हरियाणा के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, गाय के गोबर की खाद पर मिलेगी सब्सिडी
Subsidy on Cow Dung Fertilizer
चंडीगढ़: Subsidy on Cow Dung Fertilizer: हरियाणा में गाय के गोबर से बनी ‘प्रोम’ खाद डीएपी का बेहतर विकल्प साबित हो रही है। हरियाणा गोसेवा आयोग द्वारा तैयार खाद आइआइटी दिल्ली और पूसा अनुसंधान केंद्र के मानकों पर भी खरी उतरी है। केंद्रीय स्तर पर नीति आयोग ने अब प्रोम पर सब्सिडी देने की सिफारिश की है। केंद्र सरकार ने सिफारिश मानी तो किसानों को प्रोम खाद और सस्ती मिल सकेगी।
प्रदेश में खरीफ की फसल में 10 हजार एकड़ से ज्यादा में किसानों ने प्रोम का प्रयोग किया और उसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। हालांकि गोबर से खाद बनाने का काम छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश सहित कई अन्य प्रदेशों की गोशालों में किया जा रहा है, लेकिन हरियाणा गोसेवा आयोग द्वारा तैयार किया गया प्रोम सबसे प्रभावी साबित हुआ है। प्रदेश में 680 गोशालाएं हैं।
इनमें से रोजाना 50 लाख किलोग्राम गोबर निकलता है। हरियाणा गोसेवा आयोग ने गोबर को डीएपी के विकल्प में बदलने का जो कदम बढ़ाया था, वह सफल साबित हो रहा है। प्रदेश भर में पांच लाख से ज्यादा गोवंश है। गोवंश के गोबर से हर रोज 70 हजार कट्टे खाद के तैयार किए जा सकते हैं। गोबर से तैयार की खाद का फायदा यह होगा कि यह पूरी तरह जैविक होगी, जो बीमारियों से मुक्ति दिलाएगी।
रासायनिक उर्वरकों के चलते धरती की तासीर बिगड़ रही है
मौजूदा समय में रासायनिक उर्वरकों के चलते धरती की तासीर बिगड़ रही है। उत्पादन को बढ़ाने के लिए अंधाधुंध रासायनिक खादों का छिड़काव किया जा रहा है। हरियाणा गोसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग का कहना है कि आयोग द्वारा तैयार किया गया प्रोम डीएपी का विकल्प बन रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा जो जैविक खेती का संकल्प लिया गया है, उसे पूरा करने में प्रोम काफी कारगर साबित हो रहा है।
नीति आयोग द्वारा केंद्र सरकार को प्रोम पर सबसिडी देने की सिफारिश की गई है, क्योंकि इसकी लागत डीएपी से तीन गुणा कम है। बाक्स ऐसे काम करेगी खाद फसल बुआई के समय डीएपी खाद का प्रयोग किया जाता है। डीएपी खाद में फास्फोरस और नाइट्रोजन का प्रयोग किया जाता है जो पौधे में टानिक का काम करता है।
डीएपी से 45 दिन बाद खेत में रासायनिक लेयर बनती है। मगर गाय के गोबर से तैयार की गई प्रोम खाद से प्राकृतिक तौर पर मिट्टी में परत बनेगी, जिससे केंचुए पैदा होंगे। इस खाद में राक फास्टफेट व कल्चर का प्रयोग किया गया है, ये तत्व जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मददगार होंगे।
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