"सनी देओल के बैंक ऑफ बड़ौदा के क़र्ज़ और बंगले के नोटिस की टकनीकी कारणों के बारे में जानें"
"सनी देओल के बैंक क़र्ज़ और बंगले के नोटिस का टकनीकी कारण जानिए"
सनी देओल के क़र्ज़ और बंगले के नोटिस से जुड़ी चर्चा और सवाल
आजकल, अभिनेता और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद सनी देओल का विवाद चर्चा में है। इसकी मुख्य वजह फिल्म "गदर-2" की सफलता नहीं है ही नहीं, बल्कि उनके बंगले के संबंध में बैंक ऑफ़ बड़ौदा के एक नोटिस के साथ भी है।
बैंक ने दिसंबर 2022 से पंजाब के गुरदासपुर से सांसद सनी देओल के ₹55.99 करोड़ के क़र्ज़ का भुगतान नहीं होने की जानकारी दी, और उनके मुंबई के बंगले की ई-नीलामी का आलंब रखा।
19 अगस्त को, जब यह नोटिस समाचार पत्रिकाओं में प्रकट हुआ, तो सांसद सनी देओल के क़र्ज़ की चुकाई ना जाने के बारे में लोगों ने सवाल उठाए। वे इसे व्यक्तिगत मामला मानकर इसका खंडन कर दिया। हालांकि, दो दिनों बाद, बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने 'तकनीकी कारणों' का उल्लेख करके इस नोटिस को वापस ले लिया।
इस संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं - क्यों बैंक ने ऐसा किया? क्या सनी देओल अपने क़र्ज़ का भुगतान करने के लिए तैयार हैं? क्या बैंक पर किसी दबाव का सामना किया गया है? बैंक द्वारा जिन कारणों का उल्लेख किया गया है, उनमें कितना महत्वपूर्ण अंश है?
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बैंक ने किया क्या
बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने रुपये वापस पाने के लिए सनी देओल के उस बंगले को बेचने का निर्णय लिया, जिसे वहने गिरवी रखा था।
बैंक ने 19 अगस्त, 2023 को कई अख़बारों में जारी किया कि सनी देओल से करीब 56 करोड़ रुपये और दिसंबर 2022 के बाद से इस रक़म पर लगने वाले ब्याज का भुगतान बकाया है, और वह इस रकम को वापस पाने के लिए बंगले की नीलामी का आयोजन कर रहा है।
नीलामी के लिए बंगले का मूल प्राइस 51 करोड़ 43 लाख रुपये है और नीलामी की तारीख 25 सितंबर, 2023 को निर्धारित की गई है। बैंक ने इच्छुक ख़रीदारों से मूल प्राइस का दस प्रतिशत जमा करने की ऑनलाइन नीलामी में भाग लेने की सलाह दी है।
नोटिस जारी करते समय, बैंक ने स्पष्ट रूप से बताया कि इस समय वह केवल 'प्रतीकात्मक स्थान' रख रहा है, जिसका मतलब है कि बंगला अभी भी पूरी तरह से उनके कब्जे में नहीं है। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि इच्छुक ख़रीदार 14 सितंबर को इसे देखने के लिए आ सकते हैं।
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बैंक की कार्रवाई पर उठे सवाल
बैंक ने इस मामले में कई कारणों को उजागर किया है। सबसे पहला कारण है कि बैंक को व्यक्तिगत ऋण रूपी बकाया की विशेष जानकारी नहीं थी, जिसके चलते उन्हें यह स्पष्ट नहीं था कि कितने पैसे वसूलने हैं।
इसके बाद, बैंक ने सिंबोलिक पजेशन, यानी प्रतीकात्मक स्थान के आधार पर नीलामी का आलम्ब बताया है। बैंक ने मुख्य मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट के पास पजेशन के खिलाफ आवेदन दिया है, जिसकी प्रक्रिया अभी चल रही है।
तीसरा और मुख्य कारण यह है कि बैंक ने बिक्री नोटिस प्रकाशित होने के बाद सनी देओल से बकाया राशि की चुकाने के लिए संपर्क किया है।
यहाँ एक जरूरी बात यह है कि ब्रिकी नोटिस प्रकाशित होने के तीस दिनों के भीतर व्यक्ति को पूरा ऋण चुकाना होता है, अन्यथा संपत्ति की नीलामी होती है। इसलिए, सनी देओल के इस कर्ज़ का भुगतान कितना हुआ है, इसका उत्तर अभी तक बैंक ने नहीं दिया है।