Haryana : हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं से 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य, केंद्रीय मंत्री बिजली मंत्री ने जारी किया देश का रोड मैप
Target of generating 500 GW of electricity from hydro-electric projects, Union Power Minister releas
Target to generate 500 GW of electricity from hydro-electric projects: चंडीगढ़। केंद्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने देश में बढ़ रही बिजली की मांग को पूरा करने के लिए अपना रोडमैप जारी कर दिया है। शुक्रवार को हिमाचल रवाना होने से पहले चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में मनोहर लाल ने बताया कि उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में पनबिजली परियोजनाओं का रास्ता साफ हो गया है। वर्ष 2030 तक हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं के जरिए 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। ऊर्जा मंत्रालय का जिम्मा संभालते ही मनोहर लाल ने देश भर में बिजली परियोजनाओं से जुड़े कायरे को रफ्तार देना शुरु कर दिया है। मनोहर लाल द्वारा पूर्व समय में बतौर मुख्यमंत्री हरियाणा में किए गए बिजली सुधार के प्रयासों की खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक मंचों पर कई मर्तबा सराहना की है।
ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को जारी जानकारी में बताया कि हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं के जरिए बिजली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। देश की बढ़ती आबादी के हिसाब से अनुमान लगाया जा रहा है कि 2035 में बिजली की डिमांड दोगुनी हो जाएगी। इस स्थिति को देखते हुए महत्वपूर्ण बिजली परियोजनाओं में उत्पादन बढ़ाने के साथ देश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने का रोड मैप भी तैयार कर दिया है।
मनोहर लाल के अनुसार टिहरी गढ़वाल डैम पर 1000 मेगावाट टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट और 2400 मेगावाट टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स में चल रही निर्माण गतिविधियों का निरीक्षण किया जा चुका है और तेजी से परियोजनाएं पूरी करने के निर्देश दिए।
उत्तराखंड में 2123 मेगावाट क्षमता की 21 जलविद्युत परियोजनाओं को मंजूरी
उत्तराखंड में 2123 मेगावाट क्षमता की 21 जलविद्युत परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, तो कुल 45 जल विद्युत परियोजनाएं चिन्हित की गई हैं, जिन पर विभागीय मंजूरी के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। कोलकाता में दामोदर घाटी निगम की व्यापक समीक्षा करके बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने को चल रही परियोजनाओं पर तेजी से काम के निर्देश दिए हैं, क्योंकि दामोदर घाटी निगम हमेशा से ही मजबूत और टिकाऊ बिजली बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए नए मानक स्थापित करने में सबसे आगे रहा है।
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