गवर्नर को आत्ममंथन की जरूरत... जनता ने नहीं चुना है; पंजाब सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया यह निर्देश, सुनवाई में कहीं ये बातें
Supreme Court Hearings Punjab Govt Plea Against Governor Update
Supreme Court Punjab Govt Plea: पंजाब में सरकार और गवर्नर में तनातनी लगातार जारी है। विधेयकों को मंजूरी देने में आनाकानी और देरी करने को लेकर अब पंजाब सरकार फिर से गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची हुई है। पंजाब सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गवर्नर की तरफ से पक्ष रखा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि, गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित ने उनके समक्ष रखे गए विधेयकों पर अपनी तरफ से संबन्धित एक्शन लिया है। जहां सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की बात को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विधेयकों को मंजूरी देने के संबंध में एक अपडेट रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष दाखिल की जाये। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 10 नवंबर दिन शुक्रवार को तय कर दी।
मामला कोर्ट पहुंचने से पहले ही एक्शन लें गवर्नर
आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने काफी कड़ा रुख भी दिखाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, राज्यों में जो भी गवर्नर हैं उन्हें उनसे संबन्धित मामले में पहले ही एक्शन लेना चाहिए, उन्हें मामला कोर्ट आने का इतंज़ार नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अक्सर देखा जा रहा है कि, पंजाब जैसी स्थिति कई दूसरे राज्यों में हुई है, जहाँ गवर्नर तभी काम करते नज़र आते है, जब मामला कोर्ट पहुंचता है। यह ठीक बात नहीं है। सभी गवर्नर को आत्ममंथन की जरूरत है, उन्हें पता होना चाहिए कि वे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि, किसी भी राज्य की सरकार भी यह सुनिक्षित करे कि वह संवैधानिक रूप से गवर्नर केसाथ तालमेल बनाकर काम करेगी। संवैधानिक दायरे से बाहर जाकर काम करने का सरकार का रवैया अनुचित है। मालूम रहे कि, यह दूसरी बार है जब गवर्नर के खिलाफ पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है। इससे पहले पिछले साल विधानसभा सेशन बुलाने को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।