि यहां लागू की जाने वाली योजनाएं दूर की कौड़ी साबित होती गई। लेकिन अब लगता है, जैसे मोदी सरकार चंडीगढ़ पर मेहरबान है और यह जानते हुए भी कि यहां एक विरोधी पार्टी के सांसद निर्वाचित हुए हैं। बेशक, ऐसी बातें राजनीतिक होती हैं, लेकिन सरकार का नजरिया संपूर्ण राज्य एवं देश का विकास करवाना होता है।

चंडीगढ़ में नए प्रशासक गुलाब चंद कटारिया के पदभार संभालने के बाद अब यहां की योजनाओं और प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन में तेजी की उम्मीद की जा सकती है। यह भी कितना खूब है कि अभी कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मनीमाजरा में वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया है। वास्तव में ऐसी सूचनाएं हैं कि प्रशासन के अधिकारी शहर के संबंध में प्रोजेक्ट की रिपोर्ट प्रशासक के समक्ष पेश करने वाले हैं। दरअसल, चंडीगढ़ के विकास में बीते कुछ समय के दौरान ठहराव आया है और अब इस गतिरोध को तोड़ने की जरूरत है। ऐसा भी बताया गया है कि प्रशासक ने सभी विभागों को अपने वार्षिक प्रोजेक्ट की रिपोर्ट बनाने को कहा गया है। यह भी होने वाला है कि नए प्रशासक जल्द विभागवार अलग से रिपोर्ट का आकलन करने वाले हैं।

शहर में इस समय तमाम ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जो कि लंबे समय से लटके हैं और उनके संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। इससे जहां उनकी लागत बढ़ रही है, वहीं उनके धरातल पर उतरने से जनता को मिलने वाले फायदे में भी देरी हो रही है। प्रशासक कटारिया एक विधायक, सांसद एवं मंत्री रहे हैं और अब उन्हें पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। गौरतलब यह भी है कि पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक की जिम्मेदारी के लिए राजनेता का चयन केंद्र सरकार खूब जांच-परख के बाद ही करती है। ऐसा इसलिए भी है कि क्योंकि ये दोनों ही जिम्मेदारी बेहद चुनौतीपूर्ण होती हैं।

इस समय चंडीगढ़ में तमाम ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जोकि फाइलों में भी दर्ज हैं। चंडीगढ़ के मास्टर प्लान 2031 का मामला हो या फिर ट्रिब्यून चौक-जीरकपुर फ्लाईओवर के निर्माण का केस, अभी इन पर कुछ भी नहीं हुआ है। हाउसिंग स्कीम, लीज होल्ड टू फ्री होल्ड, सीएचबी के मकानों की वन टाइम सेटलमेंट आदि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिनका समाधान होना आवश्यक है। गौरतलब है कि ट्रिब्यून चौक-जीरकपुर फ्लाईओवर के निर्माण की घोषणा के बाद तत्कालीन सांसद और प्रशासन के अधिकारियों की ओर से दावा किया गया था कि इसे डेढ़ साल में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद इसका शिलान्यास भी हो गया लेकिन अभी तक एक ईंट रखने का काम भी शुरू नहीं हुआ है। शहर में मेट्रो चलाने की भी लंबे समय से बात हो रही है, इसे चंडीगढ़ के अलावा पंचकूला और मोहाली तक ले जाने की योजना भी बनती है, लेकिन तमाम रूकावटें सामने आती रही हैं।

जाहिर है चंडीगढ़ अब सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रहा है, इसके आसपास के शहरों से लाखों लोग रोजाना यहां आते और काम करके लौट जाते हैं, उन सबका वास्ता भी इस खूबसूरत शहर से है। भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यहां काम कराए जाने की आवश्यकता है। प्रशासक कटारिया राजनीति और प्रशासन का व्यापक अनुभव रखते हैं। उनसे उम्मीद की जाती है कि वे शहर की तमाम जरूरतों का आकलन करके उन्हें पूरा करवाने का काम करेंगे। चंडीगढ़ को उसके मूल स्वरूप में रखते हुए यहां जीवन के संपूर्ण विकास के प्रयास करने होंगे। यहां सभी वर्गों को साथ लेकर उनके भविष्य को प्रगति की राह पर ले जाना होगा। 

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