आठ पहर की पूजा से अत्यंत प्रसन्न होते है भगवान शंकर
आठ पहर में की गई भगवान शंकर की पूजा
"जस दूलहु तसि बनी बराता। कौतुक बिबिध होहिं मग जाता॥
आचार्य मनीष शास्त्री ने बातया भगवान शंकर की आठ पहर की पूजा का महत्व
एयरफोर्स एन्क्लेव ढकोली के शिव मंदिर के पंडित जी 'आचार्य मनीष शास्त्री' ने बताया आठ पहर की पूजा से अत्यंत प्रसन्न होते है भगवान शंकर, हर एक पहर में पूजा -अर्चना का है विशेष फल ।
दिन के चार प्रहर होते है पूर्वान्ह, मध्यान्ह, अपरान्ह और सायंकाल।
रात के चार प्रहर होते है प्रदोष, निशिथ, त्रियामा एवं उषा।
प्रत्येक प्रहर में भगवान शंकर का अभिषेक गायन, पूजन, जप और प्रार्थना की जाती है।
हरिद्वार से गंगाजल ला कर कावड़ियों ने भोलेनाथ का जलाभिषेक किया
हर साल शिवरात्रि के पावन पर्व से पहले टोलिया बना कर कावड़ लेने के लिए हरिद्वार रवाना होते कावड़िया ओर महाशिवरात्रि पर हरिद्वार से पैदल लाकर भगवान शंकर को चढ़ाई जाती है कावड़ ।ज़ीरकपुर के हजारों कावड़ियों ने हरिद्वार से डाक कावड़ ला कर गंगाजल से किया भोलेनाथ का जलाभिषेक ।
पिछले दो सालों के मुकाबले इस बार मंदिरों में अतिरिक्त भक्तों ने महाशिवरात्रि पर किए दर्शन
पिछले दो सालों के मुकाबले इस वर्ष मंदिरों में अधिक भक्तों ने दर्शन किये l पिछले दो वर्षों से कोरोना के कारण नहीं हुई थी मंदिरों में इतनी भीड़ l दो साल बाद खुल कर शिवरात्रि मनाने घरों से निकले लोग ।
जीरकपुर के मंदिरों में महाशिवरात्रि का पर्व धूम धाम से मनाया
ज़ीरकपुर के मंदिरों में धूमधाम से मनाया शिवरात्रि का पावन महापर्व । ज़ीरकपुर में लगभग 100 मंदिर है और ज़ीरकपुर के प्रत्येक मंदिर में शिवरात्रि का महा पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस पावन अवसर पर प्रत्येक मंदिर मे दूध और फल का भंडारा लगा हुआ था ।
शिवरात्रि के अवसर पर हर एक मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक किया गया ।
शिवरात्रि वाले दिन भगवान शिव की आठ पहर में की गई पूजा । इस दिन भगवान शिव की पूजा करने वालों को मनवांछित फल मिलता है। इस दिन भगवान शिव की सेवा करने से अनेक सुखों की प्राप्ति होती है ।
स्वछता व व्यवस्था का रखा गया पूरा ध्यान
ज़ीरकपुर के मंदिरों में शिवरात्रि का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया साथ ही भरपूर स्वच्छता व व्यवस्था का ध्यान रखा गया था। सभी भक्तों के लिए दूध, पकोड़े ओर फलों की व्यवस्था की गई थी ।
बचा हुआ प्रसाद गरीबों ओर सेवा- संस्थाओं में दान किया गया
मंदिरों में शिवरात्रि की मंगलवेला धूमधाम से मानई गई । मंदिरों में बड़ी मात्रा में भक्तों ने दर्शन किए भक्तों के लिए दूध व फलों की व्यवस्था की गई थी ।
बचा हुआ प्रसाद गरीबों और सेवा- संस्थानों को दिया दान ।