सरकारी पॉलिसी का लाभ सभी तक पहुंचे
- By Vinod --
- Friday, 02 Dec, 2022
The benefits of government policies
The benefits of government policies- एक जमाना वह था, जब मारुति की (Old Vehicles) पुरानी गाडिय़ों को भी सहेज कर रखा जाता था, पहली गाड़ी और उससे जुड़ी यादें ऐसा करने को मजबूर करती थी, हालांकि अब हालात ऐसे हो गए हैं कि न (Road) सडक़ों पर जगह बची है और न ही (Residencial area) रिहायशी इलाकों में। पुरानी गाडिय़ों को रखें तो कहां रखें। इन गाडिय़ों की वजह से प्रदूषण भी समस्या बन गया है। ऐसे में (Haryana Government) हरियाणा सरकार की ओर से (Scarp Policy) स्क्रैप पॉलिसी को मंजूरी देना एक बड़ा कदम है। (Scarp Policy) स्क्रैप पॉलिसी पुराने कंडम हो चुके वाहनों का लीगल तरीके से निपटारा करने की नीति का नाम है। (Government) सरकार का यह भी बड़ा निर्णय है, जिसमें उसने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने (Petrol Vehicle) पेट्रोल वाहनों के चलाने पर प्रतिबंध लगाया है।
एक डीजल वाहन की आयु सीमा 10 साल तय करने से (Businessman) कारोबारी लोगों को दिक्कत आ सकती है। पहले (NCR) एनसीआर के 14 जिलों में ही इतने पुराने डीजल वाहन को चलाने की अनुमति थी लेकिन अब सभी 22 जिलों में यह नियम लागू कर दिया गया है। राज्यों में (Delhi) दिल्ली और दूसरे राज्यों के लिए प्रतिदिन लाखों (Vehicle) वाहन गुजरते हैं, क्या सभी दस साल की अवधि की शर्त को पूरा करते होंगे। हालांकि यह उचित है कि (Government) सरकार ने गाडिय़ों के (Fitness Certificate) फिटनेस सर्टिफिकेट को स्वीकार किया है। यानी (NCR) एनसीआर को छोडकऱ अब पूरे राज्य में पुरानी गाडिय़ों को (Fitness Certificate) फिटनेस सर्टिफिकेट पर चलाया जा सकेगा। जिन गाडिय़ों के यह (Certificate) सर्टिफिकेट खत्म हो चुके होंगे, उनके लिए एकमात्र उपाय (Scrap) स्क्रैप पॉलिसी ही रहेगी। सरकार की नीति में निर्धारित है कि जो वाहन चालक अपने 10 या 15 साल पुराने वाहनों को (Scrap) स्क्रैप करवाएंगे, उन्हें नए वाहन खरीदने पर टैक्स में 10 और (Registration) रजिस्ट्रेशन में 25 फीसदी की छूट मिलेगी। जाहिर है, वायु प्रदूषण और सडक़ों पर होने वाली दुर्घटनाएं आज बहुत बड़ी दिक्कत बन चुकी है। (Air Pollution) वायु प्रदूषण तो अब साल के 12 महीने रहने वाली ऐसी समस्या है, जिसका जितना समाधान किया जाए, उतना ही कम नजर आता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि कंडम, पुराने और (Unfit Vehicle) अनफिट वाहनों की वजह से देश और प्रदेश में सडक़ दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। (Haryana) हरियाणा में तो ऐसी रिपोर्ट है कि प्रत्येक साल करीब 10 हजार (Road Accident) सडक़ दुर्घटनाएं ऐसे वाहनों की वजह से घट रही हैं, इनमें 5 हजार लोगों की मौतें हो जाती हैं। पुराने वाहनों की वजह से प्रदूषण भी फैल रहा