हम चुनाव में बाधा नहीं डाल सकते..; सुप्रीम कोर्ट से ECI को बड़ी राहत, फॉर्म 17C डेटा अपलोड करने का आदेश नहीं, याचिका...
Supreme Court Hearing on Form 17C Booth-Wise Votes Records ADR Petition Adjourns
Supreme Court on Form 17C: इन दिनों देश में लोकसभा चुनाव-2024 के लिए वोट डाले जा रहे हैं। जहां इसी बीच इस पूरे चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ADR की याचिका में मांग की गई कि कोर्ट चुनाव आयोग को वोटिंग के बाद वोटों के आंकड़े जल्दी से जल्दी जारी करने और बूथ-वार वोटरों द्वारा डाले गए वोटों के पूरे रिकॉर्ड को जारी करते हुए फॉर्म 17C डेटा (किसी मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकार्ड) को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे। याचिका में चुनाव आयोग पर गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर अभी विचार करने और चुनाव आयोग को कोई आदेश देने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, इस याचिका में जो मांग की गई है, वो 2019 में दाखिल ADR की याचिका में भी शामिल है। अब चुनाव प्रकिया के बीच में इस मांग को नई याचिका के ज़रिए फिर से उठाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमे व्यवहारिक दिक्कतों को भी समझना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि चूंकि देश में चुनाव चल रहे हैं। इसलिए फिलहाल इस कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। हम चुनाव में बाधा नहीं डाल सकते। चुनाव प्रकिया में बीच मे नियमों में बदलाव कर आयोग पर दबाब डालना ठीक नहीं है। बता दें कि, सुपीम कोर्ट ने याचिका खारिज नहीं की। लेकिन याचिका को स्थगित कर दिया और पेंडिंग रखा। गर्मी की छुट्टियों के बाद इस याचिका पर सुनवाई की जाएगी।
चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ADR की इस याचिका पर सुनवाई को लेकर चुनाव आयोग ने विरोध किया। चुनाव आयोग के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। चुनाव आयोग की तरफ से मनिंदर सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार आयोग को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। यह याचिका खारिज की जानी चाहिए। मनिंदर सिंह ने कहा कि महज आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल दी में दिए अपने फैसले में तमाम पहलू स्पष्ट कर दिए थे।
चुनाव आयोग का कहना है कि, नियमों के अनुसार फॉर्म 17C (किसी मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकार्ड) की कॉपी केवल मतदान एजेंट को ही दी जा सकती है। नियमों में फॉर्म 17C का सार्वजनिक रूप से खुलासा किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईसीआई को फॉर्म 17C में डाले गए वोटों के रिकॉर्ड का खुलासा करने का आदेश नहीं दे सकता है। आयोग का कहना है कि फार्म 17C को वेबसाइट पर अपलोड करने से गड़बड़ी हो सकती है, इसमें छेड़छाड़ की जा सकती है। जिससे चलते चुनावी प्रकिया को लेकर जनता के बीच अविश्वास पैदा हो सकता है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने की सुनवाई
बता दें कि, इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एस सी शर्मा की अवकाशकालीन बेंच ने सुनवाई की। मालूम रहे कि, इससे पहले हाल ही में EVM-VVPAT के 100% मिलान के मामले में भी सुनवाई की थी।