So the results of this time will surprise

तो चौंकाएंगे इस बार के परिणाम

So the results of this time will surprise

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मतदान के बाद और परिणाम आने से पहले एग्जिट पोल को लेकर जो दावे किए जाते हैं, वे अक्सर चुनाव परिणाम में उलट हो जाते हैं। हालांकि पूरी तरह सही साबित न हों, लेकिन वे रूझान को जरूर जाहिर करते हैं। विभिन्न टीवी न्यूज चैनल और मीडिया हाउस अपने तौर पर ऐसे सर्वे कराते हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की ईवीएम जब कल खुलेंगी तो सबकुछ सामने आ जाएगा। लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल के नतीजों पर अगर फौरी नजर डालें तो यह नतीजे उस रुझान के उलट नहीं हैं, जोकि चुनाव से पहले या फिर मतदान के दौरान सामने आते रहे हैं। हालांकि इन चुनावों का पूरा सच सामने आने में अब कुछ घंटे ही बाकी रह गए हैं, लेकिन फिर भी पंजाब में आम आदमी पार्टी का परचम अगर लहराता नजर आ रहा है तो यह पहले से तय था। ऐसी रपट है कि आम आदमी पार्टी राज्य में ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रही है। इस बार के चुनाव में राज्य के मतदाता के समक्ष अनेक चॉइस थी, लेकिन उनमें से अगर उसने आप को चुना है तो यह पार्टी के प्रति उस विश्वास की अभिव्यक्ति है, जोकि उसने दिल्ली में अपनी सरकार के दौरान विकास करा कर हासिल किया है। आम आदमी पार्टी ने पंजाब की जनता से एक मौका देने का आग्रह किया था, अगर एग्जिट पोल पर कुछ देर के लिए यकीन कर लें तो जनता ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के आग्रह को स्वीकार कर लिया है।
 

   पंजाब में कुल 117 सीटें हैं, वहीं बहुमत के लिए 59 सीटें चाहिएं। लगभग सभी एग्जिट पोल में आप को 52 से अधिक सीटें दी गई हैं। इस बार पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा आने का भी अंदेशा जाहिर किया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस के अलावा राज्य में भाजपा और पंजाब लोक कांग्रेस गठबंधन के साथ संयुक्त समाज मोर्चा भी चुनाव लड़ रहा है। वैसे अगर इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जो एग्जिट पोल आए थे, वे परिणामों के एकदम उलट रहे थे। उस समय आम आदमी पार्टी को स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाते हुए दिखाया गया था। हालांकि जब परिणाम आए तो कांग्रेस ने 77 सीटें लेकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। पंजाब की जनता ने कृषि कानूनों को लेकर जैसा आंदोलन पैदा किया, उसके बाद देश की निगाहें पंजाब के साथ उत्तर प्रदेश पर हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्तारूढ़ है और लोकसभा में सर्वाधिक सीटें भी इसी प्रदेश से जाती हैं। ऐसे में पार्टी जहां अपनी मौजूदा सरकार को बचाने की कवायद में रही है वहीं वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी आधार तैयार करना चाहेगी। ऐसे में उसकी जीत जहां प्रदेश के मतदाता की सोच को बयां करेगी वहीं देश के लिए भी मूड कायम करेगी। उत्तर प्रदेश की जनता ने क्या निर्णय लिया है, यह बस कुछ देर में मालूम हो जाएगा लेकिन फिर भी मिल रहे रुझानों के अनुसार भाजपा को प्रदेश में लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल होने वाली है।
 

  बेशक उत्तराखंड में भाजपा का मिथक टूटते हुए नजर आ रहा है। बार-बार अपने मुख्यमंत्री बदलती रही पार्टी ने जनता के समक्ष खुद को पुरजोर तरीके से रखा है, लेकिन फिर भी प्रदेश की जनता जैसे किसी को मुंह नहीं लगाती और अदल-बदल कर देखती रहती है, उसी तर्ज पर कांग्रेस को यहां फायदा मिलता दिख रहा है। कुछ एग्जिट पोल में यह भी कहा गया है कि राज्य में सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर बनी हुई है, यानी बाजी पलट सकती है और यह भी हो सकता है कि भाजपा फिर बाजी मार जाए। मणिपुर में भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है, लेकिन कांग्रेस यहां पिछड़ती दिख रही है। कुल 60 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा की तुलना में कांग्रेस को 10 से 12 सीटें ही मिल रही हैं। इधर, गोवा में त्रिशंकु विधानसभा के आसार हैं। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला है, लेकिन आम आदमी पार्टी ने भी यहां चुनाव लड़ा है। आम आदमी पार्टी के प्रति देश में रूझान बढ़ रहा है, संभव है कि पार्टी यहां सीट निकालने में कामयाब रहे। इस बार के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के राजनीतिक भाग्य की दशा-दिशा बताने वाले भी होंगे। पार्टी ने पंजाब में अपने बूते चुनाव लड़ा है, लेकिन उसके नेता आपस में ही उलझे रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष की मुख्यमंत्री के साथ बनी ही नहीं है और आखिर समय में यूपी के भैया वाले मामले ने भी प्रदेश में कांग्रेस की छवि को बिगाड़ने का काम किया है। इसी तरह यूपी में एकमात्र प्रियंका गांधी ही हर मोर्चे पर जूझती दिखी हैं। एक राष्ट्रीय पार्टी का यूपी जैसे प्रदेश में यूं जूझना बताता है कि जनता अब उसमें बड़ा देखना चाहती है। बेशक, यह कांग्रेस के लिए अभी संभव नहीं है।
 

   पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम जो भी रहें, सत्ता में आने वाली पार्टी को जनता से किए वादों को पूरा करने के लिए अपना शत प्रतिशत देना होगा। यूपी हो या फिर पंजाब, या उत्तराखंड, गोवा या मणिपुर। हर जगह जनता की लगभग एकसमान जरूरतें हैं, आज का आदमी जीवन की सुगमता चाहता है, आर्थिक उन्नति और बेहतर सडक़, पानी, बिजली, स्कूल, अस्पताल भी उसकी जरूरत है। इसके अलावा उसे रोजगार और महंगाई पर नियंत्रण भी चाहिए। ऐसा न होकि इस बार किए वादे पूरे करने के लिए अगले पांच साल बाद फिर पांच वर्ष मांगें जाएं।