Editorial: कोचिंग सेंटर केस में सुप्रीम कोर्ट का संज्ञान बदलेगा हालात
- By Habib --
- Monday, 05 Aug, 2024
Supreme Court cognizance in coaching center case will change the situation
Supreme Court cognizance in coaching center case will change the situation सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में एक आईएएस कोचिंग सेंटर में बारिश के पानी में डूबने से तीन युवाओं की मौत का स्वत: संज्ञान लेकर यह जता दिया है कि भारतीय न्यायपालिका कितनी संजीदा है और मानव जीवन से कितना सरोकार रखती है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र एवं दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। निश्चित रूप से यह आवश्यक है कि इस मामले में जिम्मेदारी तय की जाए और देश को यह पता चले कि आखिर इस घटना के लिए जिम्मेदार कौन है? अभी तक की स्थिति तो यही है कि सभी एक-दूसरे पर इसके लिए जिम्मेदारी डाल रहे हैं और सिर्फ निचले तबके के कर्मचारियों या अधिकारियों पर कार्रवाई करके अपने आप को बचाने में लगे हैं।
यह बहुत चिंता की बात है कि इस घटना के बाद मीडिया में तमाम ऐसी रिपोर्ट आई हैं, जिनमें कोचिंग सेंटरों के अंदर के हालात का ब्योरा दिया गया है। अब प्रशासन की ओर से कुछ सेंटरों पर कार्रवाई की गई है, लेकिन अब माननीय सर्वोच्च अदालत की यह टिप्पणी बेहद गंभीर है कि कोचिंग सेंटर डेथ चेंबर बन गए हैं। अदालत का यह कहना भी सरकारों के लिए एक सबक है कि जब तक कोचिंग सेंटर तय मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं, तब तक उन्हें खोलने की अनुमति नहीं दी जाए।
निश्चित रूप से इस प्रकार की बातें पहले से हवा में थी। यानी इन सब मुद्दों को अभ्यर्थी, मीडिया लगातार उठाता आ रहा है। तीन युवा अभ्यर्थियों की मौत के बाद प्रदर्शन कर रहे प्रत्येक युवा की यही सब दलील थी कि आखिर इतने बुरे हालात के संबंध में प्रशासन और सरकार क्यों नहीं जानकारी रख रही। आखिर कैसे इन कोचिंग सेंटरों को खोलने की इजाजत दे दी गई, जहां मोटी फीस लेकर युवाओं को पूरी सुविधाएं नहीं मिल रही। सबसे दुखद तो वे पीजी हैं, जहां पर रहकर यह युवा अपने जीवन को निर्मित कर रहे होते हैं। देश के धुर दक्षिण से लेकर उत्तर, पूर्वोत्तर, पश्चिम सभी राज्यों से आए युवाओं का केंद्र दिल्ली है। और इसी दिल्ली में कोचिंग सेंटरों की भरमार है।
इन कोचिंग सेंटरों के बूते पीजी का कारोबार भी खूब फल-फूल रहा है। हालांकि मोटी फीस वसूल कर भी इन युवाओं को इतने छोटे घरोंदों में रहने को मजबूर किया जाता है, जहां पर जाते हुए किसी अन्य व्यक्ति की सांसें तक फूलने लगती हैं। ये युवा जहां पर खाना खाते हैं, वह जगह उनकी पॉकेट को खाती है, यानी अस्वच्छ वातावरण में तैयार खाना और वह भी महंगे रेट पर इन युवाओं को नसीब होता है। आखिर इन हालात की जानकारी किसी सरकार या प्रशासन के पास होती है या नहीं।
दिल्ली हादसों का शहर है, लेकिन यहां ओल्ड राजेंद्र नगर में जो हुआ, वह बेहद भयानक और कोचिंग संस्थानों की मनमानी और उनकी हेकड़ी को भी सामने लाता है। अब सामने आ रहा है कि संबंधित कोचिंग संस्थान के बेसमेंट को गोदाम के रूप में इस्तेमाल करने की ही मंजूरी थी लेकिन उस जगह को लाइब्रेरी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था और उस लाइब्रेरी में भी बायोमेट्रिक गेट लगाया गया था, यानी जिनका बायोमेट्रिक रिकार्ड है, वहीं वहां जा सकते हैं। बरसात की वजह से बिजली चली गई और इससे बायोमेट्रिक गेट जाम हो गया और उसमें वे तीनों युवा फंस गए। यह बेसमेंट कई फीट गहरा बताया गया है, यानी इसमें भरे पानी के अंदर जो डूबा वह बाहर निकलने की सोच भी नहीं सकता था, क्योंकि ऊपर छत थी और चारों तरफ दीवारें।
इस मामले में पुलिस ने कोचिंग सेंटर के मालिक और एक कोऑर्डिनेटर को गिरफ्तार किया है, हालांकि अन्य गिरफ्तारियां भी हुई हैं। सबसे ताज्जुब एक एसयूवी के चालक की गिरफ्तारी से होता है, जोकि बरसात के पानी से भरी उस सडक़ के बीच से अपनी गाड़ी को लेकर गया था। पुलिस ने उस चालक को लापरवाही से गाड़ी चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया। प्रश्न यह है कि अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश में अधिकारी किस-किस की कथित लापरवाही को उजागर करते रहेंगे। आखिर किसी को कैसे पता हो सकता है कि बरसात का पानी बिल्डिंग के बेसमेंट में चला जाएगा। वास्तव में इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच आवश्यक है और अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए नोटिस जारी किया है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि व्यवस्था में सुधार होगा। देश का भविष्य इन्हीं कोचिंग सेंटरों और पीजी में तैयार हो रहा है, आखिर क्यों नहीं उसे इतनी सहुलियत मिलती कि वह चैन से पढ़ सके।
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