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चर्चा तेज! पंजाब और दिल्ली में अब एक ही पार्टी की सरकार, क्या ये मुद्दा होगा हल?

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चंडीगढ़ (साजन शर्मा) : दिल्ली के बाद अब पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद सतलुज-यमुना लिंक नहर मसला हल होने के पूरे आसार बन रहे हैं। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के लिए यह मुद्दा आगामी दिनों में बड़ा सियासी दॉव हो सकता है जो उन्हें दिल्ली में पुन: सरकार बनाने व हरियाणा में सरकार बनाने की दिशा में मदद कर सकता है।

इस मुद्दे को पंजाब चुनावों से पहले बड़े जोरशोर से उठाते रहे हैं। एक मर्तबा फिर यह मुद्दा नये सिरे से उभर सकता है। बीते कई सालों से पानी की किल्लत झेल रहे दिल्ली को सतलुज यमुना लिंक नहर का पानी पहुंचने की संभावना नजर आ रही है। दोनों जगह आम आदमी पार्टी की ही सरकार है। वैसे इस मुद्दे पर आसानी से तो कोई सहमति बनने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं पंजाब की सरकार अगर इस पर आगे बढ़ी तो मुद्दा हल होने की दिशा में बढ़ेगा। पंजाब की राजनीति के लिए यह मसला चूंकि महत्वपूर्ण रहा है लिहाजा दूसरी राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर केजरीवाल के कदम आगे बढ़ाने पर उन्हें घेर सकती हैं। ठीक वैसे जैसे एक बार पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का उस समय पंजाब के लोगों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया था जब उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को एक पत्र सौंप दिया था। आखिर में विरोध के बाद प्रकाश सिंह बादल को यह पत्र वापिस लेना पड़ा था। इसी तरह चंडीगढ़ व पंजाब के हिंदी भाषी क्षेत्रों को हरियाणा को दिये जाने का मुद्दा भी रह रहकर उठता रहा है। फिलहाल इस पर केजरीवाल की क्या रणनीति रहती है यह वक्त बताएगा?

पंजाब के हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में प्रमुख पार्टियों कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल व भाजपा ने सतलुज-यमुना लिंक नहर के मसले पर केजरीवाल को अपना स्टैंड क्लीयर करने की चुनौती दी थी। केजरीवाल चुनाव से पहले मसले पर अपनी बात कहने से हमेशा कतराते रहे हालांकि पूर्व में उन्होंने दिल्ली को एसवाईएल से पानी देने का मसला उठाया था। चूंकि इस मसले में हरियाणा भी पार्टी है लिहाजा उसका साथ केजरीवाल को मिल सकता है। वजह साफ है कि हरियाणा एसवाईएल नहर का पानी दिये जाने की बहुत समय से मांग कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल नहर बनाये जाने की अनुमति भी दे दी थी लेकिन पंजाब विधानसभा में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के दौरान एसवाईएल का पानी हरियाणा या किसी अन्य राज्य को दिये जाने के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया गया।

चूंकि अब विधानसभा में आम आदमी पार्टी का बंपर बहुमत है लिहाजा एसवाईएल का पानी दिल्ली तक पहुंचाने को लेकर कम से कम विधानसभा में तो अड़चन नहीं आने वाली। राजनीति जरूर इस मसले पर केजरीवाल को घेरने का काम करेगी लेकिन इसमें केजरीवाल को हरियाणा का साथ मिलने के पूरे पूरे आसार हैं। चूंकि आगामी कुछ माह में दिल्ली सहित हरियाणा के चुनाव सिर पर हैं लिहाजा इस मसले को सुलझाने की दिशा में जल्द बड़ा कदम उठाया जा सकता है। केजरीवाल दिल्ली में पुन: अपनी सरकार दोहराने जबकि हरियाणा में पंजाब की तरह अपनी सरकार बनाने का भी सपना संजोये हैं। यह मसला उनके लिए उनकी सियासत के लिए आगामी दिनों में सियासी तौर पर बड़ा राजनीतिक दॉव हो सकता है।