वैज्ञानिक सर्वे के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, मुस्लिम पक्ष की रोक की मांग
Gyanvapi Case ASI Survey
प्रयागराज। Gyanvapi Case ASI Survey: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण पर ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वेक्षण शुरू हो गया है। यह सर्वेक्षण इतिहास रचने की दिशा में एक कदम है। वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने परिसर का (सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील वुजूखाने को छोड़कर) वैज्ञानिक सर्वे कराने पर लगी रोक हटा दी और जिला जज वाराणसी के 21 जुलाई, 2023 के आदेश को बहाल कर दिया। दोनों पक्षों को आदेश का पालन करने का भी निर्देश दिया गया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने प्रबंध समिति अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद वाराणसी बनाम राखी सिंह व आठ अन्य की याचिका पर दिया है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पहुंची।
एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) आज ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करेगा। ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कल एएसआई को सर्वे करने की इजाजत दे दी। एएसआई और जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। हम भी वहीं जा रहे हैं। यह सर्वेक्षण इतिहास रचने की दिशा में एक कदम है।
वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग
हाई कोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में पुरातत्व विभाग (एएसआइ) का सर्वे शुक्रवार से शुरू हो जाएगा। जबकि अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) एवं एएसजीआइ की तरफ से साफ कहा गया है कि सर्वे के दौरान निर्माण को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने इस आशय का हलफनामा भी दाखिल किया है। इस कथन पर संदेह करने का कोई औचित्य नहीं है। यह स्थापित विधि सिद्धांत है कि अदालत, सिविल वाद के किसी भी चरण पर जांच कमीशन जारी कर सकती है। जिला जज वाराणसी का आदेश उचित है और अदालत ने अधिकार क्षेत्र के बाहर कार्य नहीं किया। वाराणसी जिला जज की अदालत में विचाराधीन सिविल वाद में दो अर्जियां दाखिल कर प्लाट नंबर 9130 (ज्ञानवापी परिसर) का वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग की गई।
एएसआइ को जीपीआर सर्वे करने का आदेश
जिला जज की अदालत ने 21 जुलाई को प्रश्नगत आदेश से एएसआइ को जीपीआर सर्वे करने का आदेश दिया और रिपोर्ट मांगी। इस आदेश के खिलाफ विपक्षी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले हाई कोर्ट जाने का आदेश देकर सर्वे आदेश पर 26 जुलाई तक रोक लगा दी। इसके बाद अनुच्छेद 227 के तहत इलाहाबाद हाइ कोर्ट में याचिका दायर की गई। मस्जिद पक्ष को आशंका थी कि सर्वे से ज्ञानवापी भवन को नुकसान पहुंचेगा। निर्माण ध्वस्त हो सकता है। हाई कोर्ट ने इस आशंका पर एएसआइ के अधिकारी को तलब किया।
सर्वे से निर्माण को कोई क्षति नहीं होगी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के एडीजी आलोक त्रिपाठी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सर्वे से निर्माण को कोई क्षति नहीं होगी। न कोई खोदाई होगी, न ही ड्रिल किया जाएगा। बिना किसी नुकसान के पूरी ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया जाएगा। कोर्ट ने कहा, 1991 के पूजा स्थल अधिनियम (वर्शिप एक्ट) को लेकर दोनों पक्षों में किसी ने कोई बहस नहीं की, जिस पर कोई विचार नहीं किया गया। मस्जिद पक्ष की निर्माण को नुकसान पहुंचने की तमाम आशंकाओं को अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा, एएसआइ के हलफनामे और आश्वासन के बाद सर्वे के तरीके पर कोई संदेह नहीं रह गया है। न्यायहित में सर्वे कराना जरूरी भी है।
हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन
कोर्ट ने जिला अदालत को कहा है कि विचाराधीन मुकदमे को जल्दी तिथि तय कर यथाशीघ्र तय करें। अनावश्यक स्थगन न दिया जाए। कोर्ट ने कहा है कि एएसआइ की जांच को लेकर दोनों पक्षकारों के विधिक अधिकारों पर इस याचिका के खारिज होने से कोई असर नहीं पड़ेगा। याचिका पर एएसजीआइ शशि प्रकाश सिंह, महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि सिंह, याची (मस्जिद पक्ष) की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी, पुनीत कुमार गुप्ता और मंदिर पक्ष की तरफ से विष्णु शंकर जैन, सौरभ तिवारी व प्रभाष पांडेय आदि ने बहस की। उधर, वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराया जाएगा।
सर्वे के लिए प्रशासन की तरफ से तैयारियां पूरी
सर्वे शुक्रवार से शुरू करने के लिए प्रशासन की तरफ से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस संबंध में पुरातत्त्व विभाग की ओर से प्रशासन को जानकारी दी गई है। पुरातत्व विभाग को जिला प्रशासन से जिस भी सहयोग की अपेक्षा होगी, उपलब्ध कराई जाएगी। सर्वे के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहेंगे। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर में एएसआइ सर्वे के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार है। हालांकि वाराणसी के जिलाधिकारी की ओर से सूचित किया गया है कि सर्वे की कार्यवाही शुक्रवार से शुरू की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मस्जिद पक्ष
