केजरीवाल को CM पद से हटाने की याचिका SC से खारिज; सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दिल्ली LG एक्शन लेना चाहें तो लें, पर हम दखल नहीं देंगे
Supreme Court Dismisses Plea To Remove Arvind Kejriwal as Delhi CM
Supreme Court on Kejriwal: अरविंद केजरीवाल को दिल्ली सीएम पद से हटाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। याचिका में कहा गया था कि, शराब घोटाले में गिरफ्तार होने के बाद केजरीवाल सीएम पद पर बने हुए हैं। यह उचित नहीं हैं। उन्हें तत्काल हटाया जाए। वहीं याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि, गिरफ्तारी के बाद भी केजरीवाल का सीएम पद पर बने रहना उनका निजी फैसला है।
बेंच ने कहा कि, गिरफ्तारी के कारण केजरीवाल का CM पद पर बने रहना ठीक है या नहीं, ये नैतिकता का सवाल हो सकता है, पर ऐसा करना कोई क़ानूनी अधिकार नहीं है। जिसके चलते उन्हें सीएम पद से हटाने की मांग कोर्ट में की जाए। बेंच ने कहा कि, अगर इस मामले में दिल्ली LG एक्शन लेना चाहें तो लें। मगर हम इस मामले मे दखल नहीं दे रहे हैं। हम यह याचिका खारिज करते हैं। मसलन, केजरीवाल के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने LG पर फैसला छोड़ दिया है।
ज्ञात रहे कि, सुप्रीम कोर्ट की इसी बेंच ने 10 मई को केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी। केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना होगा। केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाले में आरोपी हैं। ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 1 अप्रैल को केजरीवाल को तिहाड़ जेल भेज दिए गए थे।
मालूम रहे कि, इससे पहले इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट में 3 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। हाईकोर्ट ने तीनों याचिकाएं खारिज कर दी थीं। केजरीवाल को CM पद से हटाने की मांग पर सबसे पहले 22 मार्च को सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले सुरजीत सिंह यादव ने जनहित याचिका दायर की थी और कहा था कि घोटाले में गिरफ्तार केजरीवाल का सीएम पद पर अब बने रहना उचित नहीं है। इसलिए हाईकोर्ट आदेश देकर उन्हें सीएम पद से हटाये। सुरजीत की इस याचिका पर हाईकोर्ट ने 28 मार्च को सुनवाई की और याचिका खारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने कहा था कि, इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। संवैधानिक रूप से हाईकोर्ट द्वारा केजरीवाल को CM पद से हटाने का आदेश नहीं दिया जा सकता। इस मामले में कोई कदम उठाना सरकार के एक विंग का काम है। मसलन कोर्ट का कहना था कि, दिल्ली के उप-राज्यपाल द्वारा ही केजरीवाल को जेल से सरकार चलाने से रोकने और सीएम पद हटाने को लेकर राष्ट्रपति से सिफ़ारिश की जा सकती है।
29 मार्च को फिर याचिका लगाई गई
इसके बाद केजरीवाल को सीएम पद से हटाने को लेकर दूसरी बार 29 मार्च को एक नई जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की गई। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गई। इसमें कहा गया कि केजरीवाल भ्रष्टाचार के आरोपी है और वह संवैधानिक विश्वास के उल्लंघन के दोषी हैं। इसलिए उन्हें सीएम पद से हटाया जाये। वहीं इस याचिका पर हाईकोर्ट ने 1 अप्रैल को सुनवाई की और याचिका खारिज कर दी।
7 अप्रैल को AAP के पूर्व नेता ने लगाई याचिका
7 अप्रैल को आम आदमी पार्टी के ही एक पूर्व मंत्री संदीप कुमार ने केजरीवाल को सीएम पद से हटाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया है कि, शराब घोटाले में कथित संलिप्तता और गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल सीएम पद पर बने रहने के लिए संवैधानिक रूप से सक्षम नहीं हैं। वह सीएम पद पर बने रहने का अधिकार खो चुके हैं। इसलिए केजरीवाल को अयोग्य मानते हुए सीएम पद से हटाया जाए। इस याचिका पर सुनवाई 10 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की बेंच ने की।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार का जुर्माना ठोका
इस अंतिम याचिका में याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाते हुए पर हाईकोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोका था। कोर्ट ने कहा था कि, हम दिल्ली सीएम को हटाने या दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने का आदेश नहीं दे सकते हैं। हम इस पर पहले ही अपनी राय दे चुके हैं लेकिन पब्लिसिटी के लिए फिर भी याचिकाएं लगाई जा रहीं हैं। एक ही मुद्दे को बार-बार कोर्ट में लाकर याचिकाकर्ता सिस्टम का मजाक बना रहे हैं। कोर्ट का कहना था कि यह जेम्स बॉन्ड फिल्म की तरह नहीं है, जहां हम सीक्वल बनाएंगे।