है। (Haryana Government) हरियाणा सरकार की (Scrap Policy) स्क्रैप पॉलिसी में जितनी रियायत दी गई है, उससे यह जाहिर होता है कि पुराने वाहन को (Scrap) स्क्रैप करा कर नया वाहन खरीदना कहीं ज्यादा फायदेमंद होगा। यह भी सही है कि ऐसे पुराने वाहनों को यहां-वहां कहीं खड़ा करने से ज्यादा सही यही है कि उन्हें (Scrap) स्क्रैप कराया जाए। क्योंकि अगर उन्हें (Re-sale) री-सेल भी किया गया तो उनकी कीमत लगभग जीरो होगी। इसके अलावा समय के साथ सरकार पुरानी गाडिय़ों पर ग्रीन टैक्स लगा सकती है, उनकी (Maintanance) मेंटेनेंस का खर्च भी बढ़ता जाएगा। पुरानी गाडिय़ों की एक समस्या उनका पुरानी तकनीक से बना होना भी है। यानी नब्बे के जमाने में जो वाहन बनता था, उसकी (Technology) टेक्नोलॉजी आज के समय में बेहद पुरानी पड़ चुकी है। अब ऐसे वाहन हैं जोकि (Environment) पर्यावरण के अनुकूल हैं वहीं उनकी (Milage) माइलेज क्षमता भी कहीं ज्यादा है। ऐसे में केंद्र एवं राज्य सरकार की स्क्रैप पॉलिसी एक सही फैसला है। हरियाणा में फिलहाल यह पॉलिसी सिर्फ पांच वर्ष के लिए होगी।
बेशक (Government) सरकार की ओर से पॉलिसी की घोषणा कर दी गई है लेकिन यह अभी भी स्वैच्छिक है। यानी जो लेना चाहे वह ले नहीं तो अपने पुराने वाहन को अपने घर में रखे। (Fitness Certificate) फिटनेस सर्टिफिकेट होगा तो ही पुराने वाहन को सडक़ पर उतारा जा सकेगा। गौरतलब यह भी कि सरकार ने आत्मनिर्भर टैक्सटाइल पॉलिसी को भी मंजूरी दी है। (Textile Industry Haryana) टेक्सटाइल उद्योग हरियाणा की पहचान हैं। (Panipat) पानीपत में सबसे ज्यादा उद्योग इसी इंडस्ट्री के हैं, हालांकि उन उद्यमियों के समक्ष अनेक समस्याएं भी खड़ी हो रही हैं। राज्य सरकार की मंशा अब इस पॉलिसी के जरिए 4 हजार करोड़ का निवेश जुटाने और 20 हजार नए रोजगार देने के लक्ष्य की है। हरियाणा में कपड़ा उद्योग की व्यापक संभावनाएं हैं। बीते कुछ वर्षों में राज्य में उद्योग-धंधों का विस्तार हो रहा है। मारुति सुजुकी की ओर से खरखौदा में नई इकाई लगाने के बाद से राज्य में देश और विदेश के निवेशकों की रुचि बढ़ी है।
बावजूद इसके (Haryana Government) राज्य सरकार को (unemployement) बेरोजगारी की दर घटाने की दिशा में काम करना होगा। राज्य में 75 फीसदी निजी क्षेत्र की नौकरियां मूल निवासियों को देने का कानून है, लेकिन यह आंकड़ा सामने नहीं आया है कि आखिर (Haryana) हरियाणा मूल के कितने लोगों को इसका फायदा मिला है। विपक्ष प्रदेश में बेरोजगारी बढऩे का आरोप लगाता है, वहीं सरकार अपने आंकड़े पेश करती है। (Government) सरकारी क्षेत्र की नौकरियां सीमित हो रही हैं, एमबीबीएस छात्रों की बॉन्ड पॉलिसी भी एक मसला है, जिसका समाधान करना जरूरी है। सरकारी पॉलिसी का पूरा फायदा तभी सुनिश्चित हो सकेगा जब उसका लाभ सभी तक पहुंचे।
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