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध मस्जिद पक्ष गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। वहीं मंदिर पक्ष ने कैविएट दायर कर दी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के कुछ घंटों बाद अधिवक्ता निजामा पाशा ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और तत्काल सुनवाई की मांग की। उस वक्त प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ अनुच्छेद-370 खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुन रही थी और उठने वाली थी। पाशा ने कहा, ‘इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज आदेश पारित किया है। हमने आदेश के विरुद्ध विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। मैंने एक ईमेल (तत्काल सुनवाई की मांग संबंधी) भेजी है।’ इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘मैं तुरंत ईमेल देखूंगा।’ मंदिर पक्ष की ओर से शीर्ष अदालत में यह कहते हुए कैविएट दाखिल की है कि उनका पक्ष सुने बिना कोई भी आदेश पारित न किया जाए।
इलाहाबाद हाई कोर्ट को धन्यवाद
बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है। हम इलाहाबाद हाई कोर्ट को धन्यवाद देते हैं। कोर्ट ने हमारी हर दलील को माना है। सर्वे तत्काल प्रभाव से चालू हो सकता है। विष्णु शंकर जैन, अधिवक्ता मंदिर पक्ष
एएसआइ का प्रस्तावित सर्वे न केवल न्याय हित में जरूरी है, वरन यह दोनों पक्षों के लिए भी लाभकारी है। साथ ही अदालत को किसी नतीजे पर पहुंचने में इससे सहायता मिलेगी। सर्वे का आदेश विधि सम्मत है। (न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर, मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद हाई कोर्ट)
कब-कब क्या हुआ: मुख्य तिथियां
21 जुलाई: वाराणसी की जिला जज कोर्ट ने दिया था वैज्ञानिक सर्वे का निर्णय
24 जुलाई: अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद वाराणसी सुप्रीम कोर्ट पहुंची, शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट जाने का आदेश दिया
25 जुलाई: अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका
03 दिन: 25, 26 व 27 जुलाई को लगभग आठ घंटे सुनवाई हुई
जीपीएस से तैयार किया जा चुका है परिसर का नक्शा
24 जुलाई को एएसआइ की टीम ने साढ़े पांच घंटे में जीपीएस से पूरे परिसर की पैमाइश करने के साथ मौजूद धार्मिक व ऐतिहासिक चिह्नों व साक्ष्यों की जांच की थी। मस्जिद परिसर में ताला बंद होने से टीम तहखानों व मुख्य गुंबद के नीचे टीम नहीं पहुंच सकी थी। पश्चिमी दीवार, व्यास जी का कमरा, नमाज पढ़ने की जगह, खंभों, दीवारों आदि की जांच की गई थी। सबसे अधिक समय इमारत की पश्चिमी दीवार पर दिया था।
14 महीनों में तीसरी बार होगा सर्वे
ज्ञानवापी परिसर में 14 महीनों में तीसरी बार सर्वे होगा। मंदिर पक्ष की मांग पर बीते वर्ष छह, सात, 14, 15 व 16 मई को एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही हुई थी। इस वर्ष एएसआइ ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कुछ घंटे बाद ही रोकना पड़ा। अब हाई कोर्ट ने सर्वे की अनुमति दे दी है।
योगी समाधान का प्रस्ताव रखें तो कर सकते विचार: मौलाना शहाबुद्दीन
हाई कोर्ट के आदेश से मुस्लिम पक्ष संतुष्ट नहीं है और सुप्रीम कोर्ट के आखिरी फैसले को ही मानने की बात कह रहा है, लेकिन इन सबके बीच विवाद के समाधान की खिड़की भी खोलने के संकेत दिए हैं। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि ज्ञानवापी पुरानी मस्जिद है। वहां पांच वक्त की नमाज हो रही है। सुप्रीम कोर्ट से जो आखिरी फैसला होगा, उसको मुसलमान मानेंगे। पूरे भारत का मुसलमान संविधान की एक-एक लाइन को मानता है। संभव हो तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुस्लिमों की बैठक बुलाएं। उनके सामने समाधान का प्रस्ताव रखें। उनकी बात पर विचार किया जा सकता है।
एएसआइ की टीम ने वाराणसी पहुंची, शुरू की तैयारी
ज्ञानवापी परिसर का सर्वे के लिए एएसआइ की टीम गुरुवार देर रात वाराणसी पहुंच गई। इसमें लखनऊ, आगरा, उन्नाव, पटना समेत देश के विभिन्न हिस्सों के 43 पुरा विशेषज्ञ टीम में शामिल हैं। कुछ सेवानिवृत्त पुराविदों को भी टीम में रखा गया है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के पुरातात्विक सर्वेक्षण में शामिल रहे एएसआइ के अतिरिक्त महानिदेशक आलोक त्रिपाठी टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने शाम को ही आते ही प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों से संपर्क किया। सुबह सात बजे से सर्वे शुरू करने की तैयारी है। विशेषज्ञ दल ने रूपरेखा भी तैयार कर ली है।
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