Such a Jyotirlinga where Shiv-Parvati are seated in a combined form
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ऐसा ज्योतिर्लिंग जहां संयुक्तरूप में विराजमान हैं शिव-पार्वती, देखें क्यों कहा गया  मल्लिकार्जुन

Mallikaarjun

Such a Jyotirlinga where Shiv-Parvati are seated in a combined form

Such a Jyotirling where Shiv-Parvati are seated in a combined form 12 ज्योतिर्लिंग देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित है, इनमें मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है जिससे शिवभक्तों की आस्था जुड़ी हुई है, मल्लिका अर्थात मां पार्वती और अर्जुन यानि भगवान शिव दोनों के संयुक्त रूप को मल्लिकार्जुन Mallikarjuna कहा गया।

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक बार कार्तिकेय और गणेश जी किसका विवाह पहले होगा इस बात पर झगडऩे लगे, भगवान Bhagavan शिव ने निष्कर्ष के लिए यह कह दिया जो पृथ्वी का चक्कर पहले लगाकर आएगा उसका विवाह पहले होगा। कार्तिकेय पृथ्वी का चक्कर लगाने लगे, गणेश जी ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए माता पार्वती और भगवान शिव के चक्कर लगा लिए, जब कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा पूर्ण करके आये और गणेश जी को पहले विवाह करते हुए देखा तो क्रोधित होकर क्रोंच पर्वत पर चले गए  सभी देवताओं ने कार्तिकेय से कैलाश लौटने के लिए आग्रह किया, किन्तु कार्तिकेय नहीं मानें, इस बात से माता पार्वती और भगवान शिव आहत हुए।  

पुत्र वियोग से दुखी होकर  एक दिन माता पार्वती और भगवान शिव कार्तिकेय से मिलने क्रोंच पर्वत पर गए, माता-पिता को देखकर कार्तिकेय दूर चले गए। जिसके उपरांत पुत्र के दर्शन की आशा में भगवान शिव ने ज्योति रूप में प्रकट हुए उसी ज्योति में मां पार्वती भी समाहित हो गई। तभी से उस ज्योतिर्लिंग को मल्लिकार्जुन के रूप में जाना जाता है। मान्यता है भगवान शिव अमावस्या को और माता पार्वती पूर्णिमा को यहां स्वयं आते हैं।  

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का महत्व
मल्लिकार्जुन Mallikarjun ज्योतिर्लिंग के दर्शन से मनोकामनाएं पूरी होती है, यहां शिव और पार्वती की आराधना से जीवन में आने वाली सभी परेशानी से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।  सावन मास में यहां पूजा-पाठ  का विशेष महत्व है।

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