संसद में अभद्र बयान देना अपराध नहीं... सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, कहा- बोलने की पूरी आजादी, याचिका खारिज की
Supreme Court On Statements in Parliament
Supreme Court: संसद में अभद्र या अपमानजनक बयान देना अपराध नहीं है। यह बड़ी टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने की है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका लगाई गई थी जिसमें यह मांग की गई थी कि संसद और विधानसभाओं में अपमानजनक बयान और अनुचित व्यवहार सहित हर तरह के काम को कानून से छूट नहीं मिलनी चाहिए। यह सब अपराध के दायरे में आए और आपराधिक साजिश के तहत दंड मिले। इससे सदन में ऐसा होने पर लगाम लग सकेगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा संसद का सदन हो किसी भी विधानसभा का। वहां भीतर कुछ भी बोलने पर सांसदों-विधायकों पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। संसद और विधानसभा के सदस्यों को सदन के भीतर बोलने की पूरी आजादी है। सदन में अपमानजनक बयान या किसी व्यवहार को आपराधिक साजिश का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता। खासकर संसद में। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद के पास खुद ऐसी शक्तियां है कि जहां वह ऐसी किसी घटना पर खुद कार्रवाई करने में सक्षम है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संसद या विधानसभाओं में राजनीतिक विरोधियों के बयानों को आपराधिक साजिश का हिस्सा नहीं कहा जा सकता है, इसके अलावा इसको कार्रवाई में भी लाया जाना ठीक नहीं होगा। बताता जाता है कि, इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी। याचिका सुनते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, संजय कुमार और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, सदन के अंदर चुने हुए सदस्य जो कुछ भी बोलते हैं वह उनका विशेषाधिकार है। यह याचिका खारिज की जाती है।