Editorial: घाटी में आतंकी वारदातें चिंताजनक, दहशतगर्दों पर हो अंतिम वार
- By Habib --
- Monday, 21 Oct, 2024
Terrorist incidents in the valley are worrying
Terrorist incidents in the valley are worrisome, final attack should be made on the terrorists: जम्मू-कश्मीर में नई राज्य सरकार के गठन के चार दिन के अंदर आतंकियों ने एक डॉक्टर समेत 7 लोगों की हत्याएं करके यह जताने की कोशिश की है कि वे अभी कहीं नहीं गए हैं, और भारतीय सुरक्षा बलों को चुनौती देने को तैयार हैं। यह बेहद दुखद और दर्दनाक घटना है, जिसमें आतंकियों ने उन लोगों पर गोलियां चलाई हैं, जोकि श्रमिक थे और निर्माण कार्य से जुड़े थे। कायर और कमजोर ही ऐसा कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास सार्थक तरीके से बातचीत का कोई रास्ता नहीं होता। घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बहुमत के साथ सरकार का गठन किया है, यानी प्रदेश की जनता का उसे भरपूर समर्थन मिला है। यह समर्थन प्रदेश की तरक्की और यहां शांति की स्थापना के लिए है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला एक बेहद संजीदा व्यक्ति एवं राजनेता हैं और शपथ ग्रहण के साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। निश्चित रूप से आतंकी वारदातें राज्य एवं केंद्र सरकार दोनों का मसला है और अब चूंकि राज्य में एक निर्वाचित सरकार है तो उसकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। आतंकियों से सेना और सुरक्षा बल बेहद मुस्तैदी के साथ लोहा ले रहे हैं, लेकिन अब यह साफ हो जाना चाहिए कि पाकिस्तान को बेहतरी तरीके से यह समझाया कि उसकी ओर से वैश्विक सम्मिट करने आदि को तब तक कोई फायदा नहीं है, जब तक कि वह जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को संंरक्षित करना बंद नहीं करता है।
गौरतलब है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला ने अब जाकर बयान दिया है कि पाकिस्तान से कैसी बातचीत हो सकती है, जबकि वह हमारे मासूमों की हत्याएं करवा रहा है। उनका यह बयान सही है। लेकिन अचरज इसका है कि सत्ता से बाहर रहते हुए वे पाकिस्तान से लगातार बातचीत का राग अलापते रहे हैं। वे और घाटी में दूसरे विपक्षी नेता इसी की रट लगाते आए हैं कि पाकिस्तान से बात होनी चाहिए और उसके साथ कारोबारी रिश्ते सामान्य बनाए जाने चाहिए।
हालांकि केंद्र सरकार और सत्ताधारी भाजपा के नेता यही कहते आए हैं कि घाटी में आतंकवाद का खात्मा हुए बगैर पाक से बातचीत का कोई मतलब नहीं है। खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर अनेक बार इस बात को दोहरा चुके हैं और हालिया पाक दौरे से पहले भी उन्होंने यही बात कही थी। निश्चित रूप से घाटी के नेताओं को पुरजोर स्वर में यह स्वीकार करना होगा कि घाटी में पाकिस्तान आतंकवाद फैला रहा है और निर्दोष लोगों की हत्याएं करवाते हुए उसे दशकों बीत चुके हैं। इन नेताओं को अब कड़े स्वर में यह भी कहना होगा कि पाकिस्तान को अब इससे बाज आना होगा। जम्मू-कश्मीर की जनता ने जो जनादेश दिया है, उसका मतलब यह नहीं है कि पाक से बात होनी चाहिए या फिर यह भी नहीं है कि नेशनल कांफ्रेंस जिस अलगाववादी स्वरों में बात करती रही है, उसका समर्थन किया है। प्रदेश की जनता ने यह जनादेश अपनी तरक्की और खुशहाली के लिए दिया है और जनता चाहती है कि यहां जो भी पार्टी शासन करे वह यहां सुरक्षा, स्थायित्व और समृद्धि लेकर आए। घाटी अब शांति चाहती है।
वैसे, बीते कुछ माह में घाटी में आतंकी वारदातों में इजाफा हुआ है और अब तो जम्मू के इलाके में आतंकी दहशत फैला रहे हैं। बीते कुछ ही दिनों में देश ने यहां कई जवानों की शहादत देख ली है। इस साल अप्रैल से अब 16 जुलाई तक यहां 12 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं, वहीं 10 नागरिकों की भी जानें गई हैं। जुलाई में यहां एक मेजर समेत 4 जवान शहीद हो गए थे। निश्चित रूप से यह भारतीय सेना और सुरक्षाबलों के लिए बड़ा नुकसान है। हालांकि आतंकी सामान्य लोगों को भी निशाने पर लेने लगे हैं। इससे पहले कश्मीरी पंडितों के साथ यही किया गया था। कश्मीर घाटी में 18 अक्तूबर को शोपियां में एक श्रमिक की हत्या की गई, इससे पहले पहलगाम में एक टूरिस्ट जोड़े पर हमला कर उसे घायल कर दिया गया। 17 अप्रैल को जबलीपोरा, बिजबेहाड़ा अनंतनाग में बिहार के एक श्रमिक को मौत के घाट उतारा गया। 8 अप्रैल को ही दिल्ली निवासी एक टैक्सी चालक को निशाना बनाया गया। निश्चित रूप से आतंकियों का एकमात्र मकसद घाटी में हत्याएं करके दहशत कायम करना है।
इन हमलों से यह साबित हो गया है कि पाकिस्तान का काम भारत में आतंकवाद फैला कर इसी शांति को खत्म करना है। हालांकि पाकिस्तान के इन गलत इरादों को जवाब भारत की सेनाएं देश के विभाजन के बाद से देती आ रही हैं। दरअसल, बात यह है कि पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठन अब किसी भी कीमत पर भारत में दहशतगर्दी को हवा देते रहना चाहते हैं। यही वजह है कि वे जहां विभिन्न सरकारी विभागों की खुफिया जानकारी हासिल कर रहे हैं। ऐसे में भारत को आतंक के खिलाफ नई रणनीति बना कर उसके सर्वनाश की तैयारी करनी होगी।
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