Situation out of control due to flood

Editorial: जल प्रलय से हालात बेकाबू, क्या इसका कोई समाधान है

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Situation out of control due to flood

Situation is out of control due to flood, is there any solution for this: बीते कुछ दिनों में उत्तर भारत में जैसी बारिश हुई है, उससे हालात बेकाबू हो गए हैं। पूरा उत्तर भारत पानी-पानी नजर आ रहा है। रविवार को हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली समेत आसपास के राज्यों में जमकर बारिश हुई और इसका असर यह हुआ कि सडक़ों पर पानी ही पानी था। गाडिय़ां डूब गईं और पानी घरों, दुकानों में घुस गया और जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। बेशक, हरियाणा, पंजाब में धान की फसल के लिए बारिश के पानी की मांग हो रही थी, लेकिन अब जैसी बारिश हुई है, उसने और बारिश से तौबा करवा दी है।

पंजाब में तो स्थिति ऐसी है कि होशियारपुर के माहिलपुर में बरातियों से भरी एक इनोवा गाड़ी उफनते चौ में समा गई और इसमें 9 लोगों की मौत हो गई। यह बेहद दुखद हादसा है, लेकिन इसमें लापरवाही भी झलक रही है। हालांकि मौसम के सामने ऐसी लापरवाहियां जहां-तहां सामने आ रही हैं। लोग पहाड़ों पर घूमने गए हैं तो वहां पहाड़ ढहने से फंस गए और मध्य प्रदेश, राजस्थान के मैदानी इलाकों में घूमने गए तो वहां बारिश का पानी इतना प्रचंड हो गया कि वे टापू की भांति जहां-तहां  घिर गए। आजकल नदी-नाले और झील-बावडी पानी से इस तरह लबालब हैं कि उन्हें देखते हुए भी सिहरन होती है। उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा एवं अन्य नदियां अपने किनारों से बहुत आगे बढ़ चुकी हैं और बिहार में तो कोसी नदी ने कहर ही बरपा रखा है। इसके आसपास रहने वाले लोगों का जीवन पूरी तरह दुभर हो चुका है। यह सब हर वर्ष की कहानी हो गई है, लेकिन समाधान कहां है।

गौरतलब है कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई हो या फिर राजनीतिक राजधानी दिल्ली, चंडीगढ़ हो या फिर लुधियाना, अमृतसर या फिर भोपाल हो या उदयपुर-जयपुर। वह लखनऊ हो या कानपुर। हिमाचल प्रदेश के जिले हों या फिर उत्तराखंड के क्षेत्र। आजकल हर जगह मौसम के प्रचंड तेवर देखने को मिल रहे हैं। हिमाचल के मंडी जिले में तो बीते दिनों जैसा कहर देखने को मिला है, वह डरावना है लेकिन यहां के हालात अब भी कमोबेश वैसे ही बने हुए हैं। शिमला में बादल फटने की सूचना है तो कांगड़ा जिले में रानीताल के पास निर्माणाधीन मटौर-शिमला फोरलेन बारिश के पानी में बह गया है।

हरियाणा में रविवार को हुई बारिश से यमुनानगर के 15 गांवों में घरों में पानी भर गया वहीं सोम-नकटी नदी में उफान से हालात अनियंत्रित हो गए हैं। हिमाचल के पहाड़ों पर लगातार बारिश होने और सिरमौर जिले में बादल फटने की घटना के बाद हरियाणा की नदियों में बाढ़ आई हुई है। यमुनानगर के बिलासपुर और छछरौली में खेतों में पानी भर चुका है और यहां उगाई फसलें डूब चुकी हैं। पानी इतना है कि इसके उतरने में अब कई माह लग सकते हैं। साढ़ौरा कस्बे में पांच फीट की ऊंचाई में पानी भरा होने की सूचना है, वहीं यहां एक किसान की मौत की भी सूचना है।

हरियाणा में पलवल से ऐसी रपट है, जिसमें बताया गया है कि यमुना नदी में नहाने के लिए गए तीन बच्चों की डूबने से मौत हो गई। गौरतलब है कि बारिश से गुरुग्राम के इलाके में हालात भीषण हो गए। यहां सडक़ों पर जितना पानी था, उसमें गाडिय़ों के इंजन बंद हो गए। ऐसे में जनता सवाल यह पूछ रही है कि आखिर बारिश से हालात इतने बिगड़ क्यों जाते हैं और समय रहते सीवरेज एवं जल बहाव के रास्तों की सफाई क्यों नहीं होती।

राजस्थान वह प्रदेश है, जहां की जलवायु धीरे-धीरे परिवर्तित हो जा रही है। एक समय राजस्थान में सूखा पड़ता था लेकिन आजकल राज्य के जिलों में ऐसी बारिश हो रही है, जिससे बाढ़ आ जाती है। इस बार की बारिश में राज्य में डूबने से 14 लोगों की मौत हो गई है।  यहां बारिश की वजह से तमाम रास्ते बंद हो चुके हैं। राजस्थान में बाणगंगा नदी में डूबने से 7 युवाओं की मौत हुई है। अब चंडीगढ़ की चर्चा करें तो यहां 8 घंटे की लगातार बारिश से हालात बेहद असामान्य हो गए। सडक़ों पर जगह-जगह पानी भर गया और वाहन चालक जहां-तहां फंस कर रह गए।

शहर में बारिश से ऐसे हालात रविवार को बने, हालांकि अगर यह सामान्य कार्यदिवस वाला दिन होता तो हालात और बुरे हो सकते थे। शहर में ट्रैफिक पुलिस को एडवाइजरी जारी करनी पड़ी। यहां 24 घंटे में 158 एमएम बारिश हुई है। निश्चित रूप से बारिश प्रकृति का उपहार है। अभी मई-जून में लोग भयंकर गर्मी से पीड़ित थे और अब अगस्त के माह में बारिश परेशान कर रही है। ऋतु चक्र अपने गणित के मुताबिक घूम रहा है लेकिन उसमें अब जलवायु परिवर्तन अड़चन बन चुका है। बेहताशा गर्मी और ऐसी ही बारिश एवं सर्दी अब समस्या बन चुकी है। कहा जाता है कि इसका समाधान होना चाहिए, लेकिन समाधान कहीं नहीं  है। पेड़ कट रहे हैं, जंगल खत्म हो रहे हैं, बांध बन रहे हैं। कालोनी, सडक़ बन रही हैं। शॉपिंग मॉल खुल रहे हैं। क्या प्रकृति को हम अकेला छोड़ रहे हैं, नहीं प्रकृति को आज जो नुकसान पहुंचाया जा रहा है, वह उसका बदला ले रही है। निश्चित रूप से यह सावधान होने का समय है।

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