जवानी में बेचा घटिया दूध, बुढ़ापे में जाकर मिली सजा, 42 साल बाद दूध कारोबारियों पर लगा जुर्माना
Punishment Received After 42 Years
लखनऊ: Punishment Received After 42 Years: एक पुरानी और प्रचलित कहावत है कि 'भगवान के घर में देर है अंधेर नहीं' ये बातें लखनऊ के तीन दूध के कारोबारियों के पूरी तरह से फिट बैठ रहा है. राजधानी लखनऊ कोर्ट ने तीन मिलावटखोरों को 42 साल बाद सजा सुनाई है. जिसमें तीनों ऐसे हैं जो लोगों को मिलवाती दूध बेच रहे थे. इस सजा की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है. लोग तरह तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं जिसमें एक यह भी है कि अब जाकर हुआ दूध का दूध और पानी का पानी.
पूरे मामले पर लखनऊ के सहायक खाद्य आयुक्त विजय प्रताप सिंह ने बताया कि, साल 1982 और 1988 को घूम घूम कर दूध बेचने कारोबारियों के नमूने लिए गए थे. लैब में दूध में मिलावट होना पाया गया था, जिसके बाद खाद्य विभाग ने केस दर्ज कराया था. सहायक आयुक्त ने बताया कि, जरहरा इन्दिरानगर निवासी राम लाल 22 जून 1988 को वायरलेस चौराहा महानगर में फेरी लगाकर भैंस का दूध बेच रहा था. उसका सैंपल लेकर जांच कराई गई. जिसमें 17 फीसदी फैट कम पाया गया था. साथ ही नॉन फैटी सॉलिड भी करीब 30 प्रतिशत कम था. राम लाल को दोषी करार देते हुए एडीएम कोर्ट ने उस पर 3000 रुपये का अर्थदण्ड लगाया. साथ ही कोर्ट के बंद होने तक उनको वहीं पर रुकने की सजा भी सुनाई गई.
वहीं ऐसा ही दूसरे मामले में ब्रदी ग्रैंक मानपुर अल्लू नगर डिगुरिया के कामोती लाल यादव जो 24 अगस्त 1982 को राजधानी के मोहिबुल्लापुर में गाय और भैंस का दूध बेच रहा था. इसके नमूने की जांच में भी मिलावट मिली थी. सहायक खाद्य आयुक्त विजय प्रताप सिंह ने बताया कि, जांच रिपोर्ट में नॉन फैटी सॉलिड लगभग 20 प्रतिशत कम पाया गया था. उस पर तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया. साथ ही कोर्ट उठने तक बैठने के दण्ड से दण्डित किया गया.
ऐसे ही तीसरे मामले में गोसाईगंज सेमरा प्रीतपुर का केशव 22 दिसम्बर 1986 को खुर्दही बाजार में गाय-भैंस का मिला दूध बेच रहा था. दूध में नान फैटी सॉलिड लगभग 22 प्रतिशत कम पाया गया था. केशव को भी एडीएम प्रथम ने इस पर 3000 रुपये का जुर्माना लगाया साथ ही इसे भी अदालत उठने तक बैठे रहने का दण्ड दिया.