Spiritual Junction: अध्यात्म जंक्शन धर्म की गाड़ी से जोड़ता है : महंत त्रिलोक राज
Spiritual Junction
श्रीमद्भागवत में सत्य स्वरूप परमात्मा का वर्णन
हिमाचल सभा द्वारा सेक्टर 56 में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन
चंडीगढ़, 8 नवंबर: Spiritual Junction: हिमाचल सभा द्वारा सेक्टर 56 में वार्षिक संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा आयोजित की गई इस संबंधी जानकारी देते हुए हिमाचल सभा की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष गुरजीत सिंह ठाकुर ने बताया कि सेक्टर 56 की मेन मार्केट में मेहता ग्राउंड में आयोजित की गई श्रीमद् भागवत कथा में हिमाचल से कथावाचक महंत त्रिलोक राज गोस्वामी जी ने श्रीमद्भागवत कथा में नारद भक्ति संवाद, गोकर्ण-धुंधकारी संवाद और नारद-सनत कुमारों का संवाद कहा, भगवान की कथा संवाद से प्रारंभ होती है। संत जीवन में संवाद ही करते हैं। संवादों में तीन बातें निश्चित हैं, पहली बात यह कथा उपदेश नहीं उपचार है। कथा सुनने से कल्याण होता है। भारत की संस्कृति में तीन शब्दों का बड़ा महत्व है। अर्पण, तर्पण और समर्पण। इन तीनों में त्याग है उपकार नहीं। कर्तव्य रूप त्याग है। समाज के लिए किया गया त्याग अर्पण कहलाता है। भगवान के लिए किया गया त्याग समर्पण कहलाता है और पितरों के लिए किया गया त्याग तर्पण कहलाता है।
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अर्पण, दर्पण, समर्पण, कर्तव्य रूप हैं। इन तीन कथाओं से तीन प्रकार का संदेश समाज को दिया गया है। कथा जीवन जीने की कला है। कथा जीवन की संगीत है। कथा जीवन के मार्ग की समस्याओं का समाधान है जो संशय से प्रारंभ होकर समाधान तक की यात्रा कराए उसी का नाम कथा है।
विश्वास और विश्राम दोनों के बीच की यात्रा कथा श्रीमद्भागवत महापुराण के मंगलाचरण में भगवान व्यास ने ध्यान किया है। जीवन में ध्यान का महत्व है, ज्ञान से ध्यान श्रेष्ठ है, ध्यान, ध्याता और ध्येय इन तीनों में एकत्र होना आवश्यक है। एक तो होने पर परमानंद की प्राप्ति होती है। श्रीमद्भागवत में सत्य स्वरूप परमात्मा का वर्णन है। इस अवसर पर वार्ड नंबर 29 के पार्षद मनौवर व पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर दर्शन गर्ग मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे और उनके साथ गामा प्रसाद, गुरमीत सिंह, एचएस चौधरी, ओपी मेहरा, कुलवंत सिंह, नारायण प्रसाद ने पहुंच कर श्रीमद् भागवत कथा में आशीर्वाद प्राप्त किया।
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इस मौके हिमाचल सभा के सदस्य धर्मपाल, सचिव मंजीत पठानिया, चेयरमैन रमेश डोगरा, कोषाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार लक्की व अन्य सदस्य ज्ञान चंद चौधरी, कर्मचंद, अशोक कुमार, दीपक शर्मा, अशोक डोगरा, रमेश शर्मा, सुनीता रानी, वीना देवी, रीना देवी, अशोक डोगरा, सरेष्टा देवी आदि सभा के सदस्य मौजूद रहे।