Chandigarh

Acharya Shri 108 Subal Sagar Ji Maharaj

मैं और मेरेपने का अभाव ही आकिंचन है: आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज

Acharya Shri 108 Subal Sagar Ji Maharaj: मोह के उदय से पर पदार्थों में होने वाली मूर्छा का भाव ही परिग्रह हैं पर पदार्थों में 'मेरे पने का या ममत्व…

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