बेटी बेफिक्र होकर हॉकी खेल सके, इसके लिए मां-बहन ने बर्तन तक मांजे, अब मिलेगा अर्जुन अवॉर्ड

So that their daughter could play hockey without any worries, mother and sister even cleaned utensil

So that their daughter could play hockey without any worries, mother and sister even cleaned utensil

So that their daughter could play hockey without any worries, mother and sister even cleaned utensils- रांची। झारखंड की बेटी और इंडियन महिला हॉकी टीम की कैप्टन सलीमा टेटे का नाम उन खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल है, जिन्हें इस साल भारत सरकार अर्जुन अवॉर्ड से नवाजेगी। गुरुवार देर शाम जब यह खबर झारखंड पहुंची तो राज्य के खेल प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई। झारखंड के सिमडेगा जिले के एक छोटे से गांव बड़की छापर की रहने वाली सलीमा का इस मुकाम तक पहुंचने का सफर बेहद संघर्ष भरा रहा है।

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष भोलानाथ सिंह कहते हैं, ''सलीमा टेटे बेमिसाल संघर्ष और प्रतिभा की मिसाल हैं। उन्होंने देश के साथ-साथ झारखंड को गर्व के कई मौके दिए हैं। वह झारखंड की पहली महिला प्लेयर हैं, जिन्हें इस अवॉर्ड के लिए चुना गया है।''

बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली सलीमा बेफिक्र होकर हॉकी खेल सकें, इसके लिए उनकी मां ने रसोइया और बड़ी बहन ने दूसरों के घरों में बर्तन तक मांजा है।

वर्ष 2023 में टोक्यो ओलंपिक में जब भारतीय महिला हॉकी टीम क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेल रही थी, तब इस टीम में शामिल सलीमा टेटे के पैतृक घर में एक अदद टीवी तक नहीं था कि उनके घरवाले उन्हें खेलते हुए देख सकें। इसकी जानकारी जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हुई तो तत्काल उनके घर में 43 इंच का स्मार्ट टीवी और इन्वर्टर लगवाया गया था। उनका परिवार हाल तक गांव में एक कच्चे घर में रहता था।

उनके पिता सुलक्षण टेटे भी स्थानीय स्तर पर हॉकी खेलते रहे हैं। उनकी बेटी सलीमा ने जब गांव के मैदान में हॉकी खेलना शुरू किया था, तब उनके पास एक अदद हॉकी स्टिक भी नहीं थी। वह बांस की खपच्ची से बनी स्टिक से खेलती थीं।

सलीमा के सपनों को पूरा करने के लिए उनकी बड़ी बहन अनिमा ने बेंगलुरू से लेकर सिमडेगा तक दूसरों के घरों में बर्तन मांजने का काम किया। वह भी तब, जब अनिमा खुद एक बेहतरीन हॉकी प्लेयर थीं।

उन्होंने अपनी बहनों के लिए पैसे जुटाने में अपना करियर कुर्बान कर दिया। अनिमा और सलीमा की बहन महिमा टेटे भी झारखंड की जूनियर महिला हॉकी टीम में खेलती हैं। सलीमा की प्रतिभा नवंबर 2013 में पहली बार तब पहचानी गई, जब उन्हें झारखंड सरकार की ओर से सिमडेगा में चलाए जाने वाले आवासीय हॉकी सेंटर के लिए चुना गया। फिर, वह अपनी मेहनत और प्रतिभा की बदौलत पहले स्टेट और फिर नेशनल टीम में चुनी गईं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका सफर 2016 में शुरू हुआ, जब उन्हें जूनियर भारतीय महिला टीम के लिए चुना गया। इसके बाद टोक्यो ओलंपिक, विश्व कप, कॉमनवेल्थ गेम्स सहित कई अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिताओं में उन्होंने देश की ओर से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। टोक्यो ओलंपिक में उनके खेल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहना की थी।

पिछले साल एशियन हॉकी फेडरेशन ने इंडियन महिला हॉकी प्लेयर सलीमा टेटे को अगले दो वर्षों के लिए एथलेटिक एंबेसडर नियुक्त किया। उन्हें फेडरेशन ने एशिया की 'इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर' अवॉर्ड से भी नवाजा था।