लोकसभा चुनाव से पहले नई रणनीति बनाने में जुटे सुखबीर बादल, बड़ी तैयारी में जुटा अकाली दल
Lok Sabha Elections 2024
चंडीगढ़ : Lok Sabha Elections 2024: पंजाब की राजनीति में पटरी से उतरे शिरोमणि अकाली दल को मजबूत बनाने के लिए सुखबीर बादल नई रणनीति बनाने में जुटे हैं। इस कड़ी में पार्टी अभी से लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों का चयन करना चाहती है ताकि उम्मीदवारों को अपने प्रचार के लिए पूरा मौका मिल सके। भाजपा के साथ गठबंधन की सुगबुगाहट के बीच अकाली दल ने ऐसे लोकसभा हलकों की पहचान भी कर ली है, जिन पर उसके प्रत्याशियों का लड़ना तय है। यह माना जा रहा है कि राज्य की 13 लोकसभा सीटों में से नए समझौते के तहत अकाली दल के हिस्से अब 10 की बजाय 7-8 सीटें ही आएंगी। यदि गठबंधन हुआ तो मालवा की 2 सीटें भाजपा के कोटे में आ सकती हैं। इसके अलावा फिरोजपुर से लोकसभा सदस्य सुखबीर बादल के दोबारा इसी हलके से चुनाव लड़ने को लेकर संशय बढ़ता जा रहा है।
बीते एक साल के दौरान उनके अपने लोकसभा हलके में दौरे नाममात्र ही रहे हैं। समझा जाता है कि वह खुद चुनाव लड़ने की बजाय पार्टी प्रत्याशियों के प्रचार पर ध्यान देंगे। प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर पहुंच चुके अकाली दल के प्रधान के लिए चुनाव लड़ने से ज्यादा जरूरी अपना काडर समेटना है। इसलिए सुखबीर बादल पहले की भांति अब केवल विधानसभा और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। इस समय सुखबीर का पूरा फोकस अकाली दल को मजबूत करने पर है। अकाली दल की पंजाब में हमेशा मजबूत पैठ रही है और इस जनाधार को दोबारा वह पार्टी के साथ जोड़ने की कोशिश में हैं। मालवा और माझा उसके मजबूत गढ़ रहे हैं मगर गत 2 विधानसभा चुनाव में उसका वोट बैंक छिटक चुका है। सुखबीर बादल भी जानते हैं कि राज्य की राजनीति में अस्तित्व बरकरार रखने के लिए किसी भी तरह से अकाली दल को अपने वोट बैंक को दोबारा वापस लाना होगा।
इसी कड़ी में वह पिछले महीने श्री अकाल तख्त साहिब पर बेअदबी मामले में माफी मांग चुके हैं। उन्होंने उस दिन किसी भी वजह से अकाली दल से अलग हुए नेताओं को वापस दल में लौटने की भावुक अपील भी की थी। इस अपील का असर भी अगले कुछ दिनों में दिखने लगेगा। यदि अकाली दल छोड़ चुके नेता वापस लौटते हैं तो काडर भी दोबारा जुड़ने लगेगा।
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