Editorial: पंचकूला में डेरा हिंसा के आरोपियों का बरी होना दुर्भाग्यपूर्ण
- By Habib --
- Thursday, 17 Apr, 2025

The acquittal of the accused of Dera violence in Panchkula is unfortunate
The acquittal of the accused of Dera violence in Panchkula is unfortunate: 25 अगस्त 2017 को हरियाणा और पंजाब में जो घटा था, वह इसका उदाहरण है कि सरकारें किस प्रकार राजनीति से प्रेरित हो सकती हैं, वहीं हालात को संभालने में बरती गई कोताही राज्य और उसके नागरिकों पर कितनी भारी पड़ती है। यह याद दिलाना जरूरी है कि आखिर इस दिन हुआ क्या था। दरअसल, 25 अगस्त 2017 को डेरा सच्चा सौदा के मुखी गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी ठहराया गया था। इसके बाद उनके समर्थकों ने पंचकूला समेत हरियाणा के विभिन्न जिलों और पंजाब में अनेक स्थानों पर हिंसा का ऐसा तांडव किया था, जिसे शुरुआत में तो सरकार की मशीनरी संभाल ही नहीं पाई और फिर जैसे-तैसे पुलिस ने अंकुश बढ़ाया तो उसमें 40 लोगों की जान चली गई। अब इसी मामले में पंचकूला की अदालत से 19 आरोपी बरी हो गए।
हाल कुछ ऐसे रहे कि 27 गवाह पेश ही नहीं हुए। ये तो सामान्य गवाह थे, इस दौरान तैनात रहे डीएसपी, ड्यूटी मजिस्ट्रेट, तत्कालीन डीआईजी ने भी आरोपियों की पहचान नहीं की थी। अदालत में सामने आया है कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई नया तथ्य पेश नहीं किया, जिसकी वजह से केस कमजोर होता गया। जिस कांड ने पूरे देश को बेचैन कर दिया हो, जिसकी वजह से 40 लोगों की जान चली गई हो, अगर उसके आरोपियों को सजा न हो तो यह बात अजीब लगती है। यह पुलिस प्रणाली पर बहुत बड़ा सवाल है, क्योंकि सीबीआई ने आखिर तक लड़ते हुए डेरा मुखी को सजा दिलाई लेकिन अगर पुलिस के पास यह केस होता तो शायद ही उसे भी सजा मिल पाती।
गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई के दौरान एक बार पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि होने वाली मौतों का जिम्मेदार कौन है और जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई कौन करेगा। माननीय कोर्ट का यह कहना सरकारी सिस्टम पर करारी चोट था कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि हजारों लोग एक जगह जुट जाएं और किसी को पता भी न चले। गौरतलब है कि डेरा मुखी को सीबीआई कोर्ट में पेश करने और उनके खिलाफ चल रहे केस पर फैसले का दिन तय हो चुका था। ऐसे में दिन और रात में हजारों की तादाद में डेराप्रेमी पंचकूला की सड़कों पर आ डटे थे। स्थानीय मीडिया इस संबंध में लगातार रिपोर्ट पेश कर रहा था कि किस प्रकार डेरा प्रेमी शहर की सडक़ों पर और यहां बने डेरे में पनाह ले चुके हैं।
आशंका इसकी जताई जा रही थी कि अगर फैसला डेरा मुखी के खिलाफ आता है तो ये डेरा प्रेमी शहर में हिंसा फैला सकते हैं। और जब फैसले में डेरा मुखी को दोषी करार दे दिया गया तो इन्हीं डेरा प्रेमियों को उकसा कर शहर में ऐसे हालात पैदा कर दिए गए कि हम किसी जंग के मैदान में हैं। सैकड़ों गाड़ियों को जला दिया गया, गुंडे बने डेरा प्रेमी घरों में घुसने लगे, उनके पास हथियार थे। पंचकूला में दहशत और हिंसा का ऐसा मंजर पैदा हो चुका था जिसमें किसी भी सभ्य नागरिक की रूह कांप जाए।
गौरतलब है कि यह साबित हो चुका है कि हिंसा फैला कर डेरामुखी को पुलिस की पकड़ से ले भागने की थी। सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के अंदर इसकी योजना तैयार की गई थी। डेरा मुखी की मुंहबोली बेटी इस साजिश की सरगना थी, शुरुआत में वह पुलिस से बचती भागती रही और आखिर में सरेंडर कर दिया। आखिर सरकार को इस पूरी साजिश का पता क्यों नहीं चल पाया? यह सवाल आज तक अनसुलझा है। सरकार पहले ही यह भांप चुकी होती तो डेरा प्रेमियों को पंचकूला में जुटने की इजाजत ही नहीं देती। ऐसे में न हिंसा फैलती और न ही पुलिस की गोली से लोग मारे जाते। वैसे, सजा सुनाए जाने से पहले डेरामुखी के आतंक को मिल रही राजनीतिक शह भी सजा सुनाए जाने के बाद उसके समर्थकों की हिम्मत बढ़ाने वाली साबित हुई।
दरअसल, सरकार और उसका तंत्र अपनी इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते कि व्यवस्था कायम रहे। वर्ष 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान भी जो हिंसा हरियाणा में हुई थी, वह सरकारी मशीनरी की नाकामी का ही उदाहरण था। उस दौरान भी हजारों करोड़ की संपत्ति रोहतक और साथ लगते अनेक जिलों में तबाह कर दी गई थी। उस कांड की जांच रिपोर्ट में सामने आ रहा है कि जिन अधिकारियों के कंधे पर जिम्मेदारी थी, वे घरों में छिप गए थे। जिस सेना को हालात नियंत्रित करने के लिए बुलाया गया, उसे झज्जर में गुमराह करके ऐसे इलाके में ले जाया गया, जहां कुछ घट ही नहीं रहा था। अदालत से आरोपियों का बरी होना दुर्भाग्यपूर्ण है। पुलिस को मजबूत सबूत और गवाह तलाशने चाहिए थे। अब प्रश्न यह है कि आखिर आरोपियों के खिलाफ बड़ी अदालत का रुख किया जाएगा या फिर सबकुछ समाप्त हो चुका है। राजनीतिक हालात तो इसके संकेत दे रहे हैं। क्या यह कानून का मजाक नहीं होगा जब आरोपी इतना बड़ा अपराध करके भी छूट जा रहे हैं।
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