पंजाब-हरियाणा के बीच विधानसभा के लिये जमीन आवंटित करने को लेकर खिंची तलवारें
- By Vinod --
- Tuesday, 26 Nov, 2024
Swords drawn between Punjab and Haryana over allotment of land for assembly
Swords drawn between Punjab and Haryana over allotment of land for assembly- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I हरियाणा विधानसभा निर्माण के लिये जिस जमीन को लेकर पंजाब-हरियाणा के नेताओं के बीच बीते कई दिनों से आपस में लठ्ठ बज रहा है, उसे चंडीगढ़ प्रशासन हरियाणा को आवंटित ही नहीं कर सकता। मास्टर प्लान 2031 में इस पॉकेट (इलाके)में इतनी बड़ी किसी बिल्डिंग निर्माण का कोई प्रावधान ही नहीं है लिहाजा प्रशासन हरियाणा विधानसभा के लिये जो जमीन देने की बात कर रहा है, उसे हरियाणा को दिया ही नहीं जा सकता। प्लान के मुताबिक चंडीगढ़ की जिस पॉकेट में यह जमीन है, यह भूमि केवल अस्पतालों या आईटी सेक्टर कंपनी को दी जा सकती है। मुख्य बात यह है कि यहां हाई राइज बिल्डिंग भी नहीं बनाई जा सकती। अगर यहां जमीन हरियाणा विधानसभा के लिए स्थानांतरित करनी है तो पहले संसद में प्रस्ताव पारित करने के बाद ही ऐसा किया जा सकता है। मास्टर प्लान 2031 के मुताबिक चंडीगढ़ के लिए इस तरह भूमि आवंटित करना किसी लिहाज से संभव नहीं है।
मास्टर प्लान 2031 व्यापक और विस्तरित बातचीत के बाद हाईकोर्ट की दखलांदाजी से एडॉप्ट किया गया। यानि चंडीगढ़ के लिए मास्टर प्लान 2031 काफी विचार-विमर्श के बाद अपनाया गया और यह न्यायिक हस्तक्षेप के बाद एक अधिसूचित दस्तावेज है। यह प्रत्येक इंच भूमि के अंतिम उपयोग को निर्दिष्ट करने वाला एक विस्तृत दस्तावेज है जिसे न केवल पहचाना व परिभाषित किया गया है बल्कि विशेष उद्देश्य के लिए भी निर्धारित किया गया है। विचाराधीन और हरियाणा राज्य को हस्तांतरित की जाने वाली प्रस्तावित भूमि केवल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में वृद्धि के लिए है। मास्टर प्लान 2031 के अनुसार यह जमीन बिना मंजूरी के हरियाणा को आवंटित नहीं की जा सकती। इसे संसद में पारित करने के बाद ही हरियाणा को आवंटित किया जा सकता है।
जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ में कुल मिलाकर 2987.92 एकड़ भूमि है जो 17 पॉकेटों में विभाजित है। प्रत्येक पॉकेट में भूमि के उपयोग का संपूर्ण वर्णन मास्टर प्लान में किया गया है। हरियाणा विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में कोई भूमि उपलब्ध नहीं है क्योंकि जिस जमीन को आवंटित करने (विचाराधीन) की बात हो रही है, वह भूमि स्वास्थ्य क्षेत्र में पब्लिक, सेमी पब्लिक, इंस्टीच्यूशनल पर्पज के लिये आवंटित की जा सकती है। ऐसा मास्टर प्लान 2031 में प्रावधान किया गया है। इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिये जहां हाई राइज बिल्डिंग बनाने का काम हो, उसे यह जमीन नहीं दी जा सकती। चंडीगढ़ की पॉकेट तीन में सारंगपुर गांव पड़ता है तो पॉकेट 8 में मलोया की खाली जमीन पड़ती है। दोनों जगह कुल आरक्षित 308.835 एकड़ के अलावा फिलहाल चंडीगढ़ के किसी इलाके या पॉकेट में कोई अतिरिक्त या आरक्षित भूमि नहीं है।
हरियाणा विधानसभा के लिए प्रस्तावित 10 एकड़ भूमि मास्टर प्लान 2031 के तहत पॉकेट 14 और 15 में चंडीगढ़-कालका रोड पर स्थित है। चंडीगढ़ की पॉकेट 14 में चंडीगढ़- कालका रोड से सटी 56.14 एकड़ भूमि पब्लिक, सेमी पब्लिक और इंस्टीच्यूशनल पर्पज के लिये है। और इस जमीन का केवल इसी पर्पज के लिये उपयोग किया जा सकता है। यहां केवल लो डेनसिटी व लो-राइज बिल्डिंग का ही निर्माण हो सकता है। चंडीगढ़ के पॉकेट 15 में पार्क फेज 2 और मनीमाजरा की ओर जाने वाले मार्ग संख्या रूट नंबर तीन के बीच 327.48 एकड़ भूमि क्षेत्र है जो केवल आईटी व आईटीईएस की लो-डेनसिटी व लो-राइज बिल्डिंगों के निर्माण के लिये आवंटित किया जा सकता है। इस प्रकार हरियाणा सरकार की विधानसभा बनाने की प्रस्तावित परियोजना के लिए चंडीगढ़ प्रशासन के पास कोई भूमि नहीं है लिहाजा हरियाणा सरकार को विधानसभा के लिये भूमि डाइवर्ट करने का कोई स्कोप भी नहीं है। व्यापक मास्टर प्लान 2031 के मुताबिक चंडीगढ़ के लिए इस तरह भूमि आवंटित करना किसी लिहाज से संभव नहीं है। हरियाणा विधानसभा भवन के लिए भूमि आवंटित करने के विचार को भविष्य में चंडीगढ़ प्रशासन को छोडऩा पड़ सकता है। सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके गर्ग ने इसको लेकर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को भी लिखा है।
पंजाब कर रहा हरियाणा को जमीन देने का विरोध
हरियाणा विधानसभा निर्माण को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच तलवारें खिंची हैं। पंजाब की सब पार्टियों के नेता जिसमें मुखयमंत्री भगवंत मान समेत भाजपा के नेता भी शामिल हैं, जमीन दिये जाने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह किसी भी मायने में उचित नहीं है। उधर हरियाणा के मुखयमंत्री नायब सिंह सैनी सहित हरियाणा की तमाम पार्टियों के नेता कह रहे हैं कि हरियाणा को नई विधानसभा बनाने के लिये अगर 10 एकड़ जमीन मिलती है तो इसमें पंजाब को कैसा ऐतराज? बता दें कि हरियाणा सरकार की ओर से चंडीगढ़ प्रशासन को प्रस्ताव दिया गया है कि इस जमीन के बदले चंडीगढ़ के रेगुलेटरी एंड पर पडऩे वाली हरियाणा की 12 एकड़ जमीन बदले में दी जाएगी। फिलहाल चंडीगढ़ प्रशासन ने इस पर कोई रजामंदी नहीं दी है। इस जमीन को देखा जा रहा है। मास्टर प्लान 2031 में मौजूद प्रावधानों से यह मसला और पेचिदा होने की आशंका है।
-चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार राजीव वर्मा और होम सेक्रेट्री मनदीप बराड़ से मास्टर प्लान 2031 के प्रावधानों को लेकर उनका पक्ष लेने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। पूर्व विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता व वर्तमान स्पीकर हरविंदर कल्याण से भी मसले पर बात नहीं हो पाई।