CAG की रिपोर्ट में खुली लापरवाह विभागों की पोल, इन्होंने डुबोई सरकार की लुटिया
Uttarakhand CAG Report Update
देहरादून: Uttarakhand CAG Report Update: प्रदेश के राजस्व में प्रमुख भूमिका रखने वाले राज्य कर विभाग (State GST) में कारोबारियों को रिफंड जारी करने में लापरवाही बरती जा रही है। इससे संबंधित कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंच रहा है, जबकि सरकार को चपत लग रही है।
कैग की जांच में पाया गया है कि राज्य कर अधिकारियों ने विभिन्न मामलों में 21.32 करोड़ रुपये के गलत रिफंड जारी कर दिए गए। यह अनियमितता जुलाई 2017 से सितंबर 2021 के बीच शून्य दर आपूर्ति और विपरीत शुल्क संरचना वाले मामलों में पाई गई।
200 मामलों की जांच की गई (200 cases investigated)
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, शून्य दर आपूर्ति व अन्य से संबंधित 200 मामलों की जांच की गई। शून्य दर आपूर्ति के प्रकरण एक्सपोर्टर से संबंधित होते हैं, जो शून्य कर देयता के दायरे में आते हैं। एक्सपोर्टर जिस माल की आपूर्ति करते हैं, उसकी स्थानीय खरीद पर दिए गए टैक्स का रिफंड प्राप्त करते हैं।
इसके लिए दावे से संबंधित धनराशि उनके ईएसीएल (इलेक्ट्रानिक क्रेडिट लेजर) में दर्ज होनी चाहिए। हालांकि, राज्य कर विभाग के अधिकारियों ने ईएसीएल में शेष शून्य होने के बाद भी दावेदारों को 5.72 करोड़ रुपये का अनुचित रिफंड कर दिया।
दूसरी तरफ, विपरीत शुल्क संरचना वाले प्रकरण में वस्तु बनाने के लिए प्रयुक्त सामग्री पर अलग-अलग टैक्स होता है, जबकि निर्मित वस्तु पर अलग टैक्स होता है। इस तरह कई बार तैयार माल के कर के मुकाबले प्रयुक्त सामग्री के कर अधिक हो जाते हैं। लिहाजा, क्रेडिट लेजर में शेष बढ़ जाता है।
ऐसे मामलों में वस्तु तैयार करने में प्रयुक्त सामग्री में सर्विस कंपोनेंट को छोड़कर गुड्स कंपोनेंट पर रिफंड दिया जाता है। स्पष्ट नियम के बाद भी अधिकारियों ने सेवा के साथ गुड्स कंपोनेंट में भी रिफंड जारी कर दिया। जिसके चलते विभाग को 15.6 करोड़ रुपये की चपत लग गई।
विभाग की स्क्रूटनी व्यव्यस्था पर सवाल (Question on the scrutiny system of the department)
कैग ने पाया कि जांच में शामिल किए गए 200 नमूना मामलों में विभाग ने सिर्फ 15 कारोबारियों के रिटर्न की स्क्रूटनी की थी। हालांकि, कैग की जांच के बाद विभाग ने 20 और प्रकरणों की जांच की। फिर भी स्क्रूटनी की इस रफ्तार पर असंतोष व्यक्त किया गया।
कर और अर्थदंड आरोपित करने में भी निष्क्रियता (Inaction in levying tax and penalty also)
कैग की जांच में पाया गया है कि राज्य कर विभाग के तमाम अधिकारी कर और अर्थदंड आरोपित करने में भी निष्क्रिय बने हैं। इस तरह विभाग को कर, अर्थदंड और ब्याज के रूप में 6.29 करोड़ रुपये की हानि हुई।
ऐसे तमाम प्रकरण वैट अधिनियम के समय के हैं और अधिकारियों ने जीएसटी लागू होने के साथ इन पर पर्दा डाल दिया। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रपत्र-11 में अनाधिकृत घोषणा, मान्य प्रमाण पत्रों में सम्मिलित न होने वाले उत्पादों की बिक्री में ही 3.52 करोड़ रुपये की हानि हुई।
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