Strict steps are necessary to curb pollution in Delhi NCR

Editorial:दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए सख्त कदम जरूरी

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Strict steps are necessary to curb pollution in Delhi NCR

Strict steps are necessary to curb pollution in Delhi NCR: देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में आजकल प्रदूषण की वजह से जैसे गंभीर हालात हैं, वे निश्चित रूप से किसी समाधान की मांग कर रहे हैं। बेशक, राज्य सरकारों की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन वे नाकाफी प्रतीत हो रहे हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दिल्ली सरकार को इसके निर्देश दिए हैं कि दिल्ली में प्रवेश के सभी 113 बिंदुओं पर तुरंत चेकपॉइंट स्थापित किए जाएं। इन चेकपॉइंट पर तैनात कर्मियों को आवश्यक वस्तुओं की जानकारी होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 13 प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर मुख्य रूप से निगरानी रखी जाएगी। इसका अभिप्राय यह है कि दिल्ली में प्रदूषण के कारकों की रोकथाम में पुलिस और सरकार गंभीर नहीं रही है।

दरअसल, आजकल पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़ समेत पूरे क्षेत्र में प्रदूषण की वजह से हालात बेकाबू हो चुके हैं। हरियाणा में तो प्राइमरी कक्षाओं की छुट्टियां तक करनी पड़ी हैं, हालांकि अदालत ने बड़ी कक्षाओं के बच्चों के संबंध में ऐसा सोचने को कहा है। दिल्ली में प्रदूषण एक बार फिर राजनीतिक गरमा-गर्मी का विषय हो चुका है। यहां जल्द ही विधानसभा प्रस्तावित हैं, ऐसे में निश्चित रूप से प्रदूषण का मामला भी गंभीरता से सामने आएगा, इसकी संभावना है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिवाली के समय पटाखों पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू न कराने के लिए फटकार लगाई गई थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि इस बार पटाखों पर प्रतिबंध पूरी तरह से लागू नहीं किया गया और महज दिखावा किया गया। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से उसके आदेश के पूर्ण पालन के लिए स्पेशल सेल बनाने का निर्देश दिया। साथ ही यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि बिना लाइसेंस के कोई भी पटाखों का उत्पादन और उनकी बिक्री न कर सके।

सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए यह भी कहा था कि ऐसा माना जाता है कि कोई भी धर्म किसी भी ऐसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता, जो प्रदूषण को बढ़ाती है या लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाती है। पीठ का कहना कि अगर पटाखे इसी तरह से फोड़े जाते रहे तो इससे नागरिकों का सेहत का मौलिक अधिकार प्रभावित होगा। इस भी दिवाली के बाद विभिन्न शहरों में एक्यूआई का स्तर इतना गिर गया कि सांस लेने में दिक्कत महसूस की गई और उसके बाद से हालात जस के तस बने हुए हैं। लोग घुट रहे हैं और अदालतों में सरकारें सिवाय समय मांगने के और कुछ नहीं कर पा रही।  

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने दिवाली से पहले पटाखों पर प्रतिबंध का निर्देश जारी किया था। हालांकि इसके बावजूद दिवाली पर खूब पटाखे छूटे और पटाखों पर प्रतिबंध का या तो बहुत कम या कई जगहों पर बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ा। इस पर दिल्ली पुलिस के आयुक्त ने हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पटाखों के उत्पादन और निर्माण को लेकर क्या-क्या कदम उठाए गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट तर्कों से संतुष्ट नहीं हुआ। मालूम हो, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से भी बयान आया था, जिसमें उसने कहा था कि दिल्ली एनसीआर में नवंबर महीने में पराली के धुएं से जिस प्रकार गैस चैंबर जैसे हालात बनते हैं, उसके लिए अकेले एक राज्य जिम्मेदार नहीं है। प्रत्येक वर्ष पंजाब, हरियाणा के किसानों पर आरोप लगते हैं कि उनकी वजह से राजधानी दिल्ली में धुएं की वजह से समस्या पैदा हो जाती है। क्या हरियाणा पर इसका दोषारोपण किया जाए या फिर यूपी पर। या फिर किसी अन्य राज्य पर। बेशक, हरियाणा की ओर से तमाम प्रयास किए गए हैं, वहीं पंजाब ने भी सक्रियता दिखाई है, लेकिन फिर भी पराली जलाने से हुए संकट का समाधान नहीं हो पाता। दरअसल, यह मामला जिस प्रकार गोल-गोल घूम रहा है, उस के स्थायी समाधान की जरूरत है।

वास्तव में आज के समय में महज पटाखे ही प्रदूषण का कारक नहीं हैं, अपितु रोजाना फैक्ट्रियों और कारखानों से निकलने वाला जहरीला धुंआ भी लोगों के लिए कहर बन गया है। निर्माण कार्यों की वजह से भी हालात गंभीर हो रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली प्रत्येक की जरूरत है, इस शहर की आबादी एक तरफ है, लेकिन यहां रोजाना जितने लोगों का आना- जाना होता है, उसके हिसाब से भी यहां प्रदूषण की समस्या का बढ़ना लाजमी है। हालांकि अब वह समय आ गया है, जब पर्यावरण और प्रदूषण की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। 